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Updated: 09 अगस्त, 2021 07:59 PM
अनुज शुक्ला
अनुज शुक्ला
  @anuj4media
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जैवलीन थ्रो में नीरज चोपड़ा के गोल्ड जीतने के बाद तो हर कोई खेलों पर बात करता दिख रहा है. हो भी क्यों ना, आखिर देश ने ओलिम्पिक इतिहास में अब तक का अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है. 23 साल के नीरज ने तो कमाल ही कर दिखाया. उनके बहाने पूर्व भारतीय खिलाड़ियों की उपलब्धियों का भी जिक्र हो रहा है. इन्हीं में से एक एथलीट रहे प्रवीण कुमार सोबती भी हैं. ये कोई और नहीं वही प्रवीण कुमार हैं जिन्हें लोगों ने बीआर चोपड़ा के सीरियल महाभारत में भीम की भूमिका निभाते देखा होगा. प्रवीण कुमार ऐसे-वैसे एथलीट नहीं थे. उन्होंने अलग-अलग अंतरराष्ट्रीय स्पार्धाओं में देश का प्रतिनिधित्व किया और पांच मेडल जीते, जिसमें दो गोल्ड शामिल थे.

मजेदार यह भी है कि प्रवीण कुमार और जैवलीन थ्रोवर नीरज चोपड़ा की कहानी लगभग एक जैसी है. दोनों ने एथलीट बनना तय नहीं किया था. उन्हें शायद पहले इसके बारे में मालूम भी नहीं रहा होगा. प्रवीण और नीरज ही क्यों हमारे तमाम ओलिम्पियन ऐसे ही स्पोर्ट्स का हिस्सा बने. कोई भरपेट खाने के लिए, कोई वजन कम करने के बहाने तो कोई अच्छी डील डौल का था तो उसे सलाह मिल गई कि तुम्हें एथलीट ट्राई करना चाहिए. ये इस बात को दिखाता है कि देश में ना जाने कितनी प्रतिभाएं हमेशा से रही हैं जिन्हें अगर उनका मकसद और तैयारी मिल जाए तो कुछ भी असंभव कर सकते हैं. खेलों में मेडल जीतना कोई हौवा नहीं है.

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नीरज चोपड़ा खुद बता चुके हैं कि वे कैसे जैवलीन के साथ ट्रैक पर पहुंचे थे. उन्होंने बताया था कि जब उनकी उम्र महज 11 साल थी डील डौल से काफी मोटे थे. उन्हें सरपंच कहकर चिढ़ाया जाता था. पहली बार उन्होंने वजन कम करने के लिए पानीपत के स्टेडियम में कदम रखा था. इत्तेफाक से जैवलीन पर हाथ आजमाया और उसके कुछ सालों बाद ही उनकी प्रतिभा को देश दुनिया ने देखा. उन्होंने जूनियर लेवल की अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में धूम मचा दी. एशियाई खेलों में भी देश को स्वर्ण पदक दिलाया और फिर एक दशक की मेहनत में ही खेलों के सबसे बड़े महाकुंभ ओलिम्पिक में भी असंभव कारनामा कर दिखाया. अब ओलिम्पिक इतिहास में वे सोना लाने वाले भारत के पहले एथलीट हैं.

एक जैसी है नीरज चोपड़ा प्रवीण कुमार की कहानी

नीरज की तरह प्रवीण कुमार भी इत्तेफाकन ट्रैक पर पहुंचे थे. द ट्रिब्यून को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि उनकी खेलों में कभी कोई रुचि नहीं थी. उन्हें बॉडी बनाने का जबरदस्त शौक था. इसी जुनून के लिए वे बॉडी बिल्डिंग और वेटलिफ्टिंग की प्रैक्टिस किया करते थे. ये बात उनके स्कूल कॉलेज के दिनों की है. इसी बातचीत में उन्होंने बताया था कि वो इत्तेफाक से खेलों में पहुंच गए. दरअसल, पंजाब सरहाली में जीजीएस खालसा हायर सेकेंडरी स्कूल के हेडमास्टर हरबंश सिंह गिल की नजर उन पर पड़ी. उन्होंने प्रवीण को भरोसे में लिया कि उनमें एक अच्छा स्पोर्ट्समैन बनने की अद्भुत क्षमताएं हैं. और प्रवीण कुमार हैमर और डिस्कस थ्रो के ट्रैक पर आ गए. ट्रैक पर कदम रखने के बाद उन्होंने फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.

