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Updated: 02 जून, 2022 10:37 PM
देवेश त्रिपाठी
देवेश त्रिपाठी
  @devesh.r.tripathi
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बॉलीवुड स्टार अक्षय कुमार की फिल्म 'सम्राट पृथ्वीराज' तमाम विवादों के बीच रिलीज होने जा रही है. फिल्म 'सम्राट पृथ्वीराज' अपने नाम से लेकर कहानी तक को लेकर विवादों के जरिये लगातार सुर्खियों में बनी हुई है. लेकिन, इस फिल्म के रिलीज होने के ही दिन 'सम्राट पृथ्वीराज' के नाम के साथ एक और विवाद जुड़ गया है. दरअसल, 'सम्राट पृथ्वीराज' को ओमान और कुवैत में बैन कर दिया गया है. इस फिल्म को बैन किये जाने का फैसला किस आधार पर लिया गया है. इसके बारे में कोई जानकारी सामने नहीं आई है. लेकिन, फिल्म की स्पेशल स्क्रीनिंग देखने के बाद यूपी में 'सम्राट पृथ्वीराज' को टैक्स फ्री कर दिया गया है. बहुत हद तक संभव है कि पृथ्वीराज के ऐतिहासिक महत्व को देखते हुए अन्य राज्य भी इसे टैक्स फ्री करने का फैसला ले सकते हैं. लेकिन, इस तमाम बातों से इतर सबसे अहम सवाल ये है कि आखिर वो क्या वजहें रही होंगी कि ओमान और कुवैत में 'सम्राट पृथ्वीराज' को बैन करने का फैसला लिया गया?

Samrat Prithviraj Ban Filmमोहम्मद गोरी को इस्लामी आक्रांत बताए जाने से फिल्म मुस्लिम विरोधी हो जाएगी क्या?

क्या पृथ्वीराज आखिरी हिंदू सम्राट नहीं थे?

मध्यकालीन महाकाव्य 'पृथ्वीराज रासो' पर आधारित 'सम्राट पृथ्वीराज' एक पीरियड ड्रामा फिल्म है. और, इस फिल्म में ऐतिहासिक साक्ष्यों को आधार मानते हुए ही पृथ्वीराज चौहान को भारत के आखिरी हिंदू सम्राट के तौर पर दिखाया गया है. और, इतिहास के पन्नों पर नजर डालने पर ये बात स्थापित भी होती है. क्योंकि, 1192 में हुए तराईन के दूसरे युद्ध में पृथ्वीराज चौहान के पराजित होने के साथ ही दिल्ली की सत्ता पर बाह्य आक्रांताओं का कब्जा हो गया. तो, ऐतिहासिक के साथ पर तकनीकी आधार पर भी पृथ्वीराज को आखिरी हिंदू सम्राट कहा जा सकता है. फिर इसमें ऐसी कौन सी बात कह दी गई है, जो फिल्म 'सम्राट पृथ्वीराज' को बैन कर दिया गया है.

सबसे पहला संभव तथ्य यही लगता है कि पृथ्वीराज को एक हिंदू सम्राट के तौर पर दिखाए जाने पर ही ऐतराज जताया जा रहा हो. क्योंकि, कश्मीरी पंडितों के नरसंहार और पलायन पर बनी 'द कश्मीर फाइल्स' को भी सिंगापुर जैसे कई देशों में बैन झेलना पड़ा था. क्योंकि, इस फिल्म में सच्चाई के साथ ऐतिहासिक रूप से तथ्यात्मक बातें प्रस्तुत की गई थीं. और, ऐसी तथ्यात्मक फिल्मों और उसमें भी भारतीय इतिहास के परिप्रेक्ष्य वाली बातों के लिए न केवल देश में बल्कि, विदेश (खासकर मुस्लिम देशों) में भी सवाल खड़े किए जाते हैं.

क्या मुस्लिम विरोधी है 'सम्राट पृथ्वीराज'?

मुस्लिम आक्रांता और लुटेरे मोहम्मद गोरी और पृथ्वीराज के बीच हुए युद्धों को फिल्म 'सम्राट पृथ्वीराज' में दिखाया गया है. क्या केवल इस वजह से फिल्म को मुस्लिम विरोधी कहा जा सकता है? इतिहास को उसको उसी रूप में सामने रखना मुस्लिम विरोधी नहीं साबित किया जा सकता है. मुस्लिम आक्रांता मोहम्मद गोरी को ऐतिहासिक तथ्यों को खारिज करते हुए क्या एक ईसाई हमलावर के तौर पर दिखाए जाने से इतिहास में हुए घटनाएं बदल जाएंगी. 'सम्राट पृथ्वीराज' के निर्देशक चंद्रप्रकाश द्विवेदी ने फिल्म बनाने के लिए किसी सिनेमाई स्वतंत्रता का इस्तेमाल नहीं किया है. जो आमतौर पर आजकल कई वेब सीरीज और फिल्मों में फ्रीडम ऑफ स्पीच के नाम पर ली जाती है.

