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Updated: 05 जनवरी, 2023 01:46 PM
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तो फिर बॉक्स ऑफिस पर फिल्म क्यों पिट गई या बेरुखी से कहें क्यों औंधे मुंह गिरी? बोले कि 2019 में आयी साउथ की फिल्म 'हेलन' की रीमेक थी या टेम्पो स्लो था तो ये बातें ओटीटी पर ज्यादा लागू होती हैं चूंकि अरसा हो गया ओरिजिनल फिल्म 'हेलन' उपलब्ध है ओटीटी पर और बहुतेरे व्यूअर्स देख भी चुके हैं. दरअसल आज कस्बाई और शहरी व्यूअर्स तभी थियेटर का रुख करते हैं जब एक जोरदार फिल्म या फिल्म का कंटेंट ऐसा है जिसे वे ओटीटी पर इंजॉय नहीं कर सकते मसलन साइंस फिक्शन हो, विशेष थिएटर इफेक्ट्स हों, विजुअल इफेक्ट्स हों, 3D हों. अन्यथा स्टोरी कितनी भी कलात्मक हो, कसी हुई हो, बेहतरीन ड्रामा हो. बेहतरीन अदाकारी हो, व्यूअर्स को सिर्फ एक से दो महीने इंतजार भर ही तो करना है. स्मार्ट 'टीवी विद ओटीटी' अब घर घर हैं, जिनका सालाना सब्सक्रिप्शन एक बार के किसी मल्टीप्लेक्स में फिल्म देखने के खर्चे से भी कम है. फिर ऑप्शन हाथ में हैं अपने फुर्सत के पलों के अनुसार फिल्म देखने का, मन हुआ तो पूरी एक बार में देख ली या फिर रुक रुक कर दो चार दिनों में देख ली. एक बात तय हो चली है अब हिंदी पट्टी के फिल्मकारों को साउथ की फिल्मों का रीमेक बनाना एक सेफ ऑप्शन लगता है, हिट हो गई तो वारे न्यारे हैं, नहीं भी हुई तो डिजास्टर होने के चांसेस काफी कम रहते हैं, आखिर एक हिट फिल्म का ही तो रीमेक बनाया है. अब 'मिली' से रूबरू हो लें. मलयालम फिल्म की 'हेलन' ही है हिंदी फिल्म की 'मिली'.

Mili, Film Review, Bollywood. Malayalam Film, Remake, Jahnvi Kapoor, Acting, OTTजाह्नवी कपूर की मिली एक ऐसी फिल्म है जिसे देखा जा सकता है

स्टोरी हूबहू है. चूंकि निर्देशक भी हूबहू हैं माथुकुट्टी जेवियर इसलिए हेलन का सर्वाइवल ड्रामा भी हूबहू से बेहतर करवा पाए हैं जान्हवी कपूर से 'मिली' के किरदार में. और फिर जेवियर की डेब्यू फिल्म थी 'हेलन' जिसके लिए उन्हें बेस्ट डायरेक्टर का नॅशनल अवार्ड भी मिला था. निर्देशक माथुकुट्टी जेवियर की काबिलियत ही है कि वे रोजमर्रा की एक नॉर्मल सिचुएशन को एक ऐसी हॉरर स्थिति में बदल देते हैं, जहां पल-पल इस बात की उत्सुकता बनी रहती है कि फ्रीज़र में 'मिली' सर्वाइव करने के लिए क्या क्या हथकंडे अपनाएगी और जो भी युक्तियां वह आजमाएगी, अपना नर्सिंग एक्सपीरियंस यूज़ करेंगी, क्या वे उसकी जान बचाने में कारगर सिद्ध होंगी ?

फर्स्ट हाफ में फिल्म काफी सिंपल और सोबर तरीके से बढ़ रही थी और थोड़ी बोरियत सी भी लगने लगी थी लेकिन फिर सेकंड हाफ में कहानी ट्विस्ट और टर्न के साथ आगे बढ़ती है और जैसे-जैसे फ़ूड चैन के डीप फ्रीज़र में 'मिली' की जद्दो-जहद बढ़ती जाती है, व्यूअर भी ठंड से कंपकंपाने सा लगता है. 'मिली' बनी जाह्नवी का उस फ्रीज़र में सहबाला सरीखे छोटे से चूहे के साथ कनेक्ट भी मार्मिक बन पड़ा है.

फिल्म जातिगत भेदभाव, पुलिस के उदासीन और रिवेंजफुल रैवये के साथ-साथ छोटे शहर की मानसिकता जैसे मुद्दों को भी समेटती है. लेकिन कई दृश्य रिपीट से होते भी प्रतीत होते हैं और जब ऐसा होता है तो डीप फ्रीज़र के अंदर का बिल्ड अप टेंशन पकड़ छोड़ता प्रतीत होता है. तकनीकी पक्ष की बात करें, तो सिनेमेटोग्राफी फिल्म की रफ्तार को कंट्रीब्यूट करती है, फ्रीजर के अंदर के क्लोज अप शॉट्स रोमांच पैदा करते हैं. संगीत के मामले में सच्ची सच्ची कहें तो फिल्म कमजोर है.

ए आर रहमान एक बार फिर अपने नाम के हिसाब का संगीत बनाने में विफल रहे हैं. जावेद अख्तर का नाम बतौर गीतकार देखकर भी फिल्म के गानों से उम्मीदें बंधी थी, लेकिन वह अपना सबसे बेहतर सृजनात्मक समय शायद जी चुके हैं. निःसंदेह इस बार रीमेक इक्कीस बन पड़ा है, पहली वजह तो निर्देशक का कॉमन होना है और दूसरी वजह जाह्नवी कपूर का लीड रोल में होना है आखिर तीन तीन रीमेक के लीड रोल निभाने का अनुभव जो हैं उन्हें.

अभिनेत्री के रूप में जाह्नवी कपूर 'मिली' जैसी मासूम, मिलनसार, आदर्शवादी और सर्वाइवल इंस्टिंक्ट रखने वाली लड़की के रुप में खूब जंचती हैं. निःसंदेह फिल्म दर फिल्म जाह्नवी कपूर अपने क्राफ्ट को परिष्कृत करती जा रही हैं. इस फिल्म में भी उनकी मेहनत पर्दे पर साफ झलकती है. मनोज पाहवा इस दौर के समर्थ चरित्र अभिनेताओं में से हैं और पिता के विभिन्न रूपों को वे बेहद सहजता से जीते हैं. मिली के प्रेमी के रूप में सनी कौशल ने अपनी भूमिका में कोई कमी नहीं छोड़ी है.

सीनियर कॉन्स्टेबल सतीश रावत के रूप में अनुराग अरोड़ा गुस्सा दिलाते हैं, तो हेड पुलिस अफसर के रूप में संजय सूरी पुलिस पर्सपेक्टिव के लिए राहत लेकर आते हैं.अन्य सभी सहयोगी कलाकार कहानी के अनुरूप ही हैं. अंत में एक बात और, लगता है नेटफ्लिक्स ने इंडियन फॅमिली क्लास के लिए इमेज बिल्डिंग की ठान ली है. अच्छी बात है. फिर जॉनर भी अलग अलग ट्राई हो रहा है. सो "कला" के बाद एक और वर्थ वॉच फिल्म है 'मिली'!

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लेखक

prakash kumar jain prakash kumar jain @prakash.jain.5688

Once a work alcoholic starting career from a cost accountant turned marketeer finally turned novice writer. Gradually, I gained expertise and now ever ready to express myself about daily happenings be it politics or social or legal or even films/web series for which I do imbibe various  conversations and ideas surfing online or viewing all sorts of contents including live sessions as well .

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