द जंगल बुक का दादा शेर खान नहीं हाथी है!
जॉन फेवरू की द जंगल बुक फिल्म देखी तो एक रोमांच फिर पैदा हो गया. ग्राफिक्स के जरिये जॉन ने ऐसा जंगल गढ़ दिया जो कतर्निया घाट में देखे गए जंगल से काफी करीब था. जॉन के जंगल में भी पतली नदियां बहती हैं. हिरण चरते हुए नजर आते हैं. गैंडे अलसाते हुए दिखते हैं.
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बात मार्च की है. हम लोग उत्तर प्रदेश के कतर्निया घाट वन्य जीव विहार में गए थे. जो क्रेज हमें वहां खींचकर ले गया, वह था घना जंगल और उसमें घूमने वाले वन्य प्राणी. सबसे खास था, बाघ. वहां हम तीन दिन रहे. वो तीन दिन रहना, यानी हर वक्त टाइगर का पीछा करने जैसा था. कभी खबर मिलती कि रात को टाइगर एक शिकार का पीछा करते हुए जंगल के वॉचर की गाड़ी के आगे से निकल गया और कभी अंधेरे में चमकती हुई आंखे दिखीं जो हमें घूर रही थीं. लेकिन वह क्या थीं, हम इसे नहीं जान सके. जब जंगल सफारी पर निकले तो वह ग्रासलैंड देखा जहां रात को बाघ अपना शिकार कर रहा था.
लंबी-लंबी घास. दूर तक फैली हुई. रात को अपनी कॉटेज पर लौटते समय इसी घास के मैदान में ढेर सारे हिरण अपना भोजन करते नजर आए थे. गजब नजारा था. यही घास का मैदान दिन में एकदम खामोश था. रात को यहां शिकार के लिए हुई जद्दोजहद के कोई निशां नहीं थे. लेकिन उसे देखकर शरीर में एक अजीब किस्म का रोमांच पैदा होता था.
शिकार का रोमांच
अब जब जॉन फेवरू की द जंगल बुक फिल्म देखी तो वह रोमांच एक बार फिर पैदा हो गया. ग्राफिक्स के जरिये जॉन ने ऐसा जंगल गढ़ दिया जो कतर्निया घाट में देखे गए जंगल से काफी करीब था. जॉन के जंगल में भी पतली नदियां बहती हैं. हिरण चरते हुए नजर आते हैं. गैंडे अलसाते हुए दिखते हैं. हां, सबसे खास यह कि एक बाघ है. जिसे इंतजार है तो अपने शिकार एक इंसान का. फिर जब मॉगली को इंसानों की बस्ती में छोड़ने के लिए पैंथर बघीरा उसके साथ जाता है तो वह भी जंगल के घास के मैदान से होकर गुजरते हैं. एकदम खामोश घास के मैदान जहां कुछ जंगली भैंसें अपना पेट भर रही होती हैं.
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लेकिन शिकारी अपने शिकार के इंतजार में यहां भी घात लगाए बैठा होता है. तभी बघीरा मॉगली को झुकने के लिए कहता है, और एकदम से बाघ शेर खान उस पर कूद पड़ता है. फिर शिकार और शिकारी के बीच घास के मैदान में एक जंग शुरू हो जाती है. पीछे शानदार म्यूजिक. जबरदस्त चेज. कमजोर इंसानी बच्चा बाघ से बचने के लिए भागता है. मॉगली जान बचाकर भागते भैंसों के झुंड में शामिल हो जाता है और शेर खान के चंगुल से निकल जाता है. इस सीन को देखते हुए जंगल में शिकार और शिकारी के बीच होने वाली प्रतिस्पर्धा का जो सीन दिखा उसने सच में रौंगटे खड़े कर दिए.
लेकिन दादा तो कोई और ही है
असल बात जो कतर्निया घाट और द जंगल बुक ने सिखाई वह ये कि बाघ अपने खौफ के दम पर जंगल में जीता है. लेकिन यह हाथी ही है जो असली दादा है और जैसा बघीरा कहता है कि जंगल इन हाथियों ने बनाया है और इनका सम्मान करना चाहिए. वैसे भी कतर्निया घाट जंगल के अधिकारियों ने हमेशा हमसे यह बात कही कि बाघ मिल जाए तो कोई बात नहीं लेकिन हाथी नहीं मिलना चाहिए. अगर मिल जाए तो खामोश रहना. ऐसी कोई हरकत मत करना जिससे उसे चुनौती या खतरा लगे. एकदम खामोश, कोई हरकत नहीं. जंगल में जितने भी लोग मिले उन्होंने यही कहा. वाकई द जंगल बुक में जहां बाघ दादा दिखता है वहीं असल जिदगीं में जंगल का असली दादा तो हाथी है....
जंगल बुका का हिंदी ट्रेलर
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