New

होम -> सिनेमा

 |  5-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 07 दिसम्बर, 2022 07:58 PM
आईचौक
आईचौक
  @iChowk
  • Total Shares

''दौर बदलेगा, दौर की ये पुरानी आदत है''...ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम हो रही फिल्म 'कला' का ये डायलॉग दिवंगत अभिनेता इरफान खान और उनके परिवार पर सटीक बैठता है. एक वक्त था, जब लगा कि इरफान साहब के इंतकाल के बाद उनका परिवार बिखर जाएगा. उनके बेटे बाबिल खान के करियर और भविष्य पर सवालिया निशान लग जाएगा. लेकिन दौर बदला तो सारे संशय दूर हो गए, सारे सवालों के जवाब मिल गए. उनका परिवार न सिर्फ इस दुख की घड़ी से बाहर निकला, बल्कि उनका बेटा बाबिल अपने करियर को स्थापित करने की दिशा में आगे बढ़ गया. बाबिल की फिल्म 'कला' रिलीज हो चुकी है. इसमें उनकी मासूम और अलहदा अदाकारी की हर तरफ तारीफ हो रही है. लोगों को उनमें इरफान का अक्स दिख रहा है. उनकी चाल-ढाल, अभिनय, संवाद अदायकी, मुस्कराने की स्टाइल, सबकुछ उनके पिता की याद दिलाता है, लेकिन बाबिल की अपनी पहचान भी छोड़े जाता है. यही पहचान उनको एक परिपक्व अभिनेता बनने में बहुत मदद करने वाली है.

अनुष्का शर्मा की प्रोडक्शन कंपनी 'क्लीन स्लेट फिल्म्स' के बैनर तले बनी फिल्म 'कला' की सोशल मीडिया पर बहुत तारीफ हो रही है. इसके साथ ही अभिनेता बाबिल खान, अभिनेत्री तृप्ति डिमरी और स्वास्तिका मुखर्जी के अभिनय की भी बहुत तारीफ की जा रही है. फिल्म में बाबिल खान का किरदार अपेक्षाकृत छोटा है, लेकिन वो जितने समय तक पर्दे पर दिखाई देते हैं, प्रभावित करते हैं. उनमें अभिनय की परिपक्वता दिखती है. लगता ही नहीं कि ये उनकी पहली फिल्म है. उनके पिता इरफान खान को भी नेचुरल एक्टर कहा जाता था. वो किसी भी किरदार को रुपहले पर्दे पर जीवंत कर देते थे. चाहे प्रेमी का किरदार हो या फिर डाकू का रोल, वो हर रूप में रंग भर देते थे. अपने पिता के नक्शे कदम पर चलते हुए बाबिल भी आकर्षित करते हैं. उनको देखकर साफ समझ में आ जाता है कि वो लंबी रेस के घोड़े हैं. उन्होंने अपने डेब्यू के लिए जिस तरह की फिल्म का चुनाव किया है, वो भी हिम्मत की बात है. वरना आजकल के स्टार किड्स रोमांटिक या एक्शन फिल्में पसंद करते हैं.

650x400_120722042721.jpgइरफान खान के बेटे बाबिल खान ने फिल्म 'कला' के जरिए अपना बॉलीवुड डेब्यू कर लिया है.