फिल्म के लिए महाकवि चंद बरदाई की पृथ्वीराज रासो को आधार माना गया है. लेकिन, इसके साथ ही रासो के प्रादेशिक स्तर पर किए गए अलग-अलग संस्करणों का भी अध्ययन इसमें शामिल नजर आता है. पृथ्वीराज चौहान के बारे में यूं तो केवल तीन ही महाकाव्य मिलते हैं. लेकिन, पृथ्वीराज विजय, हम्मीर महावाक्य और पृथ्वीराज रासो पर कई टीकाएं और भाष्य मौजूद हैं. हां, ये बात अलग है कि भारतीय इतिहासकारों का एक वर्ग इन महाकाव्यों को विश्वसनीय नहीं मानता है. क्योंकि, इन इतिहासकारों के अनुसार, ये तमाम महाकाव्य दरबारी कवियों द्वारा लिखे गए हैं. लेकिन, अपने राजा की बड़ाई में लिखा गया कोई महाकाव्य क्या मुस्लिम विरोधी हो सकता है?

'सम्राट पृथ्वीराज' में भी जातिवाद का विवाद

'सम्राट पृथ्वीराज' कहने को तो एक महान भारतीय योद्धा और राजा की कहानी है. लेकिन, पिछले कुछ वर्षों में देश के अंदर ऐसे महानायकों को जाति के खेमे में बांटने का काम भी काफी तेजी से हुआ है. इतिहास के भारतीय महानायकों पर अलग-अलग जातियों द्वारा दावा किया जाता है कि वह उनकी जाति के थे. और, 'सम्राट पृथ्वीराज' भी इस विवाद से बच नहीं सकी. दिल्ली हाईकोर्ट में फिल्म के अभिनेता अक्षय कुमार के खिलाफ एक याचिका दायर की गई थी. जिसमें आरोप लगाया गया था कि फिल्म में सम्राट पृथ्वीराज को एक राजपूत राजा के तौर पर दिखाया गया है. जबकि, पृथ्वीराज चौहान एक गुर्जर राजा थे.

इस विवाद में यशराज फिल्मस की ओर से साफ किया गया कि फिल्म पूरी तरह से जाति को लेकर पूरी तरह से तटस्थ है. और, इसमें पृथ्वीराज को राजपूत या गुर्जर राजा के तौर पर नहीं दर्शाया गया है. दिल्ली हाईकोर्ट में यशराज फिल्मस के वकीलों ने कहा कि 'सम्राट पृथ्वीराज' को उन्होंने एक भारतीय फिल्म के तौर पर बनाया है. और, इसमें जाति जैसे मुद्दे को नहीं छेड़ा गया है. वैसे, यशराज फिल्मस के बयान को आधार मानकर इस याचिका को खारिज कर दिया गया है. लेकिन, अहम सवाल यही है कि क्या भारतीय समाज अभी भी खुद को एक राष्ट्र के तौर पर एक नहीं पता है? क्या पृथ्वीराज को सिर्फ एक भारतीय हिंदू राजा के रूप में नहीं देखा जा सकता है?

मेरी राय

'सम्राट पृथ्वीराज' के ओमान और कुवैत में बैन होने से अंदाजा लगाया जा सकता है कि अपने-अपने नायकों को लेकर हर कोई अपनी स्वतंत्र राय रखता है. शायद ओमान और कुवैत के लिए मोहम्मद गोरी महानायक होंगे. और, ये देश उस पर अपना दावा मजबूत करने के लिए इस फिल्म को बैन किया हो. या, ये भी हो सकता है कि इन मुस्लिम देशों से अपने उम्माह को कोई संदेश दिया जा रहा हो. क्योंकि, भारत के मध्यकालीन इतिहास में पृथ्वीराज की मौत के बाद ही दिल्ली की सत्ता पर गुलाम वंश की स्थापना का रास्ता खुला था. क्योंकि, हिजाब से लेकर आतंकी यासीन मलिक की सजा तक पर ये मुस्लिम देश अपनी राय जबरदस्ती भारत पर थोपने की कोशिश करते रहते हैं. फिल्म 'सम्राट पृथ्वीराज' पर लगे बैन को समझना इतना भी आसान नहीं है.

लेखक

देवेश त्रिपाठी देवेश त्रिपाठी @devesh.r.tripathi

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं. राजनीतिक और समसामयिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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