praveen_kumar_1974_080921034948.jpg1974 के एशियाई खेलों में प्रवीण कुमार. फोटो- विकिपीडिया से साभार.

प्रवीण कुमार ने थ्रोविंग में धूम मचा दी थी

स्टेट और नेशनल इवेंट्स में धूम मचाने के बाद अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में देश का प्रतिनिधित्व किया. 60 के दशक में वो एथलीट स्टार बन चुके थे. 1966 और 1970 के एशियाई खेलों में डिस्कस थ्रो में उन्होंने गोल्ड जीता. तब एशियाई खेलों में उन्होंने रिकॉर्ड 56.76 मीटर डिस्कस थ्रो किया. 1966 के कॉमनवेल्थ खोलों उन्हें हैमर थ्रो के लिए ब्रोंज मिला. 1974 के एशियाई खेलों में सिल्वर जीता. 1968 और 1972 के समर ओलिम्पिक्स में भी प्रतिनिधित्व किया मगर कोई पदक नहीं जीत पाए. प्रवीण कुमार का अंतरराष्ट्रीय करियर एक दशक से ज्यादा रहा. इस दौरान हैमर और डिस्कस थ्रो में उनकी जबरदस्त धाक रही.

भारी-भरकम शरीर ने फिल्मों तक पहुंचाया

एथलीट से बाहर भी प्रवीण कुमार के डील डौल पर लोगों की नजर थी. उनकी शरीर और उस जमाने में लोकप्रियता के आधार पर उन्हें फिल्मों में भी खूब काम मिला. फ़िल्मी करियर में करीब 60 से ज्यादा फ़िल्में कीं. प्रवीण कुमार का फ़िल्मी डेब्यू 1981 में हुआ था. फिल्म थी रक्षा. ये जेम्स बांड स्टाइल में बनी बॉलीवुड की एक्शन मसाला फिल्म थी. जितेंद्र हीरो थे. रक्षा में उन्होंने भारी भरकम शरीर वाले शख्स का का किरदार निभाया था. बॉलीवुड फिल्मों में उनके भारी भरकम शरीर के हिसाब से ही रोल मिले. ये उनका दुर्भाग्य है कि पहलवान दारा सिंह जैसी लोकप्रियता फिल्मों के जरिए उन्हें नहीं मिली. हकीकत में एक अभिनेता के रूप में प्रवीण कुमार की व्यापक पहचान बीआर चोपड़ा के शो महाभारत से हुई. शो में उन्होंने भीम का किरदार निभाया था. शो भी उन्हें अपने डील डौल की वजह से मिली. हिंदी में बोले गए उनके संवाद में पंजाबी टोन नजर आता है, लेकिन भीम के रूप में वास्ताविक अभिनय से उन्होंने हर किसी को प्रभावित किया और देश के घर-घर में जाना पहचाना चेहरा बने.

प्रवीण कुमार बाद में राजनीति की तरफ मुड़े और आम आदमी पार्टी के टिकट पर 2013 में चुनाव भी लड़ा. हालांकि उन्हें अभी तक एथलेटिक्स और फिल्मों की तरह राजनीति में सफलता नहीं मिली है. 

लेखक

अनुज शुक्ला अनुज शुक्ला @anuj4media

ना कनिष्ठ ना वरिष्ठ. अवस्थाएं ज्ञान का भ्रम हैं और पत्रकार ज्ञानी नहीं होता. केवल पत्रकार हूं और कहानियां लिखता हूं. ट्विटर हैंडल ये रहा- @AnujKIdunia

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