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Updated: 25 नवम्बर, 2016 03:13 PM
नरेंद्र सैनी
नरेंद्र सैनी
  @narender.saini
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शाहरुख खान और आलिया भट्ट की डियर जिंदगी आज रिलीज हो गई है. युवा तेवरों वाली फिल्म हमें कई तरह की बातें पेश करती नजर आती है, और पूरी तरह से कई मामलों में पटरी से उतरी हुई दिखती है. इस फिल्म को देखकर यह पांच बातें सबसे पहले जेहन में आती है.

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फिल्म में अगर कुछ मिसिंग है, तो वो है कहानी

फिल्म देखने के लिए कॉन्वेंट एजुकेशन है जरूरी

डियर जिंदगी को देखने के लिए आपको कम से कम कॉन्वेंट से पढ़ा हुआ जरूर होना चाहिए नहीं तो फिल्म में ऐसी बातें आएंगी जो शायद आपके सिर के ऊपर से निकल जाएंगी. अगर संभव हो तो स्मार्टफोन पर डिक्शनरी खोलकर भी इन वाक्यों को समझा जा सकता है (वैसे हिंदीभाषी दर्शकों के लिए फिल्म इंटरवल के आसपास शुरू होती है जब शाहरुख थोड़ी हिंदुस्तानी बोलते हुए राहत देते हैं).

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इश्क आज भी मैच्योर ही है

डियर जिंदगी फिल्म उन पुरुषों के लिए अच्छी फिल्म हो सकती है जो यह सोचते हैं कि 40 के बाद जिंदगी खत्म हो जाती है. अगर वे मैच्योर हैं, या डिवोर्सी हैं (न भी हो तो चलेगा) और थोड़े हॉट किस्म के हैं, और समझदार हैं तो उनके लिए दुनिया खत्म नहीं हुई है. संभावनाएं अपार हैं. आलिया भट्ट फिल्म में कई युवाओं के साथ समय गुजारती हैं लेकिन वे किसी को 'आइ लाइक यू' कहती हैं तो वे मैच्योर शाहरुख खान ही हैं.

डेढ़ मिनट का विज्ञापन बनाम पूरी फिल्म

गौरी शिंदे एडवर्टाइजिंग बैकग्राउंड से रही हैं तो उन्हें समय की नब्ज पहचानना आता है. लेकिन इस बार उन्होंने डेढ़ मिनट के एक विज्ञापन को लगभग दो घंटे से ज्यादा समय तक खींच दिया है, और आखिर तक दर्शक समझ नहीं पाता है कि फिल्म में कहानी थी क्या.

सिर्फ नाममात्र के लिए न बनाएं महिला केंद्रित फिल्म

गौरी शिंदे को यह समझना चाहिए कि सिर्फ महिला केंद्रित फिल्म बनाने के लिए ही नहीं बनानी चाहिए. इंग्लिश विंगलिश एक मैच्योर औरत की कहानी थी जो भाषा से त्रस्त थी. एक मजबूत कहानी थी. डियर जिंदगी की एक युवती की कहानी है, लेकिन लोचा यह कि इसमें कहानी ही मिसिंग है. सिर्फ युवाओं की जिंदगी दिखाने के लिए सारा ताम-झाम किया गया है और एक गलतफहमी को लेकर पूरी फिल्म गढ़ दी गई है. इसलिए सिर्फ नाममात्र के लिए ही महिला केंद्रित फिल्म नहीं बनानी चाहिए.

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घर में बुजुर्गों का होना जरूरी है

आजकल के युवा जो घर परिवार से दूर भागते हैं, उनके लिए फिल्म में यह संदेश है कि बेशक मां-बाप बोझ हो सकते हैं लेकिन उनसे बात करके ही आप अपने सारे बोझ दूर कर सकते हैं. आपको जीवन में मैच्योर इनसान की जरूरत होती है, और वह आपको हर समस्या से उबार सकता है जैसे शाहरुख खान. यानी हर इक घर में मैच्योर इंसान जरूरी है.

लेखक

नरेंद्र सैनी नरेंद्र सैनी @narender.saini

लेखक इंडिया टुडे ग्रुप में सहायक संपादक हैं.

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