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Updated: 06 सितम्बर, 2021 06:54 PM
ज्योति गुप्ता
ज्योति गुप्ता
  @jyoti.gupta.01
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कुछ लोग किस्मत का इंतजार ना करके मेहनत पर क्रेंदित हो जाते हैं. पंकज त्रिपाठी (Pankaj tripathi struggle story) ने भी अपने हाथों की उन लकीरों को ही बदल दिया जिसे देखने के बाद पंडित जी ने कहा थी, लड़के के भाग्य में विदेश जाने का योग नहीं है. उसी पंकज ने अपनी किस्मत खुद लिखी और आज सभी उनके सहज अभिनय के दिवाने हैं.

pankaj tripathi, Pankaj tripathi struggle story, pankaj tripathi success storyमाता-पिता के साथ पंकज त्रिपाठी

जिन निर्देशकों के पीछ वह छोटे-छोटे रोल के लिए भटकता फिरता था, आज वही डायरेक्टर्स पार्किंग में उसे सर-सर बोलकर रोल ऑफर करते हैं. यह समय का पहिया का है जनाब जब घूमता है तो अच्छों-अच्छों को बदल देता है बशर्ते हमें हार नहीं माननी चाहिए और कोशिश जारी रखनी चाहिए.

pankaj tripathi, Pankaj tripathi struggle story, pankaj tripathi success storyपकंज त्रिपाठी अपनी सहज एक्टिंग से अब दिलों पर राज करते हैं

अब थोड़ा समय के पहिए को पीछे लेकर चलते हैं जब पंकज त्रिपाठी को कोई नहीं जानता था. किस तरह एक किसान का एक बेटा जो पिता के साथ खेतों में काम करता था आज हिंदी सिनेमा का पॉपुलर चेहरा बन गया.

वैसे पकंज की जिंदगी भी किसी फिल्मी कहानी जैसी ही लगती है. पकंज बिहार के गोपालगंज के रहने वाले हैं. पिता का नाम पंडित बनारस त्रिपाठी और मां का नाम हिमवंती देवी है. चार भाई-बहनों में वे सबसे छोटे हैं.

पंकज की जिंदगी भी किसी नाटक से कम नहीं, जहां उतार-चढ़ाव आशा-निराशा हैं. बचपन के दिनों से ही पंकज गांव के रंगमंच और छोटे-मोटे नुक्कड़-नाटकों में भाग लिया करते थे. उन्हें ज्यादातर महिलाओंं का रोल दिया जाता था. लोग तारीफ करते और कहते तुमको तो मुंबई जाकर एक्टिंग करनी चाहिए.

pankaj tripathi, Pankaj tripathi struggle story, pankaj tripathi success storyमहिला किरदार में पंकज त्रिपाठी

उनकी जिंदगी में नया मोड़ तब आए जब वे 12वीं की पढ़ाई के बाद आगे की शिक्षा लेने के लिए पटना गए. वहां जाकर वे होटल मैंनेजमेंट की पढ़ाई करने के साथ-साथ राजनीति और कॉलेज के प्ले में भी हिस्सा लेने लगे. वे ABVP के साथ जुड़े और एक रैली के कारण उन्हें एक हफ्ते तक जेल की हवा भी खानी पड़ी. अब एक्टिंग का पहिया आगे बढ़ नहीं रहा था, ऐसे में उन्होंने पटना के एक होटल के किचन में काम करना शुरू कर दिया.

एक बार इंटरव्यू देते समय पंकज ने कहा था, "मैं रात के समय होटल के किचन में काम करता और सुबह थिएटर में. ऐसा दो सालों तक चलता रहा. मैं शिफ्ट से वापस आकर सिर्फ पांच घंटे सोता और दोपहर 2 बजे से 7 बजे तक थिएटर करता. इसके बाद फिर होटल में 11 से सुबह 7 की शिफ्ट."

असल में पकंज नाटक देखने साइकिल से जाते थे. जब वे 12वीं कक्षा में थे तब अंधा कानून नाटक देखकर खूब रोए थे. इस नाटक में एक्टर प्रणिता जायसवाल के किरदार ने उन्हें रुला दिया था. इसके बाद पटना में जहां कहीं भी नाटक होता वे पहुंच जाते. वे इतना प्रभावित हुए कि 1996 में खुद एक कलाकार बन गए. इसके बाद उन्होंने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में एडमिशन लेने की सोची लेकिन इसके लिए उनके पास कम से कम स्नातक की डिग्री जरूरी थी. उन्होंने और हिम्मत दिखाई और होटल में काम करने, थियेटर के साथ ही हिंदी लिट्रेचर में ग्रेजुएशन भी कर लिया. अब जिसके पास ऐसा जुनून हो उसे आगे बढ़ने से भला कौन रोक सकता है?

