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Updated: 15 नवम्बर, 2016 02:31 PM
राहुल मिश्र
राहुल मिश्र
  @rmisra
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भारत और पाकिस्तान में आर्थिक विकास की दौड़ को देखें तो आप कहेंगे यहां खरगोश की रफ्तार से दौड़ने वाले भारत की जीत हुई है. पाकिस्तान सुस्त कछुए की चाल पर चलता रहा और कहीं बहुत पीछे छूट चुका है. लेकिन अब ये हकीकत नहीं है. एक बार खरगोश और कछुए की दौड़ में फिर नियति वाला नतीजा निकला है. कछुए की चाल वाले पाकिस्तान ने यकीन मानिए भारत को अंतरराष्ट्रीय व्यापार में सदियों पीछे छोड़ने की शुरुआत कर दी है.

कुछ घंटों पहले अंतरराष्ट्रीय व्यापार के दशकों पुराने रास्ते में एक नया रास्ता जुड गया. इस नए रास्ते के केन्द्र पर पाकिस्तान है. चीन ने अरब सागर में पाकिस्तान के तट पर ग्वादर पोर्ट का काम पूरा कर लिया है. रविवार रात और फिर सोमवार शाम ग्वादर पोर्ट पर चीन के दो जहाज पहुंचे जिनपर चीन और पाकिस्तान में निर्मित सामानों को लादकर दक्षिण एशिया, और खाड़ी देशों और अफ्रीका के लिए रवाना किया गया.

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पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ अपनी सरकार के आला अधिकारियों और सेना प्रमुख राहिल शरीफ के साथ ग्वादर पोर्ट पर जहाजों के स्वागत के लिए खड़े थे. इस्लामाबाद में चीन की एंबेसी के अधिकारी शरीफ के साथ थे. इन जहाजों के पहुंचने के साथ ही दुनिया का एक नया ट्रेड रूट हकीकत बन गया.

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 ग्वादर पोर्ट पहुंचा पहला चीनी जहाज

पाकिस्तान और चीन ने इंटरनैशनल ट्रेड के एतिहासिक सिल्क रूट पर काम करते हुए ग्वादर पोर्ट का पुनर्निर्माण किया है. योजना के मुताबिक इस पोर्ट को सड़क के रास्ते चीन के काशगर शहर से जोड़ते हुए चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) हकीकत में बदल दिया गया है.

इस पोर्ट के ऑपरेशनल होने के बाद अब चीन को अंतरराष्ट्रीय ट्रेड रूट में बड़ा फायदा हुआ है. सामान से लदे उसके जहाजों अब पूरी दुनिया का चक्कर काटने से बच जाएंगे. चीन की फैक्ट्रियों से निकले सामान सड़क के रास्ते पाकिस्तान ग्वादर पोर्ट पहुंच सकेंगे. यहां से उन्हें खाड़ी देशों से लेकर एशिया और अफ्रीका के पोर्ट तक कम लागत और कम समय में पहुंचाया जा सकेगा.

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पाकिस्तान के लिए यह परियोजना गेमचेंजर साबित हो सकती है. जहां चीन से दुनियाभर तक माल भेजने में उसकी अहम भूमिका रहेगी वहीं चीन के साथ यह दोस्ती पाकिस्तान को एतिहासिक सिल्क रूट के केन्द्र में बैठाने जैसा है. इस मौके का फायदा पाकिस्तान ग्लोबल ट्रेड में खुद के लिए कारोबारी मौके तलाश कर कर सकता है.

पाकिस्तान और चीन की दोस्ती में भारत एक कॉमन विलेन है. बीते कुछ वर्षों में चीन और पाकिस्तान के बीच राजनीतिक और सैन्य संबंध मजबूत हुए हैं. इस परियोजना से चीन और पाकिस्तान ने अरब सागर और हिंद महासागर में भारत और अमेरिका की पकड़ को कमजोर करने की नीयत से किया है.

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 नवाज शरीफ ने ग्वादार पोर्ट का किया उद्घाटन

पाकिस्तान और चीन ने नजदीकी बढ़ाते हुए नए ग्लोबल ट्रेड रूट को हकीकत में बदला और पाकिस्तान के लिए नई संभावनाओं का रास्ता साफ कर दिया है. वहीं भारत की मौजूदा सरकार ने बीते ढ़ाई साल से मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत देश को ग्लोबल मैन्यूफैक्चर्र बनाने की दिशा में काम किया. इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने दुनिया की सभी आर्थिक शक्तियों से कई बार मुलाकात की लेकिन देश में बड़ा निवेशक लाने में विफल रहे हैं.

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इस नए ट्रेड रूट में मौजूद कारोबारी संभावनाओं को देखते हुए कहा जा सकता है कि वह दिन अब ज्यादा दूर नहीं है कि वैश्विक व्यापार को बढ़ाने की दौड़ में भारत दिशाहीन प्रयासों से थकान महसूस करेगा और पाकिस्तान एक दांव में उससे आगे निकलने की कवायद कर देगा.

लेखक

राहुल मिश्र राहुल मिश्र @rmisra

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में असिस्‍टेंट एड‍िटर हैं

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