New

होम -> सिनेमा

 |  5-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 14 जनवरी, 2021 11:47 AM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
  • Total Shares

साउथ के सिनेमा में भले ही एक्शन की अति हो लेकिन इस बात में संदेह की कोई गुंजाइश नहीं है कि जब बात क्वालिटी और कंटेंट दोनों की आती है तो ये बॉलीवुड को कहीं पीछे छोड़ देती हैं. साउथ के सुपरस्टार Vijay और Vijay Setupati की फ़िल्म Master को ही देख लीजिए. Lokesh Kanakaraj की इस फ़िल्म में हर वो एलिमेंट हैं जो न केवल फ़िल्म को हिट कराने वाला है बल्कि ये भी बता रहा है कि फ़िल्म का कंटेंट और क्वालिटी दोनों ऐसी हैं कि फ़िल्म दर्शकों को बांधे रहेगी. बात अगर संक्षेप में कहानी की हो तो फ़िल्म एक कॉलेज प्रोफेसर की कहानी है जो युवा अपराधियों को सुधारना चाहता है मगर जो खुद एक गुंडे के चंगुल में फंसे हैं जिसका उद्देश्य इन अपराधियों की मदद से जुर्म का अपना एम्पायर खड़ा करना है. फ़िल्म में प्रोफेसर अपराधियों को सुधारने के लिए जी जान से प्रयास करता नजर आता है लेकिन वो व्यक्ति जो इनकी बदौलत जरायम की दुनिया बनाना चाहता है वो बहुत शातिर है और जानता है कि अपनी मंशा पूरी करने के लिए उसे किन हथकंडों को अपनाना है. फ़िल्म में चाहे वो विजय हों या फिर विजय सेतुपति दोनों ही कलाकारों ने अव्वल दर्जे की एक्टिंग की है और ये दोनों ही लोग उस मैसेज को देने में कामयाब हुए है जिसे सोचकर डायरेक्टर लोकेश कनकराज ने इस फ़िल्म को निर्देशित किया था.

Master Movie Review In Hindi, Master Movie Rating, Master Movie Box Office Collection Vijay, Vijay Setupatiमास्टर फिल्म में विजय और क्रिमिनल बने विजय सेतुपति

Master पर बात हो और जिस तरह की ये फ़िल्म है निर्देशक लोकेश कनकराज को किसी भी सूरत में नकारा नहीं जा सकता है. लोकेश इस बात को बखूबी जानते हैं कि आजकल के दर्शकों विशेषकर दक्षिण के लोगों को क्या पसंद है. लोकेश ने जिस तरह फ़िल्म में एक विलेन को हीरो बनाया है और जैसे प्रयास उनके हैं बॉलीवुड और बॉलीवुड से जुड़े निर्माता निर्देशकों को उनके काम के तरीकों से प्रेरणा लेनी चाहिए.

फ़िल्म की शुरुआत होती है भवानी से. भवानी एक ऐसा टीनेजर है जिसे सुधारगृह उस व्यक्ति ने भेजा है जिसने उसके पूरे परिवार का क़त्ल किया होता है. सुधारगृह में सुधार क्या ही होता है, भवानी एक ऐसा युवक बनता है जिसे सोचने मात्र से ही रौंगटे खड़े हो जाते हैं. फ़िल्म में भवानी किसी निर्मम राक्षस से कम नहीं है. क्योंकि भवानी का बचपन बहुत जटिल था इसलिए वो सिस्टम से लड़ता है और अपना साम्राज्य खड़ा करने के लिए उनकी मदद लेता जिन्होंने अपराध की दुनिया में बस अभी पैर रखा है.

फ़िल्म में विजय का रोल भले ही पॉजिटिव हो मगर चूंकि विजय सेतुपति का रोल इस हद तक मजबूत है शायद उन्हें और निर्देशक दोनों को पॉजिटिव रोल के लिए कड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ा होगा. फ़िल्म में विजय जेडी के किरदार में हैं जिनकी एंट्री तो हीरो वाली ही हुई मगर बात फिर वही है विजय सेतुपति बहुत भारी हैं. फ़िल्म में दिखाया गया है कि जेडी हर संभव कोशिश करता है छुटभैये अपराधियों को सुधारने की लेकिन भवानी का खौफ़ अपराधियों को अपराध की दुनिया में लौटने के लिए विवश कर देता है.

फ़िल्म में जेडी चेन्नई के एक कॉलेज में प्रोफेसर है. भले ही उसका काम पढ़ने पढ़ाने का हो. मगर जैसा उसका अंदाज है जो व्यक्ति उससे जैसे मिलता है वो उनसे उनकी भाषा में बात करता है. जेडी शरीफों के सामने शरीफ है और वो गुंडों के लिए तो गुंडा है ही. बाकी जब प्रोफेसर दबंग हो तो स्टूडेंट्स का उसे प्यार करना लाजमी है. इस फ़िल्म में भी ऐसा ही दिखाया गया है. कुछ परिस्थितियां बनती हैं जेडी कॉलेज छोड़ देता है और उस सुधारगृह में चला जाता है जहां भवानी अपना शो चला रहा होता है.

फ़िल्म एक्शन के अलावा सस्पेंस से भरी है यदि विजय फ़िल्म में 20 हैं तो विजय सेतुपति भी 19 नहीं हैं. फ़िल्म में जेडी जीतता है या फिर भवानी अपने मंसूबों में कामयाब होता है जवाब सारे मिलेंगे लेकिन तब जब आप फ़िल्म देखें. बात एक्टिंग गीत संगीत और निर्देशन की हो तो फ़िल्म में हर चीज परफेक्ट है. जैसा कि हम ऊपर ही बता चुके हैं निर्देशक लोकेश कनकराज इस फ़िल्म की जान हैं तो यदि आप एक बिल्कुल नए तरीके का सिनेमा देखना चाहते हैं तो ये फ़िल्म आपके लिए है.

वहीं इन बातों के बाद अगर हम बात फ़िल्म की सिनेमेटोग्राफी पर करें तो जिस तरह से फ़िल्म शूट हुई है कई बातें सिर्फ सीन देखकर ही समझ में आ जाएंगी. फ़िल्म में गीत संगीत और ललटके झटके वैसे ही हैं जिनके लिए साउथ का सिनेमा मशहूर है. अंत में बस इतना ही कि फ़िल्म देखिये. ज़रूर देखिये. हमारा दावा है कि आप बोर नहीं होंगे और जो मनोरंजन आपको मिलेगा आपकी कल्पना से परे होगा. फ़िल्म देखते हुए आप इस सोच में पड़ जाएंगे कि काश इस तरह का सिनेमा बॉलीवुड में भी बन पाता.

ये भी पढ़ें -

KGF 2 World Record: सिर्फ टीजर पर इतना धांसू रिस्पॉन्स मजाक बिल्कुल नहीं है!

Sir movie review: मालिक और नौकर के बीच का प्यार आपको कहीं अंदर झकझोर देगा!

Madam Chief Minister: बवाल छोड़िए, मायावती पर फ़िल्म तो बननी ही चाहिए!

#मास्टर, #मास्टर मूवी रीव्यू, #फिल्म रिव्यू, Master Movie Review, Master Movie Review In Hindi, Master Movie Review And Rating

लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय