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Updated: 05 जुलाई, 2018 06:58 PM
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इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की आखिरी तारीख 31 जुलाई है. हर साल लाखों लोग अपना टैक्स रिटर्न फाइल करते हैं, लेकिन कई मामलों में सैलरी पाने वाले कर्मचारियों के लिए ये बहुत जरूरी हो जाता है. टैक्स रिटर्न फाइल करने वाले कर्मचारियों को ये जानना जरूरी है कि हर साल टैक्स रिटर्न भरना उनके लिए कितना जरूरी है. जैसे-जैसे डेडलाइन पास आ रही है वैसे-वैसे इनकम टैक्स डॉक्युमेंट इकट्ठा करना, अपने फॉर्म 16 के बारे में पता करना ये सब शुरू हो जाता है और लोग CA के पास चक्कर लगाना भी शुरू कर देते हैं. साल दर साल इनकम टैक्स के नियम ज्यादा कड़े हो गए हैं और रिटर्न फाइल करने पर रखी जाने वाली सावधानियां भी बढ़ गई हैं. सैलरी पाने वाले कर्मचारियों के लिए रिटर्न फाइल करना बहुत जरूरी होता है और इसलिए आज हम बात करते हैं 5 ऐसी चीजों के बारे में जो इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने वाले हर कर्मचारी को पता होनी चाहिए.

1. इनकम का सोर्स बताना न भूलें..

सैलरी क्लास कर्मचारी के लिए ये बहुत जरूरी है कि वो अपनी हर इनकम का सोर्स ध्यान से ITR फॉर्म में भरे. भले ही इनकम म्यूचुअल फंड से हुई हो या फिर किसी अन्य सोर्स से इसके बारे में जानकारी देना जरूरी है. अगर ऐसा नहीं किया तो अच्छी खासी पेनल्टी लग सकती है. जो इनकम टैक्स के दायरे में नहीं आती हैं उन्हें भी बताना बहुत जरूरी है. जैसे-जैसे नियम ज्यादा सख्त हो रहे हैं वैसे-वैसे ई-फाइलिंग प्रोसेस भी आसान किया जा रहा है, लेकिन अगर जल्दी-जल्दी में भी एक भी इनकम छोड़ दी जाती है तो इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है.

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2. गलत ITR फॉर्म भरना..

ये सबसे आम गलती है जो अक्सर लोग अपना ITR भरते समय कर देते हैं. ये बहुत जरूरी है कि आप सही ITR फॉर्म भरें. आपकी आय के आधार पर बहुत से इनकम टैक्स फॉर्म होते हैं जिन्हें सही भरना जरूरी होता है. बिजनेसमैन के लिए अलग ITR फॉर्म होगा और सैलरी वाले कर्मचारी के लिए अलग. सैलरी पाने वाले लोगों के लिए ITR 1 फॉर्म होता है और वो कर्मचारी जिन्हें सैलरी के साथ-साथ निवेश पर कैपिटल गेन भी मिलता है उनके लिए ITR 2 फॉर्म होता है. गलत आईटीआर फॉर्म भरने पर नोटिस भी आ सकता है.

3. देरी से बचें...

ये सिर्फ सैलरी पाने वाले कर्मचारियों के लिए ही नहीं बल्कि सबके लिए है. सैलरी पाने वाले कर्मचारियों के लिए ये ज्यादा जरूरी इसलिए हो जाता है क्योंकि उन्हें सैलरी के आधार पर ही लोन आदि मिलता है साथ ही इससे क्रेडिट कार्ड स्कोर पर भी फर्क पड़ता है. ITR लेट भरने की पेनल्टी 5000 रुपए है. अगर दिसंबर 31 तक आईटीआर फाइल नहीं किया तो आपको 5000 का जुर्माना देना होगा. अगर वो डेडलाइन भी मिस हो गई तो 10 हज़ार का जुर्माना लगेगा. लेट भरने के कारण टैक्स रिफंड पर मिलने वाले इंट्रेस्ट से भी हाथ धोना पड़ेगा.

4. दो जरूरी फॉर्म..

अगर आपको इस फॉर्म के बारे में नहीं पता तो आपको बता दूं कि इस फॉर्म के जरिए आपको नोटिस भी आ सकता है. अगर आपके फाइल किए हुए रिटर्न में और इस फॉर्म में कुछ अंतर समझ आया तो कार्यवाही के लिए तैयार रहें. अगर आपने अभी तक एक भी बार रिटर्न फाइल नहीं किया है तो इसमें कोई एंट्री नहीं दिखेगी. आप पहली बार रिटर्न भरने के लिए किसी एक्सपर्ट की मदद ले सकते हैं.

क्या है ये फॉर्म?

इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 203AA के अंतरगत इस फॉर्म को लॉन्च किया गया है और इसमें वो सारी जानकारी होती है जिसमें TDS (टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स), बैंक इंट्रेस्ट, किराएदारों का रेंट और बाकी सभी चीजों की जानकारी होती है जहां आपका टैक्स कटा है.

अगर आपने एडवांस में टैक्स भर दिया है तो फॉर्म 26AS देखकर आप टैक्स रिफंड क्लेम कर सकते हैं.

फॉर्म 16

अगर आप कर्मचारी हैं और आपको मंथली सैलरी मिलती है तो फॉर्म 16 आपको आपके एम्प्लॉयर से मिल जाएगा. अगर 1 साल में आपने 1 से अधिक कंपनियों में काम किया है तो फॉर्म 16 एक से अधिक होंगे.

ये दोनों ही फॉर्म इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते समय काम आते हैं और सैलरी क्लास कर्मचारियों के लिए इनका होना बहुत जरूरी है. फॉर्म 16 और फॉर्म 26As सैलरी क्लास कर्मचारियों के लिए वित्तीय वर्ष का लेखा-जोखा होता है.

5. इनकम टैक्स रिटर्न फाइल जरूर करें...

अगर आपकी सैलरी इनकम टैक्स के दायरे में नहीं आती है तो भी ये जरूरी है कि आप इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करें. इसके कई फायदे होते हैं.

- इनकम टैक्स रिटर्न भरने का सबसे बड़ा फायदा है लोन का. बैंक लोन देने के समय टैक्स रिटर्न का प्रूफ मांगते हैं. इससे ये साबित होता है कि आप अपने वित्तीय मामलों में सही हैं और इससे लोन मिलना आसान हो जाता है.

- दूसरा फायदा है वीजा एप्लिकेशन के लिए. ये सबसे बेहतर काम तब आता है जब आप किसी फाइनेंशियल काम से यानी जॉब या बिजनेस के सिलसिले में बाहर जा रहे हों.

- अगर आप अपना कोई घर खरीदना चाहते हैं आपकी सैलरी 30000-35000 के बीच है और किसी वजह से आप रिटर्न फाइल नहीं कर पाए हों तो भी ये गलत माना जाएगा.

- मान लीजिए आपकी सैलरी टैक्स लिमिट से कम है, लेकिन किसी तरह से आपने म्यूचुअल फंड या शेयर मार्केट या किसी अन्य फाइनेंशियल स्कीम में इन्वेस्ट किया है तो रिटर्न फाइल करने से उस तरह की आय या नुकसान को अगले वित्तीय वर्ष में ले जाना आसान होगा.

- अगर आप फ्री लांसिंग का काम कर रहे हैं या फिर आपकी सैलरी टैक्सेबल इनकम से कम है, लेकिन फिर भी आपकी कंपनी ने टीडीएस काटा हुआ है तो कायदे से आप रिफंड के हकदार हैं. इसलिए इनकम टैक्स रिफंड फाइल करना भी जरूरी है.

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