गैंग्स ऑफ वसेपुर, सेक्रेड गेम्स , फुकरे, मसान, बरेली की बर्फी, एक्सट्रेक्शन, स्त्री, लुका छिपी, कागज और मिमी जैसी फिल्मों और सीरिज के जरिए पंकज त्रिपाठी ने खुद को अभिनय की दुनियां में स्थापित किया है. इनकी जिंदगी में एक दिन वो भी था जब ये बेरोजगार मुंबई की सड़कों पर भटकते थे. सात साल तक पटना और दिल्ली के नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से ग्रेजुएट होने के बाद पंकज 16 अक्टूबर 2004 को मुंबई चले गए.

उनकी जेब में 46,000 रुपये थे लेकिन दिसंबर तक इन पैसों में सिर्फ 10 रुपये ही बचे थे. एक समय ऐसा था कि पत्नी मृदुला का जन्मदिन था लेकिन केक तक के पैसे नहीं थे गिफ्ट तो दूर की बात है. जब वे बेरोजगार थे तो उनकी पत्नी ने कई सालों तक घर के सभी खर्चे संभाले ये बस काम की तलाश में भटकते रहते थे.

pankaj tripathi, Pankaj tripathi struggle story, pankaj tripathi success storyपत्नी मृदुला के साथ पकंज त्रिपाठी

पकंज ने एक साक्षात्कार में कहा था कि "ईमानदारी से कहूं तो, मैंने 2004 और 2010 के बीच कुछ भी नहीं कमाया. मेरी पत्नी मृदुला हमारे घर के रखरखाव में शामिल सभी खर्चों का बोझ उठाती थी. मैं अंधेरी में घूमता था और लोगों से विनती करता था कि कोई एक्टिंग करवा लो, कोई एक्टिंग करवा लो लेकिन उस समय किसी ने मेरी बात नहीं सुनी. उन संघर्ष के दिनों में, मृदुला घर के किराए से लेकर अन्य बेसिक जरूरतों का सारा खर्च उठाती थीं.”

पंकज त्रिपाठी की प्रेम कहानी भी अनोखी ही है. हुआं यूं कि जब वे 10वीं में पढ़ते थे तो एक शादी समारोह में मृदुला को देखा था और पहली नजर में ही उन्हें प्यार हो गया. इसके बाद पंकज ने साल 2004 में मृदुला से शादी कर ली थी. वहीं पंकज को साल 2004 में टाटा टी के एड में नेता बनने का रोल मिला था. इसी साल वे अभिषेक बच्चन और भूमिका चावला के साथ फिल्म रन में नजर आए. उस समय पकंज पर किसी का ध्यान नहीं गया.

एक समय में पंकज किसी तरह बस छोटे-मोटे रोल चाहते थे ताकि घर का किराया दे सकें, लेकिन जब उन्हें अनुराग कश्यप की मल्टीस्टारर फिल्म वासेपुर मिली तो अपनी एक्टिंग का लोहा मनवा दिया. इस फिल्म में मनोज बाजपेयी और नवाजुद्दीन सिद्दीकी जैसे बड़े कलाकार थे.

एक इंटरव्यू में पंकज ने कहा, पहले काम ढूंढना पड़ता था, अब डेट की वजह से फिल्म करने से इनकार करना पड़ता है. पकंज त्रिपाठी को देखकर यकीन होता है कि कोई एक्टर इतनी सादगी के साथ भी दिल जीत सकता है. वे अब भी गांव जाते हैं तो दोस्तों के लिए खुद आग पर लिट्ठी-चोखा बनाते हैं.

pankaj tripathi, Pankaj tripathi struggle story, pankaj tripathi success storyदोस्तों के लिए लिट्टी-चोखा बनाते पंकज त्रिपाठी

पंकज आज भी अपने गांव, अपने घर और खेतों में समय बीताते हैं. अभी भी पंकज जमीन से जुडे हुए हैं और अपने संघर्ष के दिनों को नहीं भूले...मिर्जापुर सीरिज में बाहुबली अखंडानंद त्रिपाठी उर्फ कालीन भइया के रोल तो आपको याद ही होगा...यह जिंदगी किसी सपने से कम नहीं है जहां इतने संघर्षों के बाद सफलता मिली हो…एक खेत में काम करने वाला आज लोगों के दिलों पर राज करता है. जिसके अभिनय का डंका आज बॉलीवुड में बजता है...वो भी हीरो से इतर लेकिन लाजवाब.

लेखक

ज्योति गुप्ता ज्योति गुप्ता @jyoti.gupta.01

लेखक इंडिया टुडे डि़जिटल में पत्रकार हैं. जिन्हें महिला और सामाजिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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