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Updated: 15 नवम्बर, 2017 11:24 AM
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बाजार में ग्राहकों को दुकानों में जाने के बजाए ऑनलाइन शॉपिंग एक बेहतर विकल्प के रूप में सामने आया है. ई-कॉमर्स का बाजार दिन-प्रतिदिन बाजार में अपनी पैठ बनाते जा रहे हैं. लेकिन ग्राहकों को लुभाने की गला-काट प्रतियोगिता में आगे रहने के लिए अब ई-कॉमर्स कंपनियां साम-दाम-दंड-भेद सब इस्तेमाल कर रहे हैं. इस चक्कर में कंपनियां, नैतिक-अनैतिक हर तरीके के इस्तेमाल करने से पीछे नहीं रहतीं.

ऐसी एक धोखाधड़ी का मामला उत्तरप्रदेश पुलिस के सामने आया है. उत्तर प्रदेश पुलिस के विशेष टास्क फोर्स (एसटीएफ) के अनुसार, एक प्रमुख ऑनलाइन रिटेल कंपनी ने शिकायत उनके पास शिकायत की है कि प्रतिद्वंदी कंपनी आकर्षक सौदों के साथ पोर्टल के विक्रेताओं को अपनी तरफ खींचने की कोशिश कर रहा है.

online data, shoppingडाटा चोरी एक आम बात है

एसटीएफ ने प्रारंभिक जांच में पाया है कि शिकायतकर्ता कंपनी के डाटा से छेड़छाड़ की गई है और इस क्षेत्र के अन्य कंपनियां इसका इस्तेमाल अपने फायदे के लिए कर रही हैं. ई-टेलर कंपनी का कहना है कि प्रतिद्वंदी कंपनियों ने उनके वेबसाइट से जुड़े एक लाख से अधिक विक्रेताओं से ईमेल के जरिए संपर्क किया है. प्रतिद्वंद्वियों को फर्म के इन विक्रेताओं के साथ के अनुबंध की शर्तों की पूरी जानकारी थी. और वो उन्हें अपनी तरफ खींचने के लिए ज्यादा कमीशन देने का लालच दे रहे हैं.

मामले की जांच कर रही एसटीएफ के अतिरिक्त अधीक्षक त्रिवेणी सिंह ने कहा, "हमें शिकायत मिली है. और प्रारंभिक जांच के बाद ये पूरा मामल कॉर्पोरेट राइवेलरी का प्रतीत हो रहा है. जिसमें कंपनी का डाटा को लीक किया गया है." उन्होंने कहा कि- "ई-रिटेलर एक प्लेटफॉर्म है जहां सभी विक्रेता अपने प्रोडक्ट का बिजनेस करते हैं. इसमें विक्रेता ऑनलाइन पोर्टल के साथ एक कॉन्ट्रेक्ट करते हैं और उन्हें कमीशन देते हैं. ये सारी बातें गोपनीय होती हैं. लेकिन प्रारंभिक जांच से पता चलता है कि कंपनी के डाटा के साथ छेड़छाड़ किया गया है. एक कॉर्पोरेट सेक्टर में जासूसी और डाटा लिक जैसे अनैतिक काम करना एक आम बात है. लेकिन ये अवैध है."

इसमें अंदर के ही किसी आदमी का हाथ होने का शक है. "डाटा का उल्लंघन किसी कर्मचारी के सहयोग के बिना संभव नहीं है. डाटा में विक्रेता के पते और ईमेल आईडी के साथ-साथ कॉन्टेक्ट डिटेल भी मौजूद हैं. यहां तक की उन्हें कॉन्ट्रैक्ट से जुड़ी सारी सूचनाएं पता थीं. इसके बदले ही वो विक्रेताओं को ज्यादा आकर्षक सौदों की पेशकश कर रहे हैं."

online data, shoppingसावधानी हटी दुर्घटना घटी

इसी तरह की एक कानूनी लड़ाई में पेटीएम की ईकॉमर्स शाखा पेटीएम मॉल ने पिछले महीने अपने विक्रेताओं को नोटिस जारी किया कि उन्हें स्नैपडील के स्वामित्व वाले यूनिकॉम सॉल्यूशंस के किसी भी उत्पाद का कोई प्रयोग न करे. नोटिस में पेटीएम मॉल ने कहा कि इस नोटिस को अनदेखा करने वाले वेंडरों इसके लिए कोर्ट में घसीटा जा सकता है. पिछले साल पेटीएम ने स्नैपडील की सब्सिडरी कंपनी पर डाटा चोरी का आरोप लगाते मामला कोर्ट में लेकर गया था. लेकिन बाद में उन्होंने केस वापस ले लिया था.

यूनीकॉमर्स ई-पोर्टल्स के लिए सेलर्स और कमीशन का बिजनेस मॉडल बनाती है. लेकिन ग्राहकों को आकर्षित करने के बजाय, अब कथित तौर कंपनियां अपने प्रतिद्वंद्वियों के विक्रेताओं को तोड़ने की जुगत लगा रही हैं.

एक ऑनलाइन पोर्टल से डाटा लिक होना कोई नई बात नहीं है. रेस्टोरेंट खोजने और खाना होम डिलीवरी करने वाले फर्म जोमैटो के इस साल सुरक्षा में सेंध से रूबरू होना पड़ा था. कंपनी के डाटाबेस से 17 मिलियन से अधिक उपयोगकर्ताओं के रिकॉर्ड चोरी हो गए थे. इसमें कस्टमर के ईमेल एड्रेस और पासवर्ड थे.

इस तरह की घटनाओं को देखते हुए भारत में अब विस्तृत ई-कॉमर्स पॉलिसी लाने पर विचार किया जा रहा है. इसके जरिए ग्राहकों के हितों की रक्षा की जाएगी और निर्यात को बढ़ावा दिया जाएगा. डिजीटल इंडिया बनाने को प्रतिबद्ध सरकार के सामने इस तरह की अनैतिक ऑनलाइन गतिविधियां बड़ा सिरदर्द साबित हो रही हैं. यही कारण है कि सरकार अब इस तरह के मामलों को पूरी गंभीरता से ले रही है.

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