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Updated: 21 सितम्बर, 2017 08:24 PM
राहुल मिश्र
राहुल मिश्र
  @rmisra
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अब से 13 साल पहले 2002 में रिलायंस समूह ने मोबाइल की दुनिया में अपने ‘कर लो दुनिया मुठ्ठी में’ के स्लोगन के साथ कदम रखा. तत्कालीन रिलायंस प्रमुख धीरू भाई अंबानी थे और सेलुलर कारोबार में उन्हें एक बात बिलकुल साफ थी कि उन्हें देश के आखिरी आदमी तक अपना मोबाइल फोन पहुंचाना है. आप अंबानी के इस सपने को देश का पहला डिजिटल इंडिया का प्रयास भी मान सकते हैं. उनकी कोशिश रंग लाई. वाकई देश में सब्जी वाले, ऑटो वाले और मोहल्ले में छोटा किराना स्टोर चलाने वाले से लेकर उसके सप्लायर तक की मुठ्ठी में मोबाइल फोन पहुंच गया. आज एक बार फिर वही कंपनी अपनी उसी रणनीति के तहत देश के आखिरी आदमी के हाथ में स्मार्ट फोन पहुंचाने की कवायद कर रही है.

13 साल पहले

रिलायंस ने अपना सीडीएमए सेलुलर धीरू भाई अंबानी के जन्मदिन 27 दिसंबर 2002 को लांच किया. रिलायंस की सेलुलर कंपनी रिलायंस इंफोकॉम की रणनीति देश के सेलुलर मार्केट पर हिरोशिमा और नागासाकी पर गिरे हाइड्रोजन बम की तरह साबित हुई. ऐसे समय में जब बाजार में सामान्य मोबाइल हैंडसेट की कीमत 10 से 15 हजार रुपये थी और मोबाइल से एक कॉल करने के लिए आपको 2 रुपये से अधिक खर्च करना पड़ता था, रिलायंस ने 600 रुपये में मोबाइल हैंडसेट और 15 पैसे प्रति कॉल दर पर अपना प्लान मार्केट में लांच कर दिया.

उस वक्त सेलुलर इंडस्ट्री में सरकारी दिग्गज बीएसएनएल के साथ-साथ एयरटेल, वोडाफोन, आइडिया, टाटा, एयरसेल, स्पाइस, और वर्जिन मोबाइल जैसी कंपनियां मौजूद थी. टेक्नोलॉजी के हिसाब से टाटा को छोड़कर ये सभी कंपनिया जीएसएम नेटवर्क में थी और रिलायंस देश में पहली बार बड़े पैमाने पर (देशव्यापी) सीडीएमए नेटवर्क के साथ मार्केट में प्रवेश कर रहा था.

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 रिलायंस का 'कर लो दुनिया मुठ्ठी में' का प्रचार

टेक्नोलॉजी में इस फर्क से एक तरफ तो बाकी कंपनियां आश्वस्त थीं क्योंकि तबतक देश में मोबाइल की ये टेक्नोलॉजी टेस्ट नहीं हुई थी (हालांकि विकसित देशों में यह टेक्नोलॉजी सफल करार दी गई थी लेकिन भारत में इसे लेकर संशय इसलिए था क्योंकि इसमें बड़े निवेश की जरूरत थी). दूसरी तरफ उन्हें धीरू भाई अंबानी जैसी शख्सियत से खासा डर था क्योंकि उन्हें अंबानी प्रमुख का देश की टेक्सटाइल इंडस्ट्री पर गिराया हाइड्रोजन बम किसी भयावह सपने की तरह उन्हें परेशान करता था.

सपना सच हुआ. अपने सीडीएमए लांच के लिए रिलायंस ने एक विशेष ट्रायल रन तैयार किया. देशभर में बड़े स्तर पर मार्केटिंग और एडवर्टाइजिंग का काम शुरू कर दिया गया. कर लो दुनिया मुठ्ठी में का स्लोगन पहली बार सुनने पर ही आम आदमी के दिमाग में घर कर रहा था. बड़ा निवेश और देशव्यापी नेटवर्क तैयार करने के नाम पर कंपनी ने कई बार लांच डेट को आगे बढ़ाया. इसका सीधा फायदा मार्केटिंग और एडवर्टाइजिंग की टीम को मिलता रहा. खास बात यह कि अपने इस ट्रायल के दौरान ही रिलायंस ने 20 लाख मोबाइल यूजर तैयार कर लिए. इस दौरान वह ट्रायल के नाम पर सरकार को किसी तरह के टैरिफ का भुगतान भी नहीं कर रहा था. जब रिलायंस का नेटवर्क ट्रायल रन से निकलकर लांच हुआ तो 15 फीसदी से अधिक की मोबाइल मार्केट पर उसका कब्जा बन गया.

