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Updated: 14 जून, 2021 01:19 PM
अनुज शुक्ला
अनुज शुक्ला
  @anuj4media
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सालभर पहले 14 जून को सुशांत सिंह राजपूत की मौत हुई थी. कहा गया कि उन्होंने आत्महत्या की. मौत की गुत्थी अभी तक सुलझी नहीं है. बॉलीवुड में सुशांत का केस इकलौता है जिसे लेकर आज भी लोगों की दिलचस्पी है. मौत में किसी साजिश की आशंका जताने वाले एक्टर के प्रशंसक सोशल मीडिया के जरिए हादसे को तब तक भुलाने को तैयार नहीं जब तक कि मामले में दूध का दूध और पानी का पानी नहीं हो जाता. सुशांत से पहले कुछ सेलिब्रिटीज की मौतों पर मिस्ट्री थी, मगर एक समय के बाद लोगों ने उस पर बात करना बंद कर दिया था.

सुशांत की आत्महत्या मामले में कई पहलू हैं. सीबीआई की जांच प्रगति पर है. अभी तक किसी तरह का निष्कर्ष सामने नहीं आया है. सुशांत केस का जो कुछ भी हो, लेकिन मामला जिस तरह से उठा उसका असर बॉलीवुड के अंदर और बाहर साफ़ दिख जाता है. हालांकि वो स्थायी है या तात्कालिकता भर, ये वक्त बीतने के साथ साफ़ होगा.

सुशांत के बाद बॉलीवुड में क्या बदला?

बॉलीवुड में खेमेबाजी और भाईभतीजावाद कोई नई बात नहीं है. सुशांत की मौत से काफी पहले इस पर बात बहस होती रही. लोग बड़े नाम लेने से डरते थे. भाई भतीजावाद (नेपोटिज्म) पर लोग बोलते जरूर थे मगर इशारों में. बहस पहले भी थी पर कभी मुखर नहीं हुई. निश्चित ही सोशल मीडिया और सुशांत की मौत की घटना को लेकर बहस मुखर होने के साथ बहुत ज्यादा व्यापक हुई. अब ये सही था या गलत ये दूसरी बात है. इस बहस में बॉलीवुड साफ-साफ़ दो हिस्सों में बंटा नजर आया. एक हिस्सा उनका था जिनकी कुछ पीढ़ियां इंडस्ट्री का हिस्सा रही हैं. दूसरी तरफ वो लोग हैं जो किसी फ़िल्मी परिवार से ताल्लुक नहीं रखते. अब आउटसाइडर खुल कर बातें करने लगे हैं. वो भी नाम लेकर.

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मशहूर एक्टर अमित साध ने भी माना था कि बॉलीवुड पर कोरोना महामारी के साथ ही सुशांत की मौत ने काफी हद तक असर डाला है. बॉलीवुड के असंगठित ढाँचे को देखकर यह तो नहीं कहा जा सकता कि भाई भतीजावाद जैसी बातों का वजूद नहीं रहेगा. मगर इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि इंडस्ट्री में "प्रोफेशनलिज्म" बढ़ेगा. कुछ प्रोजेक्ट्स में आउटसाइडर की कास्टिंग को बढ़ा चढ़ाकर प्रस्तुत किया जा रहा है. हाल ही में करण जौहर के धर्मा प्रोडक्शन के बैनर तले शकुन बत्रा की फिल्म में सिद्धांत चतुर्वेदी और धैर्य करवा की कास्टिंग सुर्खियों में रही.

शायद ये सुशांत की मौत का ही असर है कि बॉलीवुड अब उतना निरंकुश नहीं दिख रहा. ट्रोल ही सही लेकिन सोशल मीडिया पर अब बॉलीवुड के हर कदम की चौकीदारी हो रही है. सोशल मीडिया के जरिए राय बन रही है और वो बॉलीवुड को प्रभावित करने के लिए पर्याप्त है. ये बदलाव नहीं तो और क्या है कि अब इंडस्ट्री से जुड़ी तमाम चीजों की मीमांसा सुशांत केस के नजरिए से हो रही है. सुशांत केस के बाद टॉप सेलिब्रिटीज में करण जौहर वो शख्स थे जिन्हें "भयावह विरोध" का सामना करना पड़ा. जौहर को बॉलीवुड में भाई भतीजावाद बढाने वाला सबसे बड़ा मठाधीस कहा जाता है.

सोशल मीडिया पर बॉलीवुड के चौकीदारों ने (ट्रोल ही सही) ऐसा तूफ़ान मचाया कि कई सितारों को प्लेटफॉर्म छोड़कर भागना पड़ा. जौहर के खिलाफ माहौल की वजह से विवादित कंटेंट के लिए मशहूर उनके शो "कॉफ़ी विद करण" का नया सीजन कथित रूप से सस्पेंड कर दिया गया. हालांकि शो के निर्माताओं ने इस बारे में आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा है.

सुशांत के बहनोई ने तो 'नेपोमीटर' तक लॉन्च कर दिया. ये एक वेब प्लेटफॉर्म है जहां बॉलीवुड के भाई भतीजावाद से जुड़े मुद्दों को फोकस किया जाता है. यहां फिल्मों की रेटिंग की जाती है. रेटिंग में देखा जाता है कि संबंधित फिल्म की स्टारकास्ट, प्रोडक्शन और दूसरे विभागों का क्या इंडस्ट्री कनेक्शन है. नेपोमीटर पर जो पहली फिल्म रेट की गई थी वो महेश भट्ट की सड़क 2 थी. फिल्म की स्टारकास्ट में आलिया भट्ट, आदित्यरॉय कपूर, संजय दत्त और पूजा भट्ट थीं. नेपोमीटर पर फिल्म को 98% "नेपोटिस्टिक" रेट किया गया. सुशांत केस का ही असर था कि इंटरनेट प्लेटफॉर्म पर यूट्यूब और तमाम जगहों पर सड़क 2 को घटिया रिव्यू और रिएक्शन मिले.

सुशांत केस के बाद ना सिर्फ बॉलीवुड बल्कि उससे बाहर भी दो चीजों- डिप्रेशन और ड्रग्स को लेकर जबरदस्त बहस शुरू हुई. सोशल मीडिया पर लोगों ने डिप्रेशन के अनुभव साझा किए और एक-दूसरे को सलाह/सहारा देते दिखें. वहीं युवाओं के बीच ड्रग्स के खिलाफ तगड़ा माहौल दिखा. बॉलीवुड के तमाम सेलिब्रीटीज भी उनके निशाने पर आए. ड्रग्स और उसे मिल रहे संरक्षण पर तीखे हमले हुए. सोशल मीडिया पर ड्रग्स के खिलाफ जो माहौल बना वो तारीफ़ के काबिल है. सलमान खान ने युवाओं के इसी "टेस्ट ऑफ़ मूड" को भुनाने की कोशिश राधे: योर मोस्ट वांटेड भाई में की थी. हालांकि सलमान ने सफाई दी थी कि राधे की कहानी सुशांत केस से पहले ही तय हो गई थी. जो भी हो मगर राधे का हश्र ठीक नहीं रहा. फिल्म असर छोड़ने में नाकाम हुई.

अमित साध ने कहा था- "सुशांत की मौत ने इंडस्ट्री पर असर डाला है. मुझे लगता है कि हम प्रभावित हुए हैं. यदि हम प्रभावित नहीं हुए हैं तो हममे मानवीय संवेदनाएं नहीं हैं. और यदि हम मनुष्य नहीं हैं तो हमें मनुष्यों के बारे में कहानियां (फ़िल्में) नहीं बतानी (बनानी) चाहिए."

लेखक

अनुज शुक्ला अनुज शुक्ला @anuj4media

ना कनिष्ठ ना वरिष्ठ. अवस्थाएं ज्ञान का भ्रम हैं और पत्रकार ज्ञानी नहीं होता. केवल पत्रकार हूं और कहानियां लिखता हूं. ट्विटर हैंडल ये रहा- @AnujKIdunia

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