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Updated: 10 जून, 2022 08:38 PM
ज्योति गुप्ता
ज्योति गुप्ता
  @jyoti.gupta.01
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आपको नहीं पता...अरे 'बिट्टू की मम्मी' को सब पता है. वही जिन्हें आप 'गुल्लक वेब सीरीज' में 'सोनी लिव' पर देख चुके हैं. असल में ये बिट्टू की मम्मी हर मोहल्ले में होती हैं. जो लोगों की नाक में दम करके रखती हैं. बिट्टू की मम्मी जिनसे हर घर का लड़का चिढ़ता है, क्योंकि उसकी शिकायत उसके माता-पिता तक पहुंचाना इनका परम धर्म हैं.

बिट्टू की मम्मी किसी को भी अपनी बातों से पकाने का दम रखती हैं. उनकी आवाज सुनते ही घरवालें अपने घर में दुबक जाना चाहते हैं. वे उनके सामने आने से कतराते हैं, क्योंकि वे अपनी बातों से डंसती बहुत हैं. इनका मेकअप चकाचक रहता है, ये वो हैं चो झक्कास दिखने के लिए रात में भी काला चश्मा पहन कर बाहर निकलती हैं.

मेकअप तो इनका टिपटॉप ही रहता है, इसके अलावा इनका चंचल स्वभाव और चटर-पटर बातें, जैसे आलू चाट और रबड़ी की मिठास...बाकी अगर कान से खून निकल जाए तो गलती इनकी नहीं है...

'गुल्लक' में इन्हें देखने के बाद हमें अपने आस-पास रहने वाली उस आंटी की याद तो आई ही होगी जो कॉलोनी में होने वाली हर घटनी की खबर रखती हैं. बिट्टू की मम्मी वो हैं, जिन्हें अगर बताना होगा कि वे सीढ़ी से गिर गईं तो कम से कम इस बात को बताने में वो एक घंटा तो आराम से ले ही सकती हैं. इनके चेहरे के चमकाने का स्वभाव और हाव-भाव को देखकर बड़े आराम से बताया जा सकता है कि ये किस बारे में बात कर रही हैं.

gullak cast, panchayat cast, panchayat season 2, panchayat season 2,  panchayat season 2 review, panchayat season 2 starcast बिट्टू की मम्मी और बनराकस की पत्नी वही आंटी जी हैं जिनके ना साथ रहा जाए ना दूर जाया जाए

ये हर रोज कुछ ना कुछ मांगने पड़ोसी के घर पहुंच ही जाती है. जिसमें चीनी सबसे पहले नंबर है. असल में ये तो इनका बहाना है क्योंकि इन्हें हर घर की खबर जो रखनी होती है. आप इन्हें चलता-फिरता रेडियो भी कह सकते हैं. ये वो हैं जिन्हें दुनिया के हर विषय की जानकारी होती है. कोई बीमार पड़ गया तो उसे क्या खाना है, क्या पीना है और क्या दिनचर्या रखनी है हर बात की जानकारी बिट्टू के मम्मी के पास होती है. ये आपसे राजनीति, खेल, सिनेमा, विज्ञान या किसी भी विषय पर आराम से बात कर सकती हैं. फैशन के मामले में इनका जवाब नहीं. पार्लर में इनका उधारी खाता भी चलता है. ये वो हैं जो गोलगप्पे खाने के बाद पैसे नहीं निकालती हैं.

बिट्टू की मम्मी के सामने आपके मुंह से कोई बात निकली नहीं है कि, उस पर ये अपनी राय रखने लगती हैं. ये अपने पड़ोसियों को जलाती भी हैं और उनके लिए प्यार और परवार भी दिखाती हैं. ये हर चीज में खुद को सुपरवुमेन समझती हैं इसलिए सत्यनारायण की पूजा के लिए गोबर भी पर्स में लेकर आती हैं. अगर आप कुछ करने वाले हैं और यह बात गलती से बिट्टू की मम्मी को पता लग गई तो, वो आपसे पहले कर लेंगी चाहें वह प्रसाद लेना ही क्यों न हो?

बिट्ट की मम्मी वही मोहल्ले वाली आंटी हैं जो आपके पेट से बात निकलवाकर पूरे मोहल्ले में ढिढोरा पीट देती हैं. जिन्हें फ्री का सामान मिलने के नाम पर आप चांद पर भी भेज सकते हैं. वो किसी से भी लड़ जाती हैं और आपना काम सबसे पहले निपटा लेती हैं, चाहें वह अस्पताल में इंजेक्शन लगवाना ही क्यों ना हो... वह जहां भी जाती हैं अपना फ्री का ज्ञान बांटती फिरती हैं.

अपनी बात आगे रखने के लिए वो पति की खूब बुराई भी कर जाती हैं. जैसे ये तो कितनी बार सस्पेंडअसल में वे अपने आप को समझदार समझती हैं लेकिन हैं चालू और दिमाग से थोड़ा पैदल भी...वे घर में तांक-झांक करते करते आपके बेडरूम और किचन तक पहुंच जाती हैं. उन्हें यह भी पता होता है कि आपके घर में खाना क्या बना और कुकर ने कितनी सीटी दिया... वे हर बार आपका भर सिलेंडर उठा