New

होम -> सिनेमा

 |  5-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 17 फरवरी, 2023 07:34 PM
  • Total Shares

बात कर रहे हैं नेटफ्लिक्स की डॉक्यूसीरीज 'द रोमांटिक्स' की जो हिंदी के रूमानी फ़िल्मकार यश चोपड़ा और उनके प्रोडक्शन हाउस यशराज फिल्म्स के पांच दशकों का सफ़रनामा है. समय के साथ साथ बदलते रूमानी मिजाज से उपजी यादगार प्रेम कहानियों के कहे जाने के पीछे की कहानियों को उनके ही किरदारों को निभाने वालों ने, बनाने वालों ने अपनी अपनी स्मृति पर जोर डालते हुए खूब कहा है या यों कहें कि यथा नामे तथा गुणे चरितार्थ करती हुई इंडो अमेरिकन डॉक्यूमेंट्री स्पेशलिस्ट स्मृति मूंधड़ा ने कहलवाया है.

निःसंदेह कांसेप्ट सराहनीय है, कुछेक कमियों को छोड़ दें तो स्मृति ने बखूबी कवर भी किया है लेकिन हिंदी सिनेमाप्रेमी कनेक्ट नहीं करते. यश चोपड़ा ने, आदित्य ने और तमाम एक्टरों ने हिंदी सिनेमा के लिए हिंदी में काम किया. हाँ, अपवाद स्वरूप कुछ कलाकार या तकनीकी लोग अहिंदी भाषी हैं. ऐसे में इस डॉक्यूसीरीज की मूल भाषा हिंदी होती और बाकी भाषाओं में डब किया जाता तो घंटे भर भर के चार एपिसोडों की जर्नी से हिंदी पट्टी के सिनेमा लवर्स का राब्ता बैठ जाता. इंग्लिश में बनाकर हिंदी में डब करा हुआ नेपथ्य से सुनना काफी खटकता है. ऐसा तो नहीं था कि कोई भी मसलन शाहरुख़, अमिताभ, काजोल, रानी मुखर्जी, सैफ, ऋतिक और अन्यान्य हिंदी में साक्षात्कार देने में, बोलने में सहज नहीं है. जो हिंदी बोलने में सहज नहीं है, उनसे अपवाद स्वरूप अंग्रेजी में कहलवाया जा सकता था. वैसे ध्यान दें सीरीज के ही उन मोमेंट्स पर जब बराक ओबामा किंग खान के कहे 'सेनोरिटा, बड़े बड़े देशों में छोटी छोटी बातें...' अमेरिकन लहजे में ही सही हिंदी में बोलते हैं.

कहने का मतलब एक अमेरिकन हिंदी फिल्म की सराहना के लिए फिल्म के हिंदी डायलॉग को हिंदी में ही दोहरा गया लेकिन रग रग में रची बसी हिंदी के लिए हिंदी बोलने से हिंदी भाषी को ही गुरेज क्यों ? हाँ, स्मृति मूंधड़ा इसे अंग्रेजी में ही बनाना चाहती थी तो बात और है. लेकिन वे व्यूअर्स के लिहाज से अपने कंटेंट को लिमिटेड एडिशन टाइप टाइपकास्ट क्यों करना चाहेंगी ? स्पष्ट है कमी हमारे सितारों में हैं जिन्हें अन्यथा भी जब हम पब्लिक्ली सुनते हैं, अंग्रेजी ज्यादा हिंदी बहुत कम ही बोलते सुनते हैं. विडंबना ही है कि ये तमाम फ़िल्मी हस्तियां हिंदी फ़िल्में बनाती है, हिंदी दर्शक उनके भाग्यविधाता हैं, बॉलीवुड शब्द से उन्हें नफ़रत भी है (जैसा डॉक्यूसीरीज में कई सितारों ने कहा) लेकिन इंटरव्यू सभी अंग्रेजी में देते हैं. अपवाद के लिए कहीं किसी ने कुछ हिंदी में कहा भी तो उच्चारण के लहजे से ऐसा लगा अंग्रेज ही हिंदी बोल रहा है.

The Romantics Netflix Yash Chopraजिस हिंदी भाषा में यश चोपड़ा ने जीवनभर काम किया, दर्शक को उनकी ही कहानी हिंदी में नहीं मिली!

कुल मिलाकर वे ऑरिजिनल दिखना चाहते हैं, लेकिन वास्तव में, वे बस एक दूसरे से ज्यादा वेस्टर्न दिखने की प्रतिस्पर्धा में हैं. दर्शक चाहते हैं कि अपने प्रिय सितारों से कनेक्ट करें जबकि सितारों की असलियत देसी से दूरी बनाने की है. और इसलिए अंग्रेजी बोलने में उन्हें भद्रता समझ आती है.

