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Updated: 30 जून, 2017 12:49 PM
श्रुति दीक्षित
श्रुति दीक्षित
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जीएसटी के मामले में आईचौक के पास जो भी सवाल आए हैं उनमें सबसे ज्यादा इस बात पर जोर दिया गया है कि नेटबैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग और पेटीएम जैसे मोबाइल वॉलेट पर जीएसटी लगने के बाद क्या असर पड़ेगा. तो चलिए आज हम आपको बताते हैं नेटबैंकिंग और मोबाइल वॉलेट पर पड़ने वाले असर को...

नेटबैंकिंग...

देखिए बैंकिंग सर्विसेज पर जीएसटी जो है वो पहले के मुकाबले ज्यादा लगेगा. पहले बैंकिंग सर्विसेज पर जो चार्ज लगता था वो अब ज्यादा लगेगा. ये असर सिर्फ आम बैंकिंग पर नहीं बल्कि नेटबैंकिंग पर भी पड़ेगा. हालांकि, नेटबैंकिंग आपको ब्रांच पर जाकर काम करवाने से ज्यादा सुविधाजनक पड़ेगी.

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अगर चार्ज की बात करें तो NEFT (नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर सिस्टम), RTGS (रियल टाइम ग्रॉस सेटेलमेंट), IMPS (इमिडिएट पेमेंट सर्विस) जैसे ट्रांजैक्शन के लिए यूजर पर चार्ज लगाती है. अधिकतर ऐसे चार्ज क्वार्टरली लगते हैं. जैसे SMS जो यूजर्स को भेजे जाते हैं ऐसे किसी भी ट्रांजैक्शन के लिए उसके लिए 15 रुपए हर तीन महीने में कटते हैं.

10000 रुपए तक के ऑनलाइन NEFT ट्रांजैक्शन पर 2.50 रुपए फीस और सर्विस टैक्स (जो अभी 14.5% है) लगता है. ये टैक्स फीस पर लगता है मतलब 2.50 रुपए का 14.5% जो कुल 36 पैसे होगा. मतलब 10000 रुपए तक के NEFT ट्रांजैक्शन पर 2.86 रुपए तक का चार्ज लगता है.

अगर मैं 1.5 लाख का कोई IMPS ट्रांजैक्शन कर रही हूं तो उसपर मुझे 15 रुपए फीस लगेगी इसके बाद 14.5% टैक्स (15 रुपए का 14.5% यानी 2.18 रुपए), तो कुल 17.18 रुपए उस ट्रांजैक्शन पर मुझे देना होगा.

जीएसटी के बाद ये 14.5% की जगह 18% लगेगा यानी 2.70 रुपए टैक्स लगेगा. मतलब कुल 0.5 पैसे की बढ़त.

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जीएसटी के बाद हर ट्रांजैक्शन की फीस ऐसी हो जाएगी...

ये चार्ज बहुत नॉमिनल है और इसी कारण नेटबैंकिंग आपके लिए फायदेमंद साबित होगी. कुछ-कुछ ऐसा ही असर मोबाइल बैंकिंग पर भी पड़ेगा.

मोबाइल वॉलेट इस्तेमाल करने में....

मोबाइल वॉलेट को लेकर जीएसटी के रूल्स अभी साफ नहीं किए गए हैं, लेकिन पेटीएम ने अपनी तैयारी शुरू कर दी है. इसकी घोषणा उसने अपने ब्लॉग में भी कर दी है.

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अगर हम ट्रांजैक्शन फीस की बात करें तो ये बिलकुल वैसी ही होगी जैसी फाइनेंशियल सर्विसेज के लिए लगती है. मतलब पेटीएम वॉलेट की फाइनेंशियल सर्विसेज (पेटीएम बैंक, पेटीएम से बैंक ट्रांजैक्शन) आदि 18% के स्लैब में आएंगी. इसका फर्क भी नेटबैंकिंग की तरह ही होगा यानि आपको 30 पैसे से 1 रुपए तक चार्ज एक्स्ट्रा देना पड़ सकता है.

अगर पेटीएम स्टोर की बात करें तो ये कुछ-कुछ वैसा ही असर होगा जैसा ईकॉमर्स साइट्स पर पड़ रहा है. और इसके बाद डिस्काउंट, कैशबैक, रिटर्न पॉलिसी में थोड़े बदलाव की उम्मीद की जा सकती है.

ई-कॉमर्स कंपनियां अपने प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करने वाले सप्लायर्स को भुगतान करने से पहले टैक्स काटेंगी. यह अधिकतम 2 फीसदी होगा. इसमें 1 फीसदी सीजीएसटी और 1 फीसदी एसजीएसटी. इसका इनडायरेक्ट असर आम आदमी पर पड़ेगा जिसे प्रोडक्ट महंगा मिल सकता है, डिस्काउंट और कैशबैक कम हो सकते हैं और रिटर्न पॉलिसी थोड़ी पेचीदा हो सकती है. हालांकि, इसपर पूरी तरह से कोई दावा नहीं किया जा सकता है कि ये असर कैसा होगा.

नोट: ये जानकारियां Govt. पोर्टर्ल्‍स से ली गई हैं. इसे किसी भी तरह की लीगल एड्वाइस ना माना जाए.

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लेखक

श्रुति दीक्षित श्रुति दीक्षित @shruti.dixit.31

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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