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Updated: 03 जून, 2022 06:59 PM
ज्योति गुप्ता
ज्योति गुप्ता
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महान सम्राट पृथ्वीराज चौहान (Samrat Prithviraj Chauhan) की शौर्यगाथा आज भी लोगों को साहस देती है. वे राजा जो दिल्ली की गद्दी पर बैठने वाले आखिरी हिंदू शासक थे. वे राजा जिन्होंने बचपन में ही शेर का जबड़ा फाड़ दिया था. वे राजा जिन्होंने मुहम्मद गौरी को 16 बार युद्ध में हराया था. वे राजा जिन्होंने अपनी दोनों आखें खो देने के बाद भी शब्दभेदी बाण से मुहम्मद गौरी का वध किया था. 

prithviraj chauhan, prithviraj chauhan movie, prithviraj chauhan history, prithviraj chauhan death, akshay kumar movieसपनों की राजकुमारी किसे कहते हैं? इस सवाल का जवाब खुद संयोगिता हैं

सम्राट पृथ्वीराज चौहान की इन वीर कहानियों का सुंदर चित्रण महाकाव्य 'पृथ्वीराज रासो' में किया गया है. जिसे सम्राट पृथ्वीराज के दरबारी कवि, चंद बरदाई ने खुद ही लिखा था. इस महाकाव्य में एक और अध्याय है, जिसमें राजकुमारी संयोगिता और पृथ्वीराज चौहान की प्रेम कहानी का जिक्र है. वह प्रेम कहानी जो हमेशा के लिए अमर हो गई.

prithviraj chauhan, prithviraj chauhan movie, prithviraj chauhan history, prithviraj chauhan death, akshay kumar movieसम्राट पृथ्वीराज फिल्म का एक दृश्य

राजकुमारी संयोगिता जिसके सामने झुका सम्राट का सिर

शूरवीर राजा पृथ्वीराज ने अगर किसी के सामने सिर झुकाया तो वह सिर्फ राजकुमारी संयोगिता ही थीं. सम्राट एक सच्चे प्रेमी थे जो संयोगिता से बेहद प्रेम करते थे. तभी तो उन्होंने अपने प्रेम की खातिर जो किया, वह मध्यकालीन इतिहास में दर्ज हो गया. आईचौक पहले ही सम्राट पृथ्वीराज चौहान की वीरगाथा के बारे में लिख चुका है, तो आज बात संयोगिता की होगी.

संयोगिता जो सपनों की राजकुमारी थीं

सपनों की राजकुमारी किसे कहते हैं? इस सवाल का जवाब खुद संयोगिता हैं. वे कन्नौज के महाराज जयचन्द की बेटी थीं. जो बेहद खूबसूरत और गुणवान थीं. उनकी सुंदरता के चर्चे हर तरफ होते थे. उन्हें अप्सरा का दूजा अवतार माना जाता था. उनकी छवि ऐसी थी कि, कवि उनके रूप पर कविताएं लिखा करते थे. उनकी सादगी पर इबारतें लिखीं जाती थीं. उनकी आंखें चंचल भी थीं और तेज भी. वे ना सिर्फ रूपवान थीं बल्कि बहादुर भी थीं. वे बेधड़क घुड़सवारी करती थीं. उन्हें तीरंदाजी पसंद थी और तलवार तो ऐसे चलाती थीं कि कोई दुश्मन मुकाबला करने से पहले ही डर जाएं.

prithviraj chauhan, prithviraj chauhan movie, prithviraj chauhan history, prithviraj chauhan death, akshay kumar movieराजकुमारी संयोगिता कन्नौज के महाराज जय चन्द की बेटी थीं

कैसे शुरु हुई पृथ्वीराज चौहान और संयोगिता की प्रेम कहानी

12वीं सदी में दिल्ली और अजमेर के राजा पृथ्वीराज चौहान की वीरगाथा के किस्से हर तरफ मशहूर थे. हर ओर उनकी वीरता के चर्चे थे. संयोगिता के पिता जय चन्द को पृथ्वीराज चौहान पसंद नहीं थे, क्यों कि जयचंद दूसरे राज्यों को अपने अधीन कर खुद को चक्रवर्ती सम्राट के रूप में देखना चाहते थे. वे बाकी राज्यों पर अपना अधिकार जमाना चाहते थे.

इसलिए जब भी पृथ्वीराज की वीरता का जिक्र होता उन्हें ईर्ष्या होने लगती. एक किस्सा प्रचलित है कि, किसी चित्रकार ने राजकुमारी संयोगिता को पृथ्वीराज चौहान का चित्र दिखाया और उनके वीरता की कहानियां सुनाईं. जिसके बाद संयोगिता मन ही मन वीर सपूत पृथ्वीराज को पसंद करने लगी थीं. हालांकि वह भूल गईं थीं कि उनके पिता और पृथ्वीराज से जलन रखते हैं. वहीं चित्रकार ने संयोगिता का चित्र सम्राट पृथ्वीराज के पास भी भेजा था. 