हम कहां हिंदी अंग्रेजी के झमेले में उलझ गए ? निःसंदेह यश चोपड़ा जी की पूरी जिंदगी को बेहद ख़ूबसूरती से बयां किया गया है. बड़े भाई बीआर चोपड़ा के बैनर तले फ़िल्में बनाने से लेकर उनकी शादी, फिर खुद का प्रोडक्शन हाउस, उसके आगे YRF स्टूडियो का बनना और ‘होनहार वीरवान के होत चिकने पात’ आदित्य चोपड़ा के आर्विभाव से लेकर शिखर छूने तक के अनूठे सफ़र के दस्तावेज को सहेजने का काम करते हैं तक़रीबन चालीस सेलेब्स शामिल किये गए हैं जो यश जी और आदित्य के साथ अपने अपने क़िस्सों को शेयर करते हैं. किस किस का नाम लें - अमिताभ, सलीम , शाहरुख़, काजोल, अनुष्का, सलमान , कैटरीना , माधुरी, रानी मुखर्जी, भूमि पेंडलकर , आयुष्मान, रणवीर, ऋषि कपूर , नीतू सिंह और और उल्टे वे समकालीन नाम लेना आसान है जो नहीं है मसलन डिंपल, अक्षय कुमार.

सीरीज की ख़ासियत इस बात में हैं कि जिस ख़ूबसूरती से बदलते वक्त के साथ साथ बदलते सिनेमा का ज़िक्र किया गया है, लाजवाब है. जैसे देश की आर्थिक और राजनीतिक परिस्थितियों में ख़ासकर इमरजेंसी की वजह से एंग्री यंग मैन का उदय होना “दीवार” फ़िल्म से. एक और ख़ास बात है कि आदित्य चोपड़ा स्वयं कैमरे के सामने आकर बात करते हैं. वरना तो उनका नाम सिने प्रेमियों के लिए घरेलू शायद इसलिए हुआ कि रानी मुखर्जी उनकी दुल्हन बनी.

बात रानी की हुई तो कुछ सितारों द्वारा साझा किए गये क़िस्सों की गोई कर लें . रानी कहती है आदित्य ने मुझे बुलाया दुल्हन की स्क्रिप्ट सुनाने के लिए, फ़िल्म तो बनी नहीं मैं ज़रूर उनकी दुल्हन बन गई. कल्पना कीजिए रानी की यही क़िस्सागोई हिंदी में कहलवायी गई होती बजाय नेपथ्य से उनके अंग्रेज़ी में बोले जा रहे का अनुवाद करके, क्या खूब इंपैक्ट पड़ता दर्शकों पर दुल्हन का दुल्हन से क़ाफ़िया बैठने पर ! हाँ, कुछ बातें अखरती भी हैं. यश जी ने राजेश खन्ना स्टार्टर दाग से स्वतंत्र रूप से निर्देशन की शुरुआत की थी यशराज फिल्म्स के नाम से. कहते हैं इस नाम में राज राजेश खन्ना के साथ की वजह से आया था. लेकिन इस महत्वपूर्ण बात का ज़िक्र भी नहीं होता डॉक्यू में और यदि इस बात में कोई सच्चाई नहीं थी तो खंडन किया जाना तो बनता ही था. ऋषि कपूर से भी पता नहीं क्यों ऐसी बात कहलवा दी गई कि साथ बैठी उनकी धर्मपत्नी असहज हो गईं. वे कह जो बैठे कि सेक्स के बाद एंटरटेनमेंट का सबसे बड़ा साधन फ़िल्में हैं!

अखरने के लिए कहें तो डॉक्यूसीरीज कई जगहों पर रिपीट होती लगती है जिसे एडिट किया जाना चाहिए था. कहीं ना कहीं ऐसा भी लगा कि सारे इंटरव्यू सिलसिलेवार नहीं रखे गये, आगे पीछे होते चले गये. पूरी सीरीज के लाजवाब पल थे जब 'जब तक है जान' फ़िल्म के प्रीमियर पर शाहरुख़ यश चोपड़ा से पूछते हैं आप कुछ कहना चाहते हैं और यश जी अपनी आख़िरी फ़िल्म के इस मौक़े पर एक तरह से पूरी डॉक्यूमेंट्री का सार कह देते हैं, “मेरी टेढ़ी मेढ़ी कहानियाँ, मेरे हंसते रोते ख़्वाब ; कुछ सुरीले बिसरे गीत मेरे, कुछ अच्छे बुरे किरदार ; वो सब मेरे हैं उन सब में मैं हूँ, बस भूल ना जाना रखना याद मुझे ; जब तक हैं जान जब तक है जान!

यश चोपड़ा स्कूल ऑफ़ सिनेमा को जानने के लिए निश्चित ही एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है ये सीरीज. सो शिक्षाप्रद है उनके लिए जो सिनेमा और सिनेमा से जुड़े लोगों में बतौर एक विधा के रुचि रखते हैं. एंटरटेनमेंट के लिए तो बिलकुल ही नहीं है.

लेखक

prakash kumar jain prakash kumar jain @prakash.jain.5688

Once a work alcoholic starting career from a cost accountant turned marketeer finally turned novice writer. Gradually, I gained expertise and now ever ready to express myself about daily happenings be it politics or social or legal or even films/web series for which I do imbibe various  conversations and ideas surfing online or viewing all sorts of contents including live sessions as well .

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय