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Updated: 02 अक्टूबर, 2021 04:14 PM
अनुज शुक्ला
अनुज शुक्ला
  @anuj4media
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पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की मौत की गुत्थी आजतक सुलझ नहीं पाई है. शास्त्री जी की मौत पर संदेह जताने वालों में उनकी पत्नी ललिता शास्त्री भी थीं. उनका परिवार और बेटा कई मर्तबा सार्वजनिक रूप से मांग कर चुका है कि मौत से जुड़े कागजात डीक्लासिफाई (सार्वजनिक) कर दिए जाएं. दिलचस्प है कि सुभाषचंद्र बोस की मौत पर सरकार ने कागजात सार्वजनिक किए, मगर शास्त्री के मामले में ऐसा करने से बचता रहा है. साल 2010 में एक आरटीआई में भी कागजात सार्वजनिक नहीं किए जाने पर सवाल पूछा गया था, जिसपर सरकार ने कहा कि ऐसा करने से किसी देश के साथ दोस्ताना रिश्ते खराब हो सकते हैं. पूर्व प्रधानमंत्री की मौत पर सरकार के इसी रवैये ने लोगों के शक को हमेशा पुख्ता किया है. और स्वाभाविक रूप से शास्त्री जी की जयंती और पुण्यतिथि पर हर साल सवाल ताजा हो जाते हैं. आखिर सरकार उनकी मौत से जुड़ी चीजों को छिपाना क्यों चाहती है?

पूर्व प्रधानमंत्री की मौत पर अब तक ना जाने कितना कुछ लिखा जा चुका है. बहुत सारी रिपोर्ट्स, किताबें और आरटीआई के जरिए सवाल-जवाब सामने आ चुके हैं. साल 2019 में द ताशकंत फाइल्स नाम की एक फिल्म भी आई थी. इसमें भी मौत को संदेहास्पद बताते हुए तत्कालीन राजनीति और उसे कंट्रोल करने वालों पर सीधे सवाल उठे थे. फिल्म का लेखन-निर्देशन विवेक अग्निहोत्री ने किया था. विवेक, बीजेपी समर्थक फिल्मकार के रूप में शुमार किए जाते हैं. द ताशकंद फाइल्स में मिथुन चक्रवर्ती, नसीरुद्दीन शाह, पंकज त्रिपाठी, पल्लवी जोशी, श्वेता बसु प्रसाद और मंदिरा बेदी जैसे सितारों ने उम्दा अभिनय किया है.

lal-bahadur-shastri-_100221030145.jpgद ताशकंद फाइल्स का एक सीन.

अगर द ताशकंद फाइल्स के राजनीतिक झुकाव को छोड़ दिया जाए तो इसमें कोई शक नहीं कि विवेक की फिल्म एक थ्रिलिंग एंटरटेनर है और शास्त्री की मौत को बड़ी अंतरराष्ट्रीय साजिश के रूप में पॉइंट आउट करने में कामयाब भी दिखती है. विवेक अग्निहोत्री ने कई सारी रिपोर्ट्स, किताबों, आरटीआई और लोगों के बयानों को आधार बनाते हुए रोचक कहानी लिखी. जी-5 के ओटीटी प्लेटफॉर्म पर मौजूद फिल्म एक बार देखने लायक तो है ही. अब आते हैं द ताशकंद फाइल्स के बहाने उन सवालों पर जिसे शास्त्री जी की पत्नी, बेटे, बहू और रिश्तेदार उठाते रहे हैं.

शास्त्री की मौत पर एक भी जांच कमेटी गठित क्यों नहीं बनी?

1965 में भारत पाकिस्तान की लड़ाई के बाद तत्कालीन रूस के ताशकंद में समझौता हुआ था. 10 जनवरी, 1966 को प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान ने वॉर ट्रीटी पर हस्ताक्षर किए. घटना के करीब 12 घंटे बाद 11 जनवरी को तड़के उनकी अचानक मौत हो गई थी. आधिकारिक रूप से उनकी मौत की वजह को दिल का दौरा पड़ना बताया गया. तुरंत सवाल भी उठे. विपक्ष ने भी खूब हल्ला किया. अब तक कई सरकारें बनीं मगर किसी भी सरकार ने जांच कराने की जरूरत नहीं समझी. आखिर क्यों?

शास्त्री जी का चेहरा नीला क्यों पड़ गया था?

मौत के बाद जब लाल बहादुर शास्त्री को देश लाया गया उनका पूरा चेहरा नीला पड़ा था, उनके चेहरे पर भी सफ़ेद धब्बे थे. कई दावे सामने आ चुके हैं जिसमें शास्त्री के परिजनों ने भी कहा कि चेहरे पर चंदन पोतकर उसे छिपाने की कोशिश हुई थी. आखिर ये क्या था? क्या शास्त्री जी की मौत किसी तरह का जहर देने से हुई थी. क्योंकि नीला पड़ना दिल के दौरे के सामान्य लक्षण तो नहीं हैं.

लाल डायरी और थर्मस कहां गया?

शास्त्री जी के पास हमेशा एक लाल रंग की डायरी हुआ करती थी. मौत के बाद वो गायब थी. वह थर्मस भी नहीं मिला जिसे शास्त्री जी हमेशा अपने पास रखते थे. द ताशकंद फाइल्स में इस सवाल को प्रमुखता से उठाया गया है कि उस दिन शास्त्री जी को थर्मस में दूध किसने दिया था?

पोस्टमार्टम कराना क्यों जरूरी नहीं समझा गया?

शास्त्री जी के मौत की जो भी वजहें हों लेकिन उस वक्त उनकी अचानक मौत कई तरह के संदेहों को पुख्ता करने के लिए पर्याप्त है. देश के प्रधानमंत्री की संदेहास्पद मौत के बावजूद सरकार ने आखिर उनके शव का पोस्टमार्टम कराना क्यों जरूरी नहीं समझा? फिल्म में शास्त्री की मौत पर दो अलग-अलग मेडिकल रिपोर्ट पर भी सवाल उठाया गया है.

आपात स्थिति में शास्त्री जी ने कोई संकेत क्यों नहीं दिया?

शास्त्री जी के साथ उनका स्टाफ था. फुलप्रूफ सिक्युरिटी भी. अगर शास्त्री जी को दिल का दौरा पड़ा तो उसकी भनक स्टाफ को कैसे नहीं लग पाई? शास्त्री जी को पहले भी दिल का दौरा पड़ चुका था. प्रधानमंत्री की सुरक्षा टीम ने ऐसी आपात स्थिति के लिए आखिर क्या तैयारी की थी. वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैय्यर ने भी अपनी किताब में 'बियोंड द लाइन' में लिखा था- उस रात मैं सो रहा था. अचानक एक रूसी महिला ने दरवाजा खटखटाया. उसने बताया कि आपके प्रधानमंत्री मर रहे हैं. मैं तुरंत उनके कमरे में पहुंचा. मैंने देखा कि रूसी प्रधानमंत्री एलेक्सी कोस्गेन बरामदे में खड़े हैं. उन्होंने बताया कि शास्त्री का निधन हो गया.

क्यों बदल गया था शास्त्री जी का खानसामा?

रूस दौरे में प्रधानमंत्री का अपना कुक भी था मगर उस रात शास्त्री जी के लिए मॉस्को में भारत के तत्कालीन राजदूत टीएन कौल के निजी खानसामे जॉन मोहम्मद ने खाना बनाया था. आखिर इस बदलाव की वजह क्या थी?

विवेक अग्निहोत्री की फिल्म द ताशकंद फाइल्स शास्त्री की मौत से जुड़ा कोई निष्कर्ष तो नहीं देती है, मगर इस विंदु पर जरूर पहुंचती है कि उनकी मौत के पीछे गहरी साजिश थी और इसमें देश के शक्तिशाली राजनीतिक तबके साथ अंतर्राष्ट्रीय शक्तियां भी शामिल थीं. शास्त्री की मौत से जुड़ा सच क्या है लोग आज नभी जानना चाहते हैं.

लेखक

अनुज शुक्ला अनुज शुक्ला @anuj4media

ना कनिष्ठ ना वरिष्ठ. अवस्थाएं ज्ञान का भ्रम हैं और पत्रकार ज्ञानी नहीं होता. केवल पत्रकार हूं और कहानियां लिखता हूं. ट्विटर हैंडल ये रहा- @AnujKIdunia

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