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ED की छापेमारी के बाद सबसे बड़ी दिक्कत तो अर्पिता के दोस्तों और रिश्तेदारों को है!
पश्चिम बंगाल के टीचर्स रिक्रूटमेंट स्कैम के बाद, जिस तरह छापेमारी हुई और जैसे अर्पिता मुखर्जी के घर नोटों का जखीरा और सोना बरामद हुआ. इस प्रकरण के बाद अगर कोई सबसे ज्यादा डरा हुआ तो वो अर्पिता के दोस्त और रिश्तेदार हैं. तमाम तरह के खतरे हैं जिनका सामना उन्हें आने वाले वक़्त में करना पड़ सकता है.
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जैसा हाल ईडी ने किया है. अभी तो ढंग से अर्पिता मुखर्जी ने सर मुंडा भी नहीं, लेकिन ओले हैं जो गिरने शुरू ही गए हैं. खबर है कि कोलकाता के डायमंड सिटी परिसर में अर्पिता मुखर्जी के आवास से चार लग्जरी कारें गायब हैं. बताया जा रहा है कि फ्लैट से कारें छू मंतर अर्पिता की गिरफ़्तारी के फ़ौरन बाद हुईं. कारों को किसी प्लानिंग के तहत गायब किया गया या फिर उन्हें कोई चुरा कर ले गया? जैसे सवालों पर सौ तरह के मुंह, सौ तरह की बातें हैं लेकिन जैसी सिचुएशन है आज अगर इस दुनिया में कोई सबसे ज्यादा डरा होगा और अपने को बेबस और लाचार महसूस कर रहा होगा तो यक़ीनन वो अर्पिता मुखर्जी के रिश्तेदार और वो तमाम लोग होंगे जो प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से अर्पिता से जुड़े हैं. शायद आपको ये बातें मजाक प्रतीत हो रही हों लेकिन ऐसा बिलकुल नहीं है. हमारी आपकी तुलना में वो तमाम लोग खतरे के दो बिलांग ऊपर ही होंगे.
अगर आज कोई अर्पिता मुखर्जी को जमकर कोस रहा होगा तो वो उनके रिश्तेदार ही होंगे
जैसा कांड अर्पिता ने किया और जिस तरह उनके अलग अलग घरों से नोटों का जखीरा और सोने के भारी भरकम आभूषण प्राप्त हुए. क्या चोर-उचक्के उनकी और उनसे जुडी चीजों की रेकी नहीं कर रहे होंगे? हम पूरी गारंटी से इस बात को कह सकते हैं कि बंगाल के अलग अलग शहरों के चोर और लुटेरों ने अपने गिरोह से अन्य लोगों को जोड़ने के लिए हायरिंग शुरू कर दी होगी.
हो ये भी सकता है कि नौकरी देने के बाद शायद ये चोर उचक्के अपने रंगरूटों से कहें कि उन्हें कोई खास काम नहीं करना है. उनका काम बस ये रहेगा की वो अपने अपने शहरों में नेटवर्क फैलाएं और बस इस बात का पता लगाएं कि वहां अर्पिता से जुड़े कौन कौन लोग रह रहे हैं. ताकि उनके घर पर चोरी की जा सके और मोटा माल अंदर किया जा सके.
ईडी ने पार्थ चटर्जी की करतूतों के चलते जो हाल अर्पिता का किया. अर्पिता के रिश्तेदार अवश्य ही भागे भागे फिर रहे होंगे. हम डंके की चोट पर इस बात को कह सकते हैं कि उन लोगों को मौजूदा वक़्त में यही महसूस हो रहा होगा कि, भले ही हमने मामले के मद्देनजर खाया पीया कुछ नहीं. मगरशायद ही कोई इस बात को समझे और गंभीरता से ले. ऐसा बिलकुल नहीं है कि अर्पिता मामले के चलते सिर्फ दोस्त और रिश्तेदार ही डरे सहमें होंगे.
पानी वाला. दूध वाला. सब्जी वाला. माली, धोभी, नाई, जमादार, कूड़ा उठाने वाला एक पूरा सर्किल है जो अर्पिता की जिंदगी से जुड़ा है. क्या पता उनके पास से ही कुछ निकल आए. हंसी मजाक से हटकर अगर हम ईडी द्वारा की गयी इस रेड पर गंभीर हों, तो तमाम सवालों के जवाब हमें खुद मिल जाते हैं.
भले ही अपनी अय्याशी के दमपर अर्पिता ने दौलत का महासागर खड़ा किया हो. लेकिन जैसा किसी गलत काम पर अर्पिता जैसे लोगों का रवैया और जरायम की दुनिया का दस्तूर है, उन्होंने जो भी किया होगा छिपकर ही किया होगा और तब उनके रिश्तेदारों और जानने वालों को भी उनके कारनामों की कोई खबर न हुई होगी. मगर अब जब सब शीशे की तरह साफ़ हो गया है शक के घेरे में ये दोस्त, रिश्तेदार और जानने वाले भी होंगे. लोगों को इन्हें देखते हुए यही लगेगा कि क्या पता अर्पिता की ही तर्ज पर इन लोगों के पास भी रूपये, पैसे की खान हो आभूषणों का अम्बार हो इसलिए खतरा तो है.
क्या पता कोई अर्पिता के रिश्तेदारों और दोस्तों से दुश्मनी निकालने की नीयत से ही कुछ गलत कर ले या किसी शरारती तत्व से मुखबिरी कर दे. होने को अब कुछ भी हो सकता है. क्योंकि खतरा लगातार मंडरा ही रहा है. तो वो लोग जो अर्पिता से जुड़े हैं. उन्हें हर सूरत से, हर चुनौती से निपटने के लिए तैयार रहना चाहिए. चूंकि कहा यही गया है कि जानकारी ही बचाव है इसलिए अगले कुछ वक़्त तक बचाव के लिए उन्हें जो जो जानकारी मिल रही है उन सभी पर उन्हें गौर करना चाहिए.
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