सिद्धार्थ मल्होत्रा की शेरशाह IMDb पर बॉलीवुड की नंबर 1 फिल्म बनी और किसी को भरोसा नहीं हो रहा!
आईएमडीबी रेटिंग (IMDb review-rating) को महज फेक नहीं कहा जा सकता. शेरशाह और भुज को लेकर जो रुझान आए हैं वो काफी दिलचस्प है.
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स्वतंत्रता दिवस से पहले देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत दो फ़िल्में ओटीटी पर स्ट्रीम हुई थीं. सबसे पहले अमेजन प्राइम वीडियो पर शेरशाह और उसके बाद डिजनी प्लस हॉटस्टार पर भुज: द प्राइड ऑफ़ इंडिया. दोनों फिल्मों की कहानी अलग-अलग वक्त में देश की आर्म्ड फोर्सेस की ओर से लड़ी गई सबसे मुश्किल लड़ाइयों और सिपाहियों के अदम्य साहस को दिखाती हैं. हालांकि स्केल की वजह से स्ट्रीमिंग से पहले तक भुज की जितनी चर्चा थी, शेरशाह की नहीं हुई. भुज में अजय देवगन, संजय दत्त, सोनाक्षी सिन्हा, नोरा फतेही और शरद केलकर जैसे कलाकार हैं. अजय के बैनर ने इसे बनाया है. जबकि धर्मा प्रोडक्शन की शेरशाह में सिद्धार्थ मल्होत्रा और कियारा आडवाणी की जोड़ी है.
स्ट्रीमिंग के बाद चीजें पहले की अपेक्षा अब बदली नजर आ रही हैं. शेरशाह को ज्यादातर दर्शकों-समीक्षकों ने पसंद कियाके किरदार की जमकर तारीफ़ की और इसे उनके करियर में गेम चेंजर फिल्म भी बताया. जबकि भुज समीक्षकों के साथ दर्शकों की उम्मीद पर खरा नहीं उतर पाई. स्वाभाविक है कि लगभग समान विषयों पर बनी दोनों फिल्मों के वर्ड ऑफ माउथ में जमीन आसमान का फर्क है. अंतर आईएमडीबी की रेटिंग में भी दिख रहा है. ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर सिद्धार्थ की शेरशाह के पक्ष में जिस तरह का "जनादेश" निकलकर सामने आया है उसपर लोगों को भरोसा ही नहीं हो रहा है.
दरअसल, आईएमडीबी पर रजिस्टर्ड यूजर्स ने शेरशाह को 10 में से 8.9 पॉइंट देकर रेट किया है. शेरशाह को करीब 62 हजार से ज्यादा रजिस्टर्ड यूजर्स ने रेट किया है. शेरशाह के मुकाबले अजय देवगन की भुज को करीब 14 हजार रजिस्टर्ड यूजर्स ने 10 में से सिर्फ 5 पॉइंट देकर रेट किया जो औसत नजर आ रहा है. इस साल किसी भी बॉलीवुड फिल्म के लिए यह आउट स्टैंडिंग रेटिंग है. इस साल आई मिमी (डिजनी प्लस हॉटस्टार) और स्टेट ऑफ़ सीज टेम्पल अटैक को 10 में से दोनों को 8.1 के साथ रेट किया गया है.
शेरशाह की रेटिंग को पचा नहीं पा रहे कुछ लोग
आईएमडीबी पर रेटिंग दोनों या अन्य दूसरी फिल्मों की सफलता को मापने का पैमाना नहीं हो सकता. इससे पहले कई मनोरंजक फ़िल्में जो जिन्हें थियेटर में खूब पसंद किया गया, बावजूद आईएमडीबी पर उनकी बहुत खराब रेटिंग देखने को मिली है. यह भी दिखा है कि जिन फिल्मों को थियेटर में दर्शकों ने खारिज किया था उन्हें यहां जबरदस्त रेटिंग और पॉजिटिव रिव्यू मिला है. खैर, भले ही आईएमडीबी कंटेंट का पैमाना ना हो, मगर यहां के ट्रेंड के जरिए फिल्म के प्रति दर्शकों के रुझान का तो अंदाजा लगाया जा सकता है. ये दूसरी बात है कि शेरशाह के प्रति दर्शकों का रुख यहां सकारात्मक दिख रहा है. मगर सोशल मीडिया पर कुछ लोग शेरशाह की आउट स्टैंडिंग रेटिंग को पचा नहीं पा रहे हैं.
फिल्म ट्रेड एनालिस्ट सुमित कडेल ने शेरशाह के रेटिंग की जानकारी देते हुए ट्विटर पर फोटो साझा किया. इस पर कई प्रतिक्रियाएं आई हैं. इनमें शेरशाह की आउट स्टैंडिंग रेटिंग को पीआर प्रैक्टिस का नतीजा बताया गया है. एक यूजर ने लिखा कि फर्जी और पेड़ रिव्यूज ने आईएमडीबी का भी टेक ओवर कर लिया. अब किस पर भरोसा करें. एक ने तो जानकारी साझा करने वाले सुमित पर बिकने का आरोप लगाते हुए लिखा- मतलब तू बिक जाता है क्या रेटिंग देने के लिए. एक ने हैरानी जताते हुए लिखा- पीआर एजेंसी ने फर्जी रिव्यू किया है. 45 हजार से ज्यादा रेटिंग.
शेरशाह की अच्छी रेटिंग की वजह क्या है?
आईएमडीबी पर फेक और पीआर रिव्यू कितना संभव है लेखक को इस बारे में दावे से कुछ नहीं पता. लेकिन क्या सच में शेरशाह को जिस तरह रेटिंग मिली है, फिल्म उसे डिजर्व करती है. पहली बात तो ये कि शेरशाह कारगिल वॉर के हीरो और अमर शहीद विक्रम बत्रा की बायोपिक है. विक्रम बत्रा कारगिल जंग के महानायक थे और फिल्म में पाकिस्तानी घुसपैथियों के खिलाफ उनके अदम्य साहस, बलिदान और जीवन की उन कहानियों को पहली बार विस्तार से दिखाया गया है जो अब तक सामने नहीं आ पाई थीं. फिल्म का विषय हर वर्ग के दर्शकों को प्रभावित करने वाला है. दूसरी बात- फिल्म स्वतंत्रता दिवस के मौके पर रिलीज हुई. देशभर में जिस तरह देशभक्ति का सेंटिमेंट बना था उससे भी शेरशाह के प्रति लोगों की दिलचस्पी जगी. तीसरी बात- भुज भी देशभक्ति के विषय पर ही बनी थी मगर फिल्म से जुड़ी कमजोरियों की वजह से बज नहीं बना पाई और शेरशाह से तुलना में कमजोर साबित हुई. सबसे अहम यह भी भुज डिजनी प्लस हॉटस्टार के प्लेटफॉर्म पर स्ट्रीम हुई जबकि शेरशाह अमेजन प्राइम के प्लेटफॉर्म पर. हिंदी सिनेमा के लिहाज से प्राइम वीडियो की दर्शकों तक पहुंच डिजनी से काफी बेहतर है. डिजनी बॉलीवुड कंटेंट को लेकर इस साल आक्रामक नजर आया है. प्राइम ने एक अच्छा ख़ासा ओटीटी का सिनेमा दर्शक वर्ग तैयार कर लिया है.
आईएमडीबी रेटिंग को महज फेक नहीं कहा जा सकता. जहां तक बात दोनों फिल्मों की रिलीज से पहले बज का है तो स्ट्रीमिंग से पहले तक शेरशाह को लेकर बहुत हल्ला ना होने की एक वजह फिल्म का रिलीज शेड्यूल भी हो सकता है. आनन-फानन में शेरशाह को ओटीटी पर रिलीज करने का फैसला लिया गया था. जबकि भुज का कैम्पेन शेड्यूल के मुताबिक़ वक्त के साथ शुरू हो गया था. स्ट्रीमिंग लोग भले आईएमडीबी की रेटिंग ना पचा पाए मगर शेरशाह के पक्ष में कई चीजें रहीं. दर्शकों ने बड़े पैमाने पर इसे देखा और सराहा है. माना जा सकता है कि रेटिंग पर उसी का असर है.
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