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Updated: 10 दिसम्बर, 2021 08:43 PM
अनुज शुक्ला
अनुज शुक्ला
  @anuj4media
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एक एक्टर के रूप  में सिद्धांत चतुर्वेदी को अब किसी पहचान की जरूरत नहीं है. 'लाइफ सही है' और 'इनसाइड एज' जैसी वेबसीरीज से अभिनय यात्रा शुरू करने वाले सिद्धांत बड़ी-बड़ी फिल्मों में नजर आने लगे हैं. एक्टर ने रणवीर सिंह की गली बॉय में एमसी शेर नामके रैपर का दमदार एक्ट किया और खूब शोहरत बटोरी. इसके बाद हाल ही में वे बंटी और बबली 2 में सैफ-रानी मुखर्जी के सामने दूसरे लीड पेयर में दिखे. यह फिल्म चली नहीं, इस वजह से चर्चा भी नहीं है. फिलहाल उनकी दो फ़िल्में बनकर तैयार हैं जो अगले साल तक रिलीज हो सकती हैं. इनमें से एक फोन बूथ और एक शकुन बत्रा के साथ अनटाइटल्ड फिल्म है. सिद्धांत के पास कई और बड़े प्रोजेक्ट भी बताए जा रहे हैं. कई नए के साथ उनके जुड़ने की चर्चाएं आती रहती हैं.

एक उभरता कलाकार अगर इस तरह व्यस्त है तो यह अच्छा है. मगर सिद्धांत का किसी हिट फ्रेंचाइजी से गायब होना चौंकाने वाली बात है. हाल ही में अमेजन प्राइम वीडियो पर इनसाइड एज का तीसरा सीजन स्ट्रीम हो रहा है. इसमें सिद्धांत नजर नहीं आए. जबकि लाइफ सही है के बाद यही वो शो है जिसने सिद्धांत को व्यापक पहचान दिलाई. इनसाइड एज के पहले दो सीजन में सिद्धांत ने प्रशांत कनौजिया नाम के तेज गेंदबाज का रोल किया था. उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाके से आने वाले कैरेक्टर के माध्यम से क्रिकेट की कहानी में जाति के दखल को बखूबी दिखाया गया.

inside edge 3सिद्धांत चतुर्वेदी और अमित सियाल के जरिए क्रिकेट के खेल में जातिवाद को दिखाया गया है. फोटो- अमेजन प्राइम वीडियो/IMDb से साभार.

प्रशांत कनौजिया की कहानी ने इनसाइड एज के तमाम एपिसोड्स को प्रभावशाली बनाया और सीरीज में एक अलग तरह के थ्रिल की गुंजाइश बनी. कई सारे ट्विस्ट जुड़ते चले गए थे. दोनों सीजंस में अगर उनके कैरेक्टर को निकाल दिया जाए तो स्पिन गेंदबाज देवेन्द्र मिश्रा (अमित सियाल) के किरदार की जरूरत ही नहीं रह जाती. देवेन्द्र मिश्रा एक शक्तिशाली और ठेठ किरदार है. देवेन्द्र ब्राह्मण क्रिकेटर हैं जो बुरी तरह से जातिवादी है. दोनों के बीच जाति आधारित संघर्ष ने क्रिकेट की कहानी को सोशियो-पॉलिटिकल थ्रिल में बदल दिया था.

हो सकता है कि फ़िल्मी व्यस्तता की वजह से सिद्धांत का वेब सीरीज में काम करना संभव ना हो सका हो. या स्टारडम हासिल करने के बाद मेकर्स के सामने उनकी अपेक्षाएं कुछ बढ़ गई हों. एक्टिंग फ्रंट पर होने की वजह से उन्हें हिट शो के तीसरे सीजन का हिस्सा बनने की कोशिश करनी चाहिए थी. जहां तक बात मेकर्स की है तो भला कौन नहीं चाहेगा कि एक स्टार उनकी कहानी का चेहरा बने.

अहम कैरेक्टर के जाने से इनसाइड एज 3 की कहानी लड़खड़ा गई!

यह लगभग साफ है कि सिद्धांत का किरदार अब शायद ही हिट फ्रेंचाइजी में दिखे. इसकी सही-सही वजह तो नहीं पता, लेकिन ताज्जुब होता है कि जब अक्षय कुमार, रितिक रोशन, शाहरुख खान और अजय देवगन जैसे बड़े-बड़े सितारे भी ओटीटी और शोज की तरफ ललचाए दौड़ रहे हैं- एक जमा-जमाया एक्टर जमे-जमाए शो से अलग हो गया. तीसरे सीजन में सिद्धांत चतुर्वेदी के कैरेक्टर की भरपाई कश्मीर के हाई प्रोफाइल मिस्टीरियस स्पिनर इमाद अकबर (सिद्धांत गुप्ता) से की गई है. कहानी में कश्मीरी एंगल होने के बावजूद पिच और उससे बाहर वैसा थ्रिल और इमोशन देखने को नहीं मिला जो प्रशांत कनौजिया को दो सीजन के 19 एपिसोड में देखते वक्त मिलता था.

इमाद के रूप में सिद्धांत गुप्ता का काम अपनी जगह ठीक है. लेकिन जिन्होंने पहले दो सीजन देखे हैं उन्हें मालूम है कि तीसरे सीजन में क्या फर्क बड़ा बनकर सामने आ रहा है. तीसरा सीजन, पहले दो सीजन के मुकाबले बहुत ही कमजोर, साधारण और प्रभावहीन नजर आता है. प्रशांत कनौजिया के अलावा अरविंद वशिष्ठ (अंगद बेदी) का किरदार भी मिसिंग है. दूसरी बात विक्रांत धवन (विवेक ओबेरॉय), जरीना मलिक (ऋचा चड्ढा) जैसे कैरेक्टर्स अंडरप्ले दिखते हैं. कम से कम पहले दो सीजंस के मुकाबले असरदार तो नहीं कहे जा सकते.

देवेंदर मिश्रा (अमित सियाल) सबसे दिलचस्प कैरेक्टर थे, मगर उन्हें भी तीसरे सीजन में कम स्पेस मिला. हालांकि पहले की ही तरह वे पूरी रौ में हैं. इनसाइड एज में जो पंचर बन गया वो कहीं ना कहीं जमे-जमाए किरदारों के हटने और कुछ के अंडरप्ले हो जाने की वजह से दिखता है. लगता तो यही है कि तमाम बदलाव एडजस्ट करने में तीसरे सीजन की कहानी गच्च-पच्च हो गई. बदलाव इसलिए सहज नहीं हो पाए कि इनसाइड एज के कैरेक्टर एक-दूसरे पर डिपेंडेंट हैं. इनसाइड एज देखते हुए किसी को मुख्य किरदार नहीं कहा जा सकता. ये शो "कई सारे एक्ट्स का गुच्छा" है. एक किरदार के हटने का मतलब है स्वाभाविक रूप से दूसरे किरदार का कमजोर हो जाना.

लेकिन भले ही तीसरा सीजन पहली दो कड़ियों के मुकाबले कमजोर है पर इसका मतलब यह नहीं कि नया सीजन पूरी तरह से निरर्थक है. अगर सर्वश्रेष्ठ भारतीय वेब सीरीज की कोई लिस्ट बनाई जाए तो उसमें ब्रीद (पहला सीजन) और द इनसाइड एज (सभी सीजन) सबसे ऊपर होने चाहिए. क्योंकि इन दोनों सीरीज का क्राफ्ट और क्लास इन्हें भीड़ से अलग करता है. दोनों में जिस कहानी के जरिए रोमांच, सस्पेंस और थ्रिल बुना गया है वह बहुत मुश्किल काम है.

द फैमिली मैन और मिर्जापुर अपनी जगह मनोरंजक हो सकते हैं- मगर क्राफ्ट और क्लास में इनसाइड एज के आगे कहीं नहीं ठहरते. कुछ मायनों को छोड़ दिया जाए तो सैक्रेड गेम्स भी इसके आगे कमजोर ही है. एक स्पोर्ट्स ड्रामा खासकर क्रिकेट की कहानी में थ्रिल से दर्शकों को बांधे रखना कोई आसान काम नहीं. बायोपिक से अलग हिंदी में बने ज्यादातर स्पोर्ट्स कंटेंट का हश्र उदाहरण है. बावजूद इनसाइड एज चुनौतीपूर्ण विषय में उपलब्धि की तरह है.

अच्छी बात यह है कि तीसरे सीजन के आख़िरी एपिसोड्स में मेकर्स ने शो को अगले सीजन के लिए प्रासंगिक बनाए रखा है. तीसरे सीजन में बहुत सारे ट्विस्ट और हुक पॉइंट छोड़े गए हैं जिसपर एक शानदार कहानी की गुंजाइश है.

पिक्चर अभी बाकी है मेरे दोस्त!

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लेखक

अनुज शुक्ला अनुज शुक्ला @anuj4media

ना कनिष्ठ ना वरिष्ठ. अवस्थाएं ज्ञान का भ्रम हैं और पत्रकार ज्ञानी नहीं होता. केवल पत्रकार हूं और कहानियां लिखता हूं. ट्विटर हैंडल ये रहा- @AnujKIdunia

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