लोगों के साथ फिल्मी जगत के कई सितारे भी बाबिल खान के अभिनय की तारीफ कर रहे हैं. कंट्रोवर्सी क्वीन कंगना रनौत ने भी फिल्म 'कला' देखने के बाद लिखा है कि वो फिल्म से अपनी नजरें नहीं हटा पा रही हैं. सोशल मीडिया पर उन्होंने लिखा है, ''कला एक बेहतरीन फिल्म है. यह आपकी सामान्य तीन अभिनय संरचना नहीं है और न ही यह भौतिक दुनिया की एक शाब्दिक कहानी है. कला की निर्देशक अन्विता दत्त इस समय सबसे बड़ी फिल्म निर्देशकों में से एक हैं. मुझे अपनी फिल्म क्वीन में उनके साथ काम करने का सौभाग्य मिला था. वो इंसान के मन की गहराई में जाकर फिल्म का निर्देशन करती हैं. फिल्म के सभी दृश्य बहुत ही अच्छे हैं. सभी ने बहुत अच्छा अभिनय किया है. बाबिल खान एक नए कलाकार के रूप में शानदार नजर आ रहे हैं. तृप्ति डिमरी मेरी एक साथी के रूप में और हिमाचली पहाड़ी लड़की के रूप में हैं. मुझे उन पर बहुत गर्व है. फिल्म में उनको देखकर मैं अपनी नजरें नहीं हटा पा रही हूं.'' कंगना की तारीफ बाबिल और तृप्ति के लिए बड़ी बात है.

'कला' कई मायनों में एक बेहतरीन फिल्म साबित होती है. बेहतरीन सिनेमैटोग्राफी, दमदार एक्टिंग और मनमोह लेने वाला म्युजिक इसकी यूएसपी कही जा सकती हैं. इन तीनों चीजों की वजह से फिल्म ने अपने लिए एक नई लकीर खींच ली है. हिमाचल प्रदेश और कश्मीर की वादियों में फिल्माए गए सीन आकर्षित करते हैं. संगीत दिल को सुकून देता है. फिल्म के कलाकारों की अदाकारी इसमें चार चांद लगाने का काम करती है. बस एक चीज खटकती है, वो फिल्म की पटकथा है. यदि इसे दुरुस्त रख गया होता, तो यकीन कीजिए ये नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम होने वाली इस साल की एक अद्भुत फिल्म साबित हो सकती थी. फिल्म का निर्देशन अन्विता दत्ता ने किया है. मुख्य रूप से गीतकार और पटकथा लेखक अन्विता ने इससे पहले नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम हुई फिल्म 'बुलबुल' का निर्देशन किया था. इसका निर्माण भी अनुष्का शर्मा के होम प्रोडक्शन तले ही हुआ था. इस सुपरनेचुरल थ्रिलर की फिल्म समीक्षकों और दर्शकों ने बहुत तारीफ की थी. लोगों को इसका विषय बहुत ज्यादा पसंद आया था.

जहां तक कि बाबिल खान की बात है तो बताते चलें कि उनका जन्म 15 मई 1997 को हुआ था. मुंबई से स्कूली शिक्षा प्राप्त करने के बाद वो आगे की पढ़ाई के लिए लंदन की वेस्टमिंस्टर यूनिवर्सिटी चले गए. वहां से हायर एजुकेशन की पढ़ाई पूरी करने के दौरान उन्होंने एक्टिंग के गुर भी सीखे थे. इसके बाद मुंबई वापस आकर फिल्म प्रोडक्शन हाऊस में काम करने लगे. उन दिनों उनके पिता इरफान खान की फिल्म 'करीब करीब सिंगल्स' का निर्माण हो रहा था. इसमें उन्होंने बतौर असिस्टेंट कैमरामैन सिनेमा जगत में अपना पहला कदम रखा. इस दौरान वो अपने पिता से अभिनय की बारीकियां भी सीखते रहे. बाबिल ने एक शॉर्ट फिल्म 'द मैट्रेस मैन- ए यॉन टू एक्शन' में काम किया है. इसके अलावा वो मॉडलिंग में भी हाथ आजमाते रहे हैं. पिता की मौत के बाद जह उनके कंधों पर पूरे परिवार की जिम्मेदारी आ गई, तो भी वो अपने लक्ष्य से विचलित नहीं हुए. वो लगातार अपनी मेहनत से आगे बढ़ते रहे. फिलहाल उनके पास कुछ अच्छे प्रोजेक्ट्स हैं. उनको भविष्य के लिए शुभकामनाएं हैं.

लेखक

आईचौक आईचौक @ichowk

इंडिया टुडे ग्रुप का ऑनलाइन ओपिनियन प्लेटफॉर्म.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय