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Updated: 28 दिसम्बर, 2018 04:53 PM
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शाहरुख खान की फिल्म जीरो 7 दिनों में बॉक्स ऑफिस पर सिर्फ 84.10 करोड़ ही कमा पाई है. जहां एक ओर जीरो की असफलता इसे 100 करोड़ क्लब से कुछ दूर रखे हुए है, वहीं दूसरी ओर Simmba रिलीज हो चुकी है जो जीरो की कमाई को थोड़ा और कम कर सकती है. हालांकि, Zero की कमाई कम हो रही है, लेकिन इसे बनाने में 200 करोड़ खर्च कर दिए गए. शाहरुख खान को बौना दिखाने के लिए कितनी मेहनत करनी पड़ी है ये जानकारी शायद आपको नहीं होगी.

रेड चिली एंटरटेनमेंट ने जीरो फिल्म के VFX और बिहाइंड द सीन का वीडियो जारी किया है. इसमें शाहरुख और उनकी टीम बता रही है कि आखिर कैसे उन्होंने 5 फुट 8 इंच के शाहरुख को 2.5 फुट का दिखाया. ये वीडियो हाल ही में जारी किया गया है और वीडियो में शाहरुख बता रहे हैं कि कैसे एक खास तकनीक के जरिए उन्होंने एक ही सीन को 5 बार शूट किया और फिर उसे जोड़ा गया. इस तरह फिल्म में शाहरुख का लगभग हर सीन 5 अलग-अलग बार शूट किया गया है.

शाहरुख खान, जीरो, बौना, VFX, फिल्मजीरो फिल्म में एक ही सीन को शूट करने के लिए 5 बार अलग-अलग शॉट्स लेने पड़े थे

फिल्म में जिस तकनीक का इस्तेमाल किया गया है वो है फोर्स्ड पर्सपेक्टिव टेक्नीक. इसमें एक ही सीन को अलग-अलग कैमरा एंगल से फिल्माया जाता है और बाद में फुटेज एक साथ जोड़ दी जाती है जिससे ऐसा लगे कि एक ही सीन है. शाहरुख के एक सीन को फिल्माने में पहले उनके बॉडी डबल का इस्तेमाल कर एक सीन फिल्माया जाता था जिससे बौने की बॉडी आए, फिर जमीन में गड्ढा करके शाहरुख के साथ सीन फिल्माया जाता था, फिर बैकग्राउंड को अकेले फिलमाया जाता था, फिर बैकग्राउंड में चलने वाले लोगों को अकेले फिलमाया जाता था, फिर शाहरुख को दोबारा बिना को एक्टर के सीन शूट करना होता था. जीरो में 1600 वर्ल्ड वाइड VFX आर्टिस्ट और रेड चिली एंटरटेनमेंट के 600 VFX आर्टिस्ट का इस्तेमाल किया गया है.

जीरो के VFX की पूरी जानकारी दी जा रही है इस वीडियो में-

अकेले जीरो ही नहीं है जिसमें इस तरह का कोई सीन फिल्माया गया है. 1989 में यानी 29 साल पहले कमल हसन ने 'अप्पू राजा' फिल्म में बौने का किरदार निभाया था. उस फिल्म में बौना बनने के लिए कमल हसन लगभग हर मुमकिन कोशिश कर गए थे. उन्होंने हॉलीवुड तक जाकर तकनीक सीखने की कोशिश की थी, लेकिन क्योंकि उस दौर में VFX जैसी तकनीक नहीं थी इसलिए कमल हसन ने खास बूट्स बनवाए थे और पूरी फिल्म में वो अपने पैरों को बांधकर घुटनों के बल चले थे.

इसके अलावा, जब भी उन्हें कोई सीन करना होता जिसमें दूसरे एक्टर भी शामिल थे और उनके पैर नहीं दिखने थे या अगर कोई आउटडोर शूट करना होता था, उसमें जमीन में गड्ढा खुदवाया जाता और उसके जरिए बनाए गए थे अप्पू बौने. उस समय ये फिल्म 80 लाख के बजट के साथ बनाई गई थी और फिल्म में कमल हसन की खूब तारीफ हुई थी. इसके अलावा, अनुपम खेर भी फिल्म 'जानेमन' में बौने बने थे. उस समय अनुपम खेर ने भी इसी तरह का तरीका अपनाया था. अपने रोल को पूरा निभाने के लिए उन्होंने 40 दिनों तक अपने पैर बांधकर रखे थे.

अब ऐसे में देखा जाए तो शाहरुख खान की फिल्म के VFX पैर बांधकर रखने वाली मजबूरी से तो ऊपर हो गए हैं. ये बताता है कि शाहरुख खान की फिल्म के लिए बहुत मेहनत की गई है और अगर किसी और चीज़ के लिए न सही, लेकिन फिर भी कम से कम

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