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Updated: 22 दिसम्बर, 2022 08:19 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
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अभी पठान के गाने बेशर्म रंग पर जारी विवाद कायदे से थमा भी नहीं था, ऐसे में फिल्म का दूसरा गाना झूमे जो पठान रिलीज हो गया है. टाइम के हिसाब से देखा जाए तो फॉरन लोकेशन पर शूट हुआ ये गाना 3 मिनट और 22 सेकंड का है और बिलकुल वैसा ही जैसी उम्मीद जताई जा रही थी. गाने को अर्जित सिंह ने गया है. म्यूजिक विशाल शेखर का है लेकिन ये सेकेंडरी चीज है. वो मैटर जो प्राइमरी है और जिसपर बात होनी चाहिए वो है गाने में दीपिका और शाहरुख़ का होना. उम्र के लिहाज से देखा जाए तो शाहरुख़ की उम्र 57 साल है. दीपिका भी 36 की हैं. लेकिन ईश्वर ही जाने किसने इन दोनों से कह दिया है कि कामयाबी का गुरुमंत्र 'युवा' दिखना और लगना है.

Jhoome Jo Pathaan, Song, Pathaan, Besharam Rang, Shah Rukh Khan, Deepika Padukone, Arjit SInghअपनी उम्र को दरकिनार कर झूमे जो पठान में शाहरुख़ और दीपिका ने किया उसकी आलोचना और निंदा दोनों ही होनीचाहिए 

काम धाम के लिहाज से देखा जाए तो शाहरुख़ को इंडस्ट्री के लोग एक गंभीर एक्टर मानते हैं. वहीं उनकी रोमांटिक हीरो वाली छवि सोने पर सुहागा का काम करती है. इसी तरह बतौर एक्टर दीपिका की एक्टिंग भी भी उन्हें अन्य एक्ट्रेस के मुकाबले नेक्स्ट लेवल पर ले जाती है. इतने गुण होने के बावजूद अगर कोई सिर्फ अपनी करतूतों से वो बने, जो वो है नहीं तो फिर चर्चा होगी और आलोचना तो फिर जरूर होगी.

हो सकता है फैन बिरादरी का एक वर्ग वो हो जो इस नए अवतार में शर्ट के बटन खोलकर छाती दिखाते शाहरुख़ को देखकर गद-गद हो गया हो. उह आह आउच के नारे लगवा रहा हो दीपिका का कर्वी बदन और डांस स्टेप्स बार बार लगातार देख रहा हो, लेकिन ये कहना कि आज के दर्शक को यही चाहिए और इसी से फिल्म हिट होती है एक मूर्खता से ज्यादा कुछ नहीं है. चाहे वो 57 साल के शाहरुख़ हों या फिर जिंदगी के 36 बसंत देख चुकी दीपिका. बतौर दर्शक हमें इन दोनों से कहीं बेहतर की उम्मीद थी.

गाने में चाहे वो छपरी अवतार में फटी जींस पहनकर बॉडी दिखने वाले एसआरके हों या पाइरेटेड किम कार्दशियां लग रहीं दीपिका पादुकोण दोनों को ही इस बात को समझ लेना चाहिए कि अगर फैंस ने बॉयकॉट बॉलीवुड का ट्रेंड चलाया और एक से एक बड़ी फिल्मों की लंका लगाई तो वो बेवजह नहीं है. कम कपड़ों में भद्दे डांस स्टेप हम बरसों से देखते चले आ रहे हैं. अब स्प्रेगेटी टॉप या ब्रा वाली नायिका शायद हमें इस लिए भी आकर्षित नहीं करती क्योंकि मौजूदा दौर ओटीटी का है और कोई मानें या न मानें वहां ऐसे कंटेंट की भरमार है.

चूंकि पठान लगातार विवादों के घेरे में है. शाहरुख़ संग दीपिका के बहिष्कार की मांग सोशल मीडिया पर जोरों पर है. इसलिए जिस बात को यश राज कैप को समझना चाहिए वो ये कि शार्ट कट आपको क्षणिक सफलता तो दे सकता है लेकिन आप लंबे समय तक मैदान में डंटे रहें ये थोड़ा मुश्किल है.

जिक्र झूमे जो पठान गाने का हुआ है. तो इस बात में कोई शक नहीं है कि आवाज के लिहाज से अर्जित सिंह ने अपनी सबसे बेहतरीन प्रस्तुति दी है लेकिन जब हम इस गाने को सुनने के बजाए देखते हैं तो सिर्फ और सिर्फ मूड ख़राब होता है. जो पहला विचार हमारे दिमाग में आता है वो ये कि जो मेहनत फिल्म पठान के मेकर्स को फिल्म के लिए करनी चाहिए थी वो अगर अश्लीलता का तड़का लगाकर परोसे गए गाने पर हो रही है तो यक़ीनन इस फिल्म में ऐसा कुछ नहीं है जिसके लिए टिकट ख़रीदा जाए और पर्दे का रुख किया जाए.

चाहे वो बेशर्म रंग हो या फिर पठान का ये नया गाना झूमे जो पठान. साफ़ है कि फिल्मांकन के लिहाज से ये वेस्ट से प्रभावित है, तो अगर सच में ऐसा है तो क्या ही बुराई है कि बतौर दर्शक हम फिर वेस्ट की ही फिल्मों का रुख करें. यूं भी चाहे वो क्वालटी हो या फिर कंटेंट वेस्ट की फ़िल्में बॉलीवुड फिल्मों के मुकाबले ज्यादा एंटेरटेनिंग होती हैं बल्कि अगर कोई सीन उनमें दिखाया जाता है तो उसके पीछे एक लॉजिक होता है.

कह सकते हैं कि बॉलीवुड को बॉलीवुड में भी शाहरुख़ खान को ये मानना बंद कर देना चाहिए कि वो जेम्स बॉन्ड हैं.जिनकी गर्लफ्रेंड कोई बीच बेबी और बिकनी पहनी महिला ही होगी. बॉलीवुड के लिए ये भले ही नया हो लेकिन हॉलीवुड इसे दशकों पहले से दिखा रहा है.

गाने को लेकर तमाम क्रिटिक्स की ताराम तरह की राय है ऐसे में जब हम निष्पक्ष होकर गाने को देखते हैं तो हमारा कहना वही है जिसका जिक्र हमने ऊपर किया. गाने में शाहरुख़ खान की ड्रेस से लेकर लुक तक ऐसा कुछ नहीं है जो उनकी उम्र से मैच हो रहा है. वहीं दीपिका खुद सामने आएं और जनता को उस आदमी का नाम बताएं जिससे उन्हें ये प्रेरणा मिली थी कि कम कपड़े उन्हें दर्शकों की नजर में सेक्सी बनाएंगे.

और अंत में हम बस एक बात और कहेंगे कि मेकर्स ने जिस तरह इस गाने में 'फ़ास्ट एंड फ्यूरियस' वाला ऑरा बनाया. वो भी कारगर होता नजर नहीं आ रहा. बात बस ये है कि कोई लाख कोशिश कर ले ओरिजिनल, ओरिजिनल होता है और डुप्लीकेट हमेशा डुप्लीकेट ही कहलाता है चाहे उसे ओरिजिनल बनाए जाने के लिए कितना ही सिर क्यों न खपाया जाए.

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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