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Updated: 31 मार्च, 2016 05:59 PM
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पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई (ISI) दुनिया की सबसे बदनाम एजेंसियों में से एक है. लेकिन क्या किसी देश की कोई भी एजेंसी किसी दूसरे देश के बैंक को इसलिए भी निशाना बना सकता है कि वहां से करोड़ों रुपये चोरी किए जा सके. देश के राष्ट्रीय सुरक्षा ढांचे (नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल) ने रिजर्व बैंक के लिए अलर्ट जारी किया है जिसमें कहा गया है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी रिजर्व बैंक समेत देश के अन्य बैंकों को निशाना बना सकती है.

यह अलर्ट बांग्लादेश के रिजर्व बैंक से फरवरी में चोरी हुए 536 करोड़ रुपये के बाद जारी किया गया है. इस चोरी में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी का हाथ होने की आशंका जताई गई है. ग्लोबल न्यूज एजेंसी रॉयटर के मुताबिक कुछ अज्ञात हैकरों ने बांग्लादेश के केन्द्रीय बैंक के कंप्यूटर सिस्टम में सेंध लगाकर 536 करोड़ रुपये की इस रकम को फिलि‍पीन्स स्थित कुछ कैसीनो के अकाउन्ट में ट्रांसफर कर दिया था. यह साइबर जगत की अबतक की सबसे बड़ी चोरी है.

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साइबर क्राइम

रॉयटर के मुताबिक हैकरों ने बांग्लादेश के केन्द्रीय बैंक में विदेशी मुद्रा भंडार के खाते से 6000 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम चुराने की कोशिश की थी. हालांकि 536 करोड़ रुपये फिलीपीन्स ट्रांसफर करने के बाद जब उन्होंने 125 करोड़ रुपये श्रीलंका स्थित एक खाते में ट्रांसफर करने की कोशिश में खाताधारक के नाम की गलत स्पेलिंग दर्ज कर दी तब अमेरिका के फेडरल रिजर्व बैंक में अलार्म बज गया. जिसके चलते हैकर्स पर अमेरिकी बैंक सावधान हो गया और वे बाकी की रकम नहीं ट्रांसफर कर सके.

देश के राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े बड़े अधिकारियों का मानना है कि उनके पास इस बात की सूचना है कि बांग्लादेश के केन्द्रीय बैंक से हुई इस चोरी की रकम को जिन बैंक खातों में ट्रांसफर किया गया है उनका तार पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी से जुड़े हैं. लिहाजा, सुरक्षा एजेंसी ने रिजर्व बैंक से यह आशंका जताई है कि आने वाले दिनों में पाकिस्तानी एजेंसी इस तरह की हैकिंग से भारतीय बैंकों पर भी निशाना साध सकती है. इस अलर्ट के बाद से रिजर्व बैंक ने अपने कंप्यूटर नेटवर्क समेत देश के समूचे बैंकिंग नेटवर्क पर निगरानी बढ़ा दी है.

अब सवाल यह है कि क्या पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई पर सेना और सरकार की पकड़ इतनी कमजोर पड़ चुकी है कि वह दुनियाभर के बैंकों में चोरी करने की घटना को अंजाम दे रही है. या फिर वैश्विक आतंकवाद को बढ़ाने की पाकिस्तानी नीति के सामने फंडिग की बड़ी चुनौती है जिसके चलते वह दुनियाभर के बैंकों को निशाना बना रहा है. मामला कुछ भी हो, लेकिन इतना साफ है कि अगर किसी देश की खुफिया या कोई एजेंसी वैश्विक स्तर पर ऐसी घटनाओं को अंजाम देने की नियत रखते हैं तो उनसे सख्ती से निपटने की जरूरत है. इसमें अब कोई शक नहीं बचा है कि ऐसी घटनाओं के चलते ही पाकिस्तान बीते कई दशकों से दुनियाभर में आतंकवाद का विस्तार कर रहा है.

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