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Updated: 02 फरवरी, 2021 03:02 PM
मुकेश कुमार गजेंद्र
मुकेश कुमार गजेंद्र
  @mukesh.k.gajendra
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बात 80 के दशक की है. उत्तर प्रदेश से कोलकाता गया एक मजदूर रेलवे लाइन के किनारे बनी झोपड़ी पट्टी में अपने बच्चों के साथ रहता था. दिनभर मजदूरी करने के बाद 100 से 150 रुपये की कमाई होती. किसी तरह से जीवन यापन हो रहा था. पत्नी गांव में थी. बच्चों के सुनहरे भविष्य के लिए पिता अकेले इतने बड़े शहर में संघर्ष कर रहा था. लेकिन शायद किसी को नहीं पता था कि कोलकाता के बेलघरिया के आगरपाड़ा की इस झोपड़पट्टी में कुमार यादव के घर एक 'सुपरस्टार' पल रहा है. जो आगे जाकर भोजपुरी सिनेमा (Bhojpuri Cinema) की दशा और दिशा दोनों बदलने वाला है. जी हां, हम बात कर रहे हैं जुबली स्टार और वर्तमान में बीजेपी नेता दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ (Dinesh Lal Yadav Nirahua) के बारे में, जिनका आज जन्मदिन है.

unnamed_020221014936.jpgनिरहुआ और आम्रपाली की जोड़ी भोजपुरी सिनेमा में सबसे ज्यादा हिट है.

निरहुआ का बचपन बहुत गरीबी में बीता. पिता की आमदनी परिवार का पेट पालने में ही चली जाती थी. उपर से बच्चों की पढ़ाई का बोझ. लेकिन कुमार यादव चाहते थे कि बच्चे पढ़ लिखकर अच्छी नौकरी करें, ताकि उनके भी अच्छे दिन आएं. लेकिन होनी को तो कुछ और ही मंजूर था. दिनेश लाल यादव का मन पढ़ाई से ज्यादा फिल्में देखने में लगता था. रातभर पिता से छुपकर फिल्में देखना और फिल्मी गाने गाना उनका शौक बन गया था. यह बात पिता को रास नहीं आती. इस वजह से दिनेश को बहुत डांट पड़ती थी. साल 1997 में कुमार यादव अपने बच्चों के साथ वापस गांव लौट आए. इसके बाद दिनेश ने यूपी के गाजीपुर के मलिकपुरा कॉलेज से बीकॉम की पढ़ाई पूरी की. इस दौरान वह अपने चचेरे भाई विजय लाल यादव से काफी प्रभावित हुए, जो बिरहा गायक थे.

साल 2003. यही वो साल था, जब दिनेश लाल यादव से 'निरहुआ' का जन्म हुआ. इसी साल दिनेश का एक म्यूजिक एलबम 'निरहुआ सटल रहे' सुपरहिट हुआ था. दिनेश लाल यादव को 'निरहुआ' नाम से एक नई पहचान मिली थी. हालांकि, इससे पहले साल 2001 में उनके दो म्यूजिक एल्बम 'बुढ़वा में दम बा' और 'मलाई खाए बुढ़वा' रिलीज हुए थे, लेकिन पहचान 'निरहुआ सटल रहे' से ही मिली. इसके बाद दिनेश लाल यादव ने अपने जीवन में कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. वह लगातार सफलता की सीढियां चढ़ते रहे. साल 2005 में उन्होंने गांव से मुंबई की ओर रुख किया. उस वक्त के मशहूर भोजपुरी गायक छैला बिहारी एक फिल्म 'चलत मुसाफिर मोह लियो रे...' बना रहे थे. उनकी निरहुआ से मुलाकात हुई, तो उन्होंने फिल्म में गाने का ऑफर दे दिया.

इस फिल्म में छैला बिहारी लीड एक्टर का रोल कर रहे थे. अचानक उनके मन में कुछ आया, तो उन्होंने दिनेश से फिल्म में काम करने की बात कह दी. बस फिर क्या था, निरहुआ को सपोर्टिंग रोल के लिए साइन कर लिया गया. इस फिल्म में निरहुआ ने छैला बिहारी के दोस्त का किरदार निभाया. संयोग देखिए साल 2007 में रिलीज हुई यह फिल्म हिट हो गई. दोस्त के किरदार में निरहुआ को खूब पसंद किया गया. इसके बाद उनके पास सपोर्टिंग रोल के लिए बहुत सारे ऑफर आने लगे. लेकिन दिनेश तो हीरो बनने के लिए मुंबई आए थे. इसके बाद साल 2008 में निर्देशक दिनकर कपूर ने दिनेश लाल यादव को लेकर फिल्म 'निरहु रिक्शावाला' बनाई. इसमें दिनेश के साथ पाखी हेगड़े हिरोइन थी. यह उनकी डेब्यू फिल्म मानी जाती है. इस फिल्म ने भोजपुरी बॉक्स ऑफिस पर कमाई के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए.

इस फिल्म के साथ ही निरहुआ ने भोजपुरी सिनेमा में एक नया ट्रेंड सेट कर दिया. यह वो दौर था, जब मनोज तिवारी और रवि किशन भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री को धीरे-धीरे खड़ा करने की कोशिश कर रहे थे. रवि किशन तो भोजपुरी के साथ टीवी, बॉलीवुड और साउथ की फिल्मों में भी काम कर रहे थे. इसकी वजह से उनका पूरा ध्यान भोजपुरी पर नहीं था. हां, मनोज तिवारी ने बहुत मेहनत की है. उनकी फिल्म 'ससुरा बड़ा पइसा वाला' ने भोजपुरी सिनेमा के प्रति लोगों की ललक जगाई, जो धीरे-धीरे बढ़ती ही चली गई. इसी का फायदा निरहुआ को मिला. अपनी गायकी और अभिनय के दम पर उन्होंने महफील लूट ली. एक के बाद एक हिट फिल्मे देते गए. एक साल में 5 भोजपुरी हिट फिल्में देने का रिकॉर्ड बनाया. निरहुआ हिन्दुस्तानी, पटना से पाकिस्तान, निरहुआ रिक्शेवाला 2, जिगरवाला, राजाबाबू और गुलामी जैसी हिट फिल्में दीं.

दिनेश लाल यादव के करियर का टर्निंग प्वाइंट आया साल 2012 में, जब उन्हें बिग बॉस (Bigg Boss) के कंटेस्टेंट के रूप में चुना गया. बिग बॉस में जाने के बाद उनकी लोकप्रियता यूपी और बिहार से निकलकर राष्ट्रिय स्तर पर पहुं गई. इसी साल आई एक भोजपुरी फिल्म 'गंगा देवी' में अमिताभ बच्चन के साथ काम करने का भी मौका मिला था. दिनेश को उनकी पहली भोजपुरी फिल्म 'निरहुआ हिंदुस्तानी' के लिए बीआईएफए 2015 ने सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के पुरस्कार से सम्मानित किया. साल 2016 में भोजपुरी फिल्मों में उनके योगदान के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उन्हें 'भारती सम्मान' पुरस्कार से सम्मानित किया गया. यह पुरस्कार तत्कालीन सीएम अखिलेश यादव ने दिया था. उस वक्त शायद अखिलेश यादव को पता भी नहीं था कि जिस कलाकार को वह सम्मानित कर रहे हैं, वो तीन साल बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में उनको चुनौती देगा.

भोजपुरी सिनेमा में ख्याती प्राप्त करने के साथ ही दिनेश लाल यादव निरहुआ ने राजनीति की ओर रुख किया. साल 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान वह नरेंद्र मोदी से इस कदर प्रभावित हुए कि बीजेपी ज्वाइन कर लिया. 27 मार्च 2019 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी में निरहुआ ने बीजेपी की सदस्या ग्रहण की थी. इसके बाद बीजेपी ने 3 अप्रैल 2019 को उनको आजमगढ़ लोकसभा सीट से टिकट दे दिया. आजमगढ़ समाजवादी पार्टी की परंपरागत सीट है, जिस पर कभी मुलायम सिंह यादव चुनाव जीतते रहे और उसके बाद उनके बेटे अखिलेश यादव चुनाव लड़ रहे थे. दिनेश का मुकाबला अखिलेश से था. एक तरफ सिनेमा का जुबली स्टार, तो दूसरी तरफ राजनीति का मजबूत खिलाड़ी. आखिरकार अखिलेश यादव की इस चुनाव में जीत हुई, लेकिन दिनेश ने उनको कड़ी चुनौती दी थी.

लेखक

मुकेश कुमार गजेंद्र मुकेश कुमार गजेंद्र @mukesh.k.gajendra

लेखक इंडिया टुडे ग्रुप में सीनियर असिस्टेंट एडिटर हैं.

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