राजकुमारी संयोगिता के पिता सम्राट पृथ्वीराज को पसंद नहीं करते थे

इस बीच राजकुमारी संयोगिता के पिता जयचंद ने राजसूय यज्ञ करने का फैसला किया. हालांकि पृथ्वीराज चौहान ने जयचंद के वर्चस्व को मानने से इनकार कर दिया. इस वजह से जयचंद और पृथ्वीराज के बीच का मनमुटाव और अधिक बढ़ गया. इसके बाद राजा जयचंद ने बेटी संयोगिता के लिए स्वयंवर का ऐलान कर दिया. वे अपनी बेटी की शादी अपने पसंद के राजा से कराना चाहते थे. जोर-शोर से स्वयंवर की तैयारियां हुई, राजमहल को चांदनी की तरह सजाया गया. इस स्वयंवर में पृथ्वीराज चौहान को छोड़कर बाकी सभी महाराजाओं को निमंत्रण भेजा गया. इस मौके पर सम्राट पृथ्वीराज से बदला लेने के लिए जयचंद ने उनकी मूर्ति बनवाकर दरबान की जगह लगवा दी.  जयचंद किसी भी तरीके पृथ्वीराज को अपमानित करना चाहते थे.

prithviraj chauhan, prithviraj chauhan movie, prithviraj chauhan history, prithviraj chauhan death, akshay kumar movieराजकुमारी संयोगिता ने अपने दासियों के साथ दुश्मनों का मुकाबला किया

राजकुमारी संयोगिता ने अपने प्रेम के खातिर पिता से बगावत कर दी थी

प्रेम करना आसान है, लेकिन उसे निभाने के लिए साहस चाहिए जो राजकुमारी संयोगिता ने दिखाई थी. संयोगिता को जब पता चला कि पिता ने सम्राट पृथ्वीराज को न्योता नहीं भेजा है तो वे दुखी हो गईं. स्वयंवर के लिए वे सज-धज कर बाहर आईं, लेकिन जब उन्हें पृथ्वीराज कहीं नजर नहीं आए तो उनकी मूर्ति को माला पहनाने के लिए मुड़ गईं. हालांकि तभी स्रमाट उनके सामने आ गए.

राजकुमारी संयोगिता ने उन्हें वरमाला पहनाकर, अपने पति के रूप में स्वीकार कर लिया. योजना के अनुसार, सम्राट पहले से ही मूर्ति के पीछे मौजूद थे. उन्होंने राजकुमारी को सफेद घोड़े पर बिठाया और दिल्ली लेकर चले गए. दिल्ली पहुंचने के बाद उन्होंने राजकुमारी से विवाह कर लिया. इस तरह उन्होंने अपने प्रेम का मान रख लिया.

जयचंद ने सम्राट पृथ्वीराज से बदला लेने के लिए अफगान शासक मुहम्मद गोरी से हाथ मिलाया

संयोगिता के इस कदम से पिता जयचंद बौखला गए. वे बेटी के प्रेम को समझ नहीं पाए. वे बदले की आग में जल रहे थे. इसलिए अफगान शासक मुहम्मद गोरी से हाथ मिला लिया. मुहम्मद गोरी तो पहले से ही सम्राट से 16 बार युद्ध में पराजित हो चुका था, लेकिन इसबार उसने सम्राट को हरा दिया. हालांकि वीर योद्धा सम्राट पृथ्वी ने उसके सामने सिर झुकाने से मना कर दिया.

इस बात से बौखलाए गौरी ने सम्राट की दोनों आखों को गर्म सरिए से दाग दिया, जिसके बाद उन्होंने अपनी आखों की रोशनी खो दी. चंदबरदाई की सलाह पर गौरी ने तीरंदाजी खेल का आयोजन किया. चंदबरदाई को पता था कि सम्राट शब्दभेदी बाण चलाना जानते थे. वहीं गौरी सम्राट को मारना चाहता था. तभी चंदबरदाई ने कहा- 'चार बांस चौबीस गज, अंगुल अष्ट प्रमाण, ता ऊपर सुल्तान है मत चूके चौहान...' इतना सुनते ही सम्राट ने तीर चलाया जो गौरी के सीने में जाकर लगी और उसकी मौत हो गई. इसके बाद चंदबरदाई और महान योद्धा पृथ्वीराज ने एक-दूसरे को मार दिया ताकि वे दु्श्मन के हाथ न लगें.

संयोगिता ने लड़ते-लड़ते सती हो गईं

युद्ध के समय संयोगिता अपने दासियों के साथ दुश्मनों का मुकाबला कर रही थीं. वे एक बहादुर की रानी की तरह लड़ती रहीं. हालांकि जब उन्हें पृथ्वीराज की मृत्यु का पता चला तो उन्होंने जौहर चुना. उन्होंने खुद को खत्म कर दिया. वे सती हो गईं और उनकी प्रेम कहानी हमेशा के लिए अमर हो गई.

ये हैं पृथ्वीराज चौहान की संगिनी संयोगिता...जिनका नाम हमेशा अमर रहेगा. अगर आप इनकी पूरी कहानी देखना चाहते हैं तो फिल्म सम्राट पृथ्वीराज सिनेमा घरों में आ चुकी है. जिसमें अक्षय कुमार स्रमाट बने हैं और मानुषी छिल्लर रानी संयोगिता का किरदार निभा रही हैं. फिल्म को मिले रिव्यू को देखकर तो यही लगता है कि यह पैसा वसूल फिल्म है...अपने गौरवशाली इतिहास को देखने का भला किसका मन नहीं करता है...

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लेखक

ज्योति गुप्ता ज्योति गुप्ता @jyoti.gupta.01

लेखक इंडिया टुडे डि़जिटल में पत्रकार हैं. जिन्हें महिला और सामाजिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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