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यह बात अलग है कि आगे चलकर कारोबार दो बेटों के बीच बटा. इस वक्त रिलायंस हैंडसेट देश की कंज्यूमर मानसिकता से भिड़ चुका था. हैंडसेट के साथ अपग्रेड और इंश्योरेंस स्कीम कंपनी को नुकसान पहुंचाने लगी. वहीं भारतीय बाजार में जीएसएम टेक्नोलॉजी प्रतिद्वंदी सीडीएमए के सामने ज्यादा कारगर साबित होने लगी. और रिलायंस का सेलुलर कारोबार यहीं मात खा गया. लेकिन इसमें कोई शक नहीं कि धीरू भाई अंबानी देश को मोबाइल नहीं सपना बेचना चाहते थे और उसे बेचने में वह पूरी तरह से सफल हुए थे.

13 साल बाद

मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी में कंपनी के बंटवारे के बाद मोबाइल का कारोबार बड़े भाई मुकेश के हाथ लगा. इसे नए सिरे से शुरू करने के लिए रिलायंस ने नई कंपनी रिलायंस जियो लांच की. रिलायंस जियो बीते एक साल से सुर्खियों में है. अपना 4जी मोबाइल नेटवर्क को कंपनी ने एक बार फिर धीरू भाई अंबानी के जन्मदिन 27 दिसंबर 2015 के मौके पर लांच किया.

रिलायंस का 4जी प्लान एक बार फिर मोबाइल हैंडसेट के सहारे बाजार में उतर रहा है. जहां बाजार में किसी भी बढ़ियां 4जी स्मार्टफोन की कीमत 10,000 रुपये से कम नहीं हैं, जियो ने ट्रायल पीरियड के दौरान महज 4000 रुपये में लिफ नाम से अपने हैंडसेट की पेशकश की है. बाजार में इससे बड़ा तलहका जियों के डेटा और कॉलिंग प्लान ने मचाया है. कंपनी ने पहले 90 दिन के लिए कंज्यूमर को फ्री ऑफ कॉस्ट अनलिमिटेड डेटा ऑफर किया है.

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रिलायंस जियो हेडक्वार्टर, मुंबई

इस कदम से देशभर में रिलायंस का हैंडसेट और 4जी कनेक्शन लेने के लिए मोबाइल स्टोर पर लाइन लग गई है. वहीं बीते एक साल के दौरान कंपनी ने लगातार कई बार अपने लांच डेट को आगे बढ़ाया है और उसका दावा है कि वह बड़े स्तर पर अपनी टेक्नोलॉजी को टेस्ट कर रहा है जिससे आगे चलकर दिक्कत का सामना न करना पड़े.

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क्यों न सवाल उठाएं बाकी कंपनियां

तेरह साल पहले जिस रणनीति के साथ रिलायंस बाजार में उतरा था आज उसी रणनीति पर कंपनी दोबारा काम कर रही है. ऐसे में जाहिर है बाकी मोबाइल कंपनियां सवाल खड़ा करेंगी. आज बाजार में रिलायंस के अलावा एयरटेल, वोडाफोन और आइडिया जैसी बड़ी मोबाइल कंपनियां मौजूद हैं. इस बार उन्हें किसी अनजान टेक्नोलॉजी से राहत मिलने का भी अनुमान नहीं है. लिहाजा उनका सवाल करना उचित है कि क्या एक बार फिर रिलायंस ने सरकार के खर्च पर अपने ट्रायल रन के दौरान बड़ा यूजर बेस खड़ा करने की योजना बनाई है? अब इसमें बाकी कंपनियों की कितनी सुनी जाती है यह तो वक्त बताएगा लेकिन फिलहाल इतना तय हैं कि एक बार फिर रिलायंस ने सेलुलर इंडस्ट्री पर हाइड्रोजन बम गिराने सरीखे काम किया है जिसका बड़ा फायदा उसे देखने को मिलेगा.

लेखक

राहुल मिश्र राहुल मिश्र @rmisra

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में असिस्‍टेंट एड‍िटर हैं

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