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Updated: 30 जनवरी, 2018 01:53 PM
अनुज मौर्या
अनुज मौर्या
  @anujkumarmaurya87
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इकोनॉमिक सर्वे आ चुका है और बस कुछ ही दिनों में बजट भी पेश होने वाला है. इकोनॉमिक सर्वे में जहां एक ओर नोटबंदी के खराब असर के खत्म होने की बात कही गई है, वहीं दूसरी ओर शेयर बाजार को लेकर थोड़ा सजग रहने के लिए भी कहा गया है. शेयर बाजार में बबल (bubble) जैसी स्थिति पैदा होने के संकेत भी मिले हैं. यानी जो शेयर बाजार आए दिन नई ऊंचाइयां छू रहा है, नए रिकॉर्ड बना रहा है, खबरों की सुर्खियां बन रहा है, क्या इसकी वजह से शेयर बाजार में एक बबल यानी बुलबुले जैसी स्थिति पैदा हो गई है? तो क्या ये बुलबुला कभी भी फट सकता है? मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम और मार्केट रेगुलेटर सेबी ने तो कुछ ऐसे ही संकेत दिए हैं.

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क्या बोले अरविंद सुब्रमण्यम?

जहां एक ओर इकोनॉमिक सर्वे में आगामी वित्त वर्ष में जीडीपी के 7-7.5 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया है वहीं अरविंद सुब्रमण्यम ने शेयर बाजार में बबल जैसी स्थिति पैदा होने के संकेत दिए हैं. उन्होंने कहा है- हमने ये हमेशा देखा है कि जब भी किसी असेट की कीमतें बहुत अधिक हो जाती हैं, तो वह हमेशा ही तेजी से कम भी होती हैं और इसीलिए हमें सजग रहना होगा. कीमतें जितनी अधिक बढ़ेंगी, हमारी निगरानी भी उसी हिसाब से बढ़ती रहेगी. जहां एक ओर इकोनॉमिक सर्वे ने यह इशारा किया है कि स्टॉक्स की कीमतें तेजी से बढ़ेंगी, वहीं दूसरी ओर सजग रहते हुए निवेश करने के लिए भी कहा गया है.

सेबी का इशारा भी बबल की ओर

शेयर बाजार में लगातार आ रही तेजी से शेयर बाजार में पैसा लगाने वालों की आंखों में तो चमक आ गई है, लेकिन सेबी जैसी संस्थाओं को ये आने वाले किसी बड़े खतरे का संकेत लग रहा है. शेयर बाजार में जारी उछाल के बीच मार्केट रेगुलेटर सेबी ने सभी ब्रोकरों को निर्देश दिए हैं कि वह उन निवेशकों से अधिक डिपॉजिट लें, जिनका शेयरों में बड़ा निवेश है. सेंसेक्स और निफ्टी के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने के बाद अब शेयर बाजार में जोखिम भी काफी हद तक बढ़ गया है.

शेयर बाजार की 'बबल' वाली स्थिति को समझें

यहां बुलबुले वाली स्थिति यानी bubble situation से मतलब यह है कि शेयर बाजार इसी तरह से बढ़ता रहेगा और अचानक बहुत तेजी से नीचे गिरेगा. इसे पानी के बुलबुले या गुब्बारे का उदाहरण लेते हुए आसानी से समझ सकते हैं. अगर कोई बुलबुला बनता है या किसी गुब्बारे में हवा भरी जाती है तो एक सीमा के बाद उसमें हवा भरने पर वह फूट जाता है. ठीक वैसा ही शेयर बाजार के साथ होने की भी आशंका है. शेयर बाजार भी लगातार नए रिकॉर्ड बनाते हुए बढ़ता जा रहा है, जिसके अचानक नीचे गिरने की आशंका है, जिससे बहुत से लोगों को बड़ा नुकसान हो सकता है.

इकोनॉमिक सर्वे आते ही झूम उठा शेयर बाजार

जहां एक ओर अरविंद सुब्रमण्यम ने शेयर बाजार की तेजी में निवेशकों से सजग रहते हुए निवेश करने की गुजारिश की, वहीं इकोनॉमिक सर्वे पेश करने के बाद भी शेयर बाजार में तगड़ी तेजी देखने को मिली. सेंसेक्स 36,410 के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया और निफ्टी भी 11,148 के स्तर पर जा पहुंचा. सबसे ज्यादा तेजी मारुति सुजुकी, एचडीएफसी, टीसीएस, एसबीआई, रिलायंस इंडस्ट्रीज, एचयूएल, आईटीसी, इंफोसिस जैसे शेयरों में देखने को मिली. लोगों के निवेश से शेयर बाजार नई ऊंचाइयां तो छू रहा है, लेकिन जब मुनाफावसूली होगी, तो क्या होगा?

तीन बार बन चुका है शेयर बाजार में बबल

ऐसा नहीं है कि शेयर बाजार में बबल बनने की आशंका पहली बार जताई गई है. इससे पहले भारतीय रिजर्व बैंक ने भी अगस्त 2017 में शेयर बाजार में लगातार आ रही तेजी को देखते हुए बबल बनने के आशंका जताई थी. हालांकि, केन्द्रीय बैंक ने यह भी साफ किया था कि अभी तक बबल बना नहीं है, लेकिन सजग रहने को जरूर कहा था. अप्रैल 1994 से अप्रैल 2017 तक 23 सालों का सेंसेक्स का इतिहास देखा जाए तो भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार तीन बार शेयर बाजार में बबल बन चुका है. पहला बबल जून 2005 से मई 2006 के बीच बना था, दूसरा बबल अगस्त 2006 से फरवरी 2008 के बीच बना था और तीसरा बबल आम चुनाव में मोदी सरकार की जीत के बाद अगस्त 2014 से फरवरी 2015 के बीच बना था.

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