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Updated: 30 दिसम्बर, 2020 09:12 PM
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( Paurashpur Review In Hindi) भारत में पोर्न बैन है. सरकार ने बहुत पहले ही अश्लील सामग्री परोसने वाली तमाम वेबसाइट्स पर रोक लगाई थी नतीजा ये निकला कि देश की सरकार के इस फैसले से वो लोग आहत हुए जो पोर्न या आपत्तिजनक कंटेंट देखने में रुचि दिखाते थे. वर्तमान दौर कोरोना वायरस का दौर है. लॉक डाउन की प्रक्रिया में बंद हुए सिनेमाहाल भले ही अब खुल रहे हों लेकिन दर्शक अब भी इनसे दूरी बना रहा है और अपनी मनोरंजन की भूख शांत करने के लिए OTT प्लेटफॉर्म्स का रुख कर रहा है. शुरुआत में हमने उन दर्शकों की बात की थी जो होने को तो एडल्ट कंटेंट के शौकीन थे मगर अब मजबूर है. ऐसे लोगों को OTT विशेषकर Alt Balaji और उल्लू ने बड़ी राहत दी है. सॉफ्ट पोर्न के लिए हालिया दिनों में लोकप्रिय हुए ये दोनों ही प्लेटफॉर्म्स ऐसे तमाम कंटेंट परोस रहे हैं जिसने वयस्क कंटेंट देखने वालों के लिए 'डूबते को तिनके का सहारा वाला काम किया है. ये तमाम बातें क्यों हुईं? वजह है Alt Balaji पर प्रदर्शित हुई एकता कपूर (Ekta Kapoor) की मोस्ट अवेटेड वेब सीरीज Paurashpur. इतनी बातें कहने से अच्छा तो ये भी है कि हम बस ये कहकर बात खत्म कर दें कि Paurashpur एक ऐसी वेब सीरीज है जिसमें अश्लीलता परोसने के लिए इतिहास का सहारा लिया गया है. हो सकता है कि सीरीज का निर्माण करते वक़्त एकता और दीगर लोगों ने सोचा हो कि मामला चूंकि इतिहास की शरण में है इसलिए कोई कुछ नहीं कहेगा. लेकिन ऐसा हरगिज़ नहीं है. अब जबकि बात निकल चुकी है तो बड़ी दूर तक जाएगी.

Purushapura Review, Zee5 Alt Balaji, Purushapura Web Series release, Women Empowernment, Milind Somanटोटल टाइम वेस्ट वेब सीरीज है एकता कपूर की पौरुषपुर

ऑल्ट बालाजी और ज़ी5 ने अपनी इस दो कौड़ी की वेब सीरीज का ताना बाना 16 वीं सदी की एक रियासत Paurashpur को लेकर बुना है जिसका राजा भद्र प्रताप औरतों को पांव की जूती या कहें कि सिर्फ भोग की वस्तु समझता है और जिसके राज्य में स्त्रियां मर्दों के अधीन हैं. सीरीज देखते हुए इतना तो साफ हो जाता है कि Paurashpur की रियासत में राजा भद्रप्रताप और उसके गुर्गे औरतों को बुरी तरह से दबाते हैं. उनका शोषण करते हैं और सबसे मजे की बात Paurashpur की महिलाएं इस बात को जानती समझती दोनों हैं पर अपनी बात किसी से साझा नहीं कर पातीं.

राजा भद्रप्रताप अपनी उम्र के आखिरी पड़ाव में है और बहुत कमजोर है लेकिन शरीर की भूख के आगे बेबस और लाचार है. राजा को जैसा पोर्टरे इस सीरीज में किया गया है वो सेक्स से ज्यादा आनंद परपीड़ा में लेता है. राजा भद्रप्रताप महिलाओं के प्रति जालिम है इसलिए एक एक कर उसकी रानियां महल से गायब हो जाती हैं. रानियां कहां गईं ये वेब सीरीज की शुरुआत से लेकर अंत तक एक रहस्य ही रहता है.

सीरीज में दिखाया गया है कि राजा की एक पटरानी (शिल्पा शिंदे) है और ठरकी राजा की काम इच्छा को पूरा करने का जिम्मा उसी के सिर है. वही नई नई लड़कियों का प्रबंध करती है जिनसे राजा भद्रप्रताप अपनी हवस की भूख शांत करता है. सीरीज देखते हए जो बात सबसे ज्यादा खटकती है वो ये कि न तो इसमें कोई कहानी है और न ही कोई प्लॉट लोग नैन सुख लें इसके लिए मतलब बेमतलब के सेक्स सींस की भरमार है. दिलचस्प बात ये है कि ये सेक्स सींस भी ऐसे हैं जिनके देखते हुए उन्हें आप शायद ही इस चर्चित वेबसीरीज की कहानी से कोरिलेट कर पाएं.

तमाम लूपहोल्स हैं जो ऑल्ट बालाजी और ज़ी5 की इस वेब सीरीज में हैं और इसे देखते हुए बस यही ख्याल बार बार जहन में आता है कि एक दर्शक के रूप में इसे देखकर आखिर हमने अपना समय क्यों बर्बाद किया. सीरीज में तकरीबन 20 - 20 मिनट के 7 एपिसोड्स हैं बेहतर था कि प्रोड्यूसर डायरेक्टर ने स्टोरी दिखाने पर अपना फोकस रखा होता. वेब सीरीज में बेवजह के सेक्स सींस की भरमार है जिसे अगर हमें देखना होता तो उसके लिए हम टॉरेंट से कोई पोर्न फिल्म ही डाउनलोड कर लेते और अपनी आंखों को ठंडक दे देते. कह सकते हैं कि एकता कपूर की इस वेब सीरीज में सिर्फ वासना और सेक्स के जरिये एक कड़ी को दूसरी कड़ी के साथ जोड़ा गया है.

सीरीज किस हद तक खराब है इसका अंदाजा इसके संवाद सुनकर लगाया जा सकता है. अब इसके संवाद खराब है इसकी जिम्मेदारी स्क्रिप्ट राइटर को लेनी चाहिए ऐसा इसलिए क्यों कि 16 वीं शताब्दी में भाषा का लेवल इस हद तक भी नहीं गिरा था. गौरतलब है कि जिस वक्त Paurashpur का ट्रेलर आया था आलोचनाओं का दौर तब से ही शुरू हो गया था. तमाम सिने प्रेमी ऐसे थे जिन्होंने इसे फूहड़ता मानते हुए रचनात्मकता का क़त्ल बताया था और कहा था कि इससे भारतीय संस्कृति का हनन हो रहा है तो वहीं इस सीरीज ने समर्थक भी ठीक ठाक जुटाए थे.

जिन तमाम लोगों ने इसका समर्थन किया था उनका कहना था कि आज के समय में जब मनोरंजन के नाम पर हम तमाम चीजें देख ही रहे हैं तो फिर Paurashpur से कैसे गुरेज़. इस सीरीज के लिए जो प्रयोग निर्माता निर्देशकों ने किए हैं दर्शकों को उसे सहजता से स्वीकार कर लेना चाहिए. अब ऐसा भी नहीं है कि सीरीज में सिर्फ और सिर्फ बुराई है. सीरीज में स्टोरी और प्लाट नहीं है तो क्या हुआ इसमें कलाकारों का मेक अप, हेयर कैमरा वर्क, वीएफएक्स और ग्राफ़िक्स लाजवाब हैं. दर्शकों को महसूस होगा कि शायद 16 वीं सदी का भारत ऐसा ही हो.

कुलमिलाकर ये कहना भी गलत नहीं है कि इस सीरीज में अन्नू कपूर, मिलिंद सोमन, शिल्पा शिंदे जैसे मंझे हुए कलाकार थे जिनसे बेहतरीन काम लिया जा सकता था मगर क्यों कि झोल स्क्रिप्ट में था ये लोग वो चीजें नहीं दे पाए जिनकी उम्मीद हम इनसे कर रहे थे. कहानी इस हद तक उलझी है कि कलाकारों को अपने को साबित करने का मौका ही नहीं मिला.

अंत में हम बस ये कहकर अपनी बात को विराम देंगे कि इस साल कई एक से बढ़कर एक खराब सीरीज आईं और पौरुषपुर भी इनमें से एक बन कर रह गयी है. बाकी वो दर्शक जिन्हें पर्दे या मोबाइल पर गर्मागर्म सीन देखना भाता था उनके लिए ये सीरीज उमस भरी गर्मी में बारिश की ठंडी बूंद है. इतनी बातें पढ़कर भी यदि मन न मान रहा हो और फिर भी ये सीरीज देखनी हो तो इसे अकेले ही देखियेगा. इसका कंटेंट घर परिवार और दोस्तों के साथ बैठकर देखने वाला नहीं है.

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