New

होम -> सिनेमा

 |  5-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 19 जनवरी, 2021 08:32 PM
नवेद शिकोह
नवेद शिकोह
  @naved.shikoh
  • Total Shares

ये तांडव नया नहीं है, काफी पुराना है. सत्तर के दशक में इमरजेंसी के दौर से ही फिल्मों के खिलाफ तांडव का सिलसिला तेज होता रहा है. दशकों से चली आ रही विरोध की ये सीरीज अब रुपहले पर्दे से वेब सीरीज तक पंहुच गई. एतराज और गुस्से से भयभीत बॉलीवुड को लगातार साल-दो साल में एक बड़े हंगामे का सामना करना पड़ता है. विरोध की सीरीज चल रही है. कभी इस फिल्म के खिलाफ तो कभी उस फिल्म के खिलाफ. फिल्म के किसी दृश्य के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन और एफआईआर के चाबुक चलाने की दशकों पुरानी सीरीज अब वेब सिरीज तांडव पर पड़ी. कुछ दृष्यों में धार्मिक भावनाओं को ठेस पंहुचाने के आरोपों से घिरी वेब सीरीज ताडंव के निर्देशक ने माफी मांग ली. लेकिन मुकदमें दर्ज होने के बाद कानूनी कार्रवाई और विरोध का हल्ला जारी है. फिक्शन पर आपत्ति के इस तरह के अधिकांश मामले धर्म-जाति या धार्मिक किरदारों से जुड़े होते हैं. इसके अलावा राजनीतिक कटाक्ष या सत्ता पर सवाल उठाने वाली फिल्में भी विरोध का शिकार बन चुकी हैं. इमरजेंसी के दौर में भी कुछ फिल्में इंदिरा गांधी सरकार के तानाशाह रवैये की भेंट चढ़ी. कांग्रेस सरकारों में कुछ फिल्मों पर प्रतिबंध लगे.

Tandav Web Series, Tandav trailer, Tandav Controversy Amazon Prime, Politics, Saif Ali Khanअमेजन प्राइम की वेब सीरीज तांडव पर जारी विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है

आंधी, किस्सा कुर्सी का, मोहल्ला अस्सी, ब्लेक फ्राइडे, बैंडिट क्वीन, ओह माई गॉड, खलनायक, फायर, गदर, पीके, बाजीराव मस्तानी, पद्मावती, जैसी दर्जनों फिल्में विभिन्न कारणों से विवादों मे घिर चुकी हैं. और कई फिल्में तो रिलीज ही नहीं हो चुकीं. पहले सनातन धर्म, हिंदुओं के देवी-देवताओं और हिंदू परंपराओं का फिल्मों में अक्सर मजाक उड़ाया जाता था. और हिंदू खामोश ही नहीं रहते थे बल्कि हिंदू बहुसंख्यक समाज ही ऐसी फिल्मों को बॉक्स ऑफिस पर सफल बनाते थे.

यही वजह है कि सनातनी हिन्दू समाज उदारवादी शांतिपूर्ण व्यवहार और आचरण के कारण दुनिया में विशिष्ट पहचान बनाए रहा. हिन्दू समाज की खूब प्रशंसा होती रही और सनातन धर्म को मानव जगत ने हमेशा सराहा. सनातनियों को सहनशील, उदारवादी, तरक्कीपसंद, सॉफ्ट, शांतिपूर्ण और अहिंसक माना गया. जबकि इसके विपरीत मुस्लिम समाज असहनशीलता के लिए बदनाम रहा.

जबकि इस्लाम शांति-सद्भाव, मानवता और सहनशीलता की हिदायत देता है. इतिहास गवाह है कि जब भी कभी किसी दौर में किसी फिल्म में मुस्लिम अक़ीदत या इस्लाम से जुड़े किसी किरदार से जरा भी खिलवाड़ किया गया तो मुस्लिम समाज ने विरोध की तलवारें खीच लीं. नतीजतन इस्लाम और मुस्लिम आस्था से जुड़े किरदारों से फिल्मों ने परहेज कर लिया. हिन्दुओं के देवी-देवताओं और रीति-रिवाज का मजाक उड़ा कर हिंदू समाज की भावनाओं को आहत करने का लम्बा दौर चलता रहा.

लेकिन अब कुछ वर्षों से हिंदू समाज भी मुस्लिम समुदाय की तरह अपने धर्म का मजाक बनाने वाली फिल्मों के खिलाफ एतराज की तलवारें खीचने लगा है. तांडव का ताजा मामला सबके सामने है.शांतिपूर्वक विरोध प्रदर्शन से लेकर उग्र प्रदर्शन, तोड़फोड़ इत्यादि के साथ कानूनी कार्यवाही के जरिए तमाम फिल्मों पर नकेल कसने का सिलसिला तेज होता जा रहा है. पिछले कुछ वर्षों में इस तरह के तमाम मामले सामने आ चुके हैं.

विरोध के इस तरह के संवैधानिक या असंवैधानिक तांडव के दौरान अभिव्यक्ति की आजादी पर बहस छिड़ जाना लाजमी है. कहा जा रहा है कि आजादी की भी सरहदें होती हैं. प्राकृति ने भी जमीन और आसमान को आजादी की सरहद बनाया है. अभिव्यक्ति की आजादी यदि धार्मिक भावनाओं को आहत करे, सामाजिक द्वेष भावना पैदा करे, अश्लीलता फैलाए.. तो ऐसी आजादी स्वीकार नहीं. किसी को गाली देने को क्या अभिव्यक्ति की आजादी कहना जायज़ है ?

किसी की धार्मिक भावनाओ को ठेस पंहुचाने को आप कैसे अभिव्यक्ति की आजादी कह सकते हैं. तांडव का विरोध करने वाले युवा अतुल कहते हैं कि यदि हिंदू धर्म की भावनाओं को चोट पंहुचाना आजादी है तो इसके खिलाफ हमे भी कुछ करने की आजादी दी जाए. इस बहस के बीच अब एक चर्चा ये भी है कि हिंदू धर्म से जुड़े रीति रिवाजों पर सवाल उठाने वाली फिल्मों पर पहले हिदू समाज खामोश रहता था, अब ऐसी फिल्मों के खिलाफ हिंदू खूब विरोध व्यक्त करते हैं.

कभी कोई संगठन उग्र भी हो जाता हैं. सनातनी, उदारवादी और शांतिप्रिय हिंदू समाज को क्या गंदी राजनीति हिंसक, असहनशील, उग्र, हिंसक और कट्टर बनाए दे रही है.पहले तो मुस्लिम समाज पर इस तरह की धार्मिक कट्टरता और उग्रता का इल्जाम लगता था.पर अब क्या हिंदू भाई भी अपने मुस्लिम भाइजानों जैसे असहनशील होते जा रहे हैं?या फिर हिंदू अब जागरुक हो गया है.

सनातनी एकजुट होकर ताकतवर हो गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकारों ने देश के सर्वसमाज के साथ हिंदुत्व और हिन्दू भाइयों की रक्षा सुरक्षा को पुख्ता किया है. धर्म का अपमान करने वालों के खिलाफ आवाज उठाने के लिए हिंदू समाज को अब एक आत्मबल मिल गया है. तांडव की चर्चा ने कुछ इस तरह के जिक्र भी छेड़े हैं.

ये भी पढ़ें -

Tandav web series राजनीति पर कटाक्ष है या मुस्लिम तुष्टिकरण का एक और नमूना?

Tribhanga Review: नयनतारा और अनु औरत हैं, और औरत होकर ऐसा कैसे कर सकती हैं!

Tandav Review: सीजन 2 का इंतजार रहेगा, पहला सीजन तो 'खोदा पहाड़ निकली चुहिया' जैसा

#तांडव, #तांडव वेब सीरीज, #अमेजन प्राइम, Tandav Web Series, Tandav Trailer, Tandav Controversy Amazon Prime

लेखक

नवेद शिकोह नवेद शिकोह @naved.shikoh

लेखक पत्रकार हैं

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय