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Updated: 02 सितम्बर, 2017 11:23 AM
श्रुति दीक्षित
श्रुति दीक्षित
  @shruti.dixit.31
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2015 के समय तक भारत दुनिया की सबसे तेजी से आगे बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बन गया था. इस मामले में चीन को भी पीछे छोड़ दिया था. 2016 के पहले क्वार्टर में भी ग्रोथ रेट 9.2 प्रतिशत था जिसने 2016 को एक बेहतर साल बताया था. इससे ये भी लग रहा था कि भारत 10 प्रतिशत से ज्यादा ग्रोथ हासिल कर लेगा, लेकिन हुआ क्या? मार्च के बाद से ही जीडीपी ग्रोथ कम होने लगी अप्रैल-जून वाले क्वार्टर में ये गिरकर 7.9 हो गई और सितंबर तक ये 7.5 हो गई. ये तब था जब नोटबंदी की भनक भी नहीं लगी थी किसी को.

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नोटबंदी 8 नवंबर को हुई और उसी क्वार्टर में ग्रोथ 7.0 प्रतिशत हो गई और उसके बाद 6.1 प्रतिशत अब ये गिरकर 5.7 रह गई है. आखिर ऐसा क्या हुआ कि जीडीपी लगातार 6 क्वार्टर में कम हुई. इसमें सारा दोष सिर्फ नोटबंदी को तो नहीं दिया जा सकता. खैर, इसका असर अभी खत्म नहीं हुआ है ये आगे और ज्यादा बढ़ेगा.

क्यों और गिर सकती है जीडीपी?

ये जो आंकड़े आए हैं वो फाइनल नहीं कहे जा सकते हैं. कारण ये है कि इसमें तीन बड़ी चीजें अभी तक नहीं जुड़ी हैं...

पहली: नोटबंदी.

अगर किसी को लग रहा है कि नोटबंदी के सारे आंकड़े आ गए हैं. RBI की रिपोर्ट आ गई है और इसके साथ ही नोटबंदी का असर खत्म हो गया है तो ये गलत है. अभी सबसे बड़ा आंकड़ा आना बाकी है. वो है अनऑर्गेनाइज्ड सेक्टर का जहां 80% काम कैश से होता था और वो नोटबंदी के बाद सबसे बुरी मुश्किल में फंसा है. इनमें व्यापारी, ट्रांसपोर्टर, होलसेल वाले सभी शामिल हैं. इस सेक्टर से लगभग 45% भारतीय अर्थव्यवस्था बनी हुई है. सारे आंकड़े लेने में करीब 3 साल लगेंगे और इतने लंबे समय तक ही नोटबंदी का असर समझ आएगा. नोटबंदी से कैश की कमी की वजह से बाजार में डिमांड की जो कमी आई, फिलहाल तो उसका असर भी खत्‍म नहीं हुआ है. 

दूसरी: जीएसटी.

भले ही ये लंबे समय से अटका हुआ फैसला था, लेकिन यह अमल मोदी सरकार के दौर में ही हुआ. वन नेशन वन टैक्स वाला नारा तो दे दिया, लेकिन ये सिंपल जीएसटी अपने आप में समझना इतना कठिन है कि आधे से ज्यादा व्यापारियों ने अभी इसे पूरी तरह से नहीं अपनाया है. इस टैक्‍स सिस्‍टम का सस्‍पेंस इतना था कि बहुत से सेक्‍टर में काफी पहले से उत्‍पादन रोक दिया गया था. ताकि नए सिस्‍टम में ही उत्‍पादों की बिलिंग हो सके. अब जीएसटी रिटर्न फाइल करने की तारीख लगातार बढ़ती जा रही है. बिजनेसमैन इतने परेशान हैं कि अभी तक एक बार का जीएसटी रिटर्न नहीं भर पाए हैं. जिन लोगों ने कभी भी बिल, रिसिप्ट आदि पर ध्यान नहीं दिया अब वो भी इसपर ध्यान दे रहे हैं. जीएसटी से महंगाई बढ़ी या नहीं, इसका असर कैसा हुआ, फेज 2 का क्या असर होगा ये सभी बातें जीडीपी पर असर करेंगी.

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तीसरी: खरीफ फसलों पर बाढ़ का कहर.

ये सुनने में भले ही आम लग रहा हो, लेकिन कृषि प्रधान देश होने के कारण भारत में ये असर काफी ज्यादा है. इस साल जगह-जगह आई बाढ़ ने खरीफ फसलों को खराब किया है. त्योहारों का सीजन खरीद-फरोख्त आदि में सबसे ज्यादा असर पड़ेगा. इसका असर मैन्युफैक्चरिंग पर भी पड़ेगा क्योंकि सारा कच्चा माल बर्बाद होने की कगार पर पहुंच गया है.

RBI ने पहले ही इस तरह की लो ग्रोथ की चेतावनी जारी की थी और ये सच भी हुई. लेकिन आगे क्या होगा इसके बारे में किसी को नहीं पता. ये ग्रोथ जो लगभग आधी हो गई है उसे ठीक करने में सरकार को नाकों चने चबाने पड़ेंगे और आगे फिर से उसी ढर्रे पर चलने के लिए आरबीआई को कई तरह के नए रिफॉर्म जरूर करने होंगे.

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श्रुति दीक्षित श्रुति दीक्षित @shruti.dixit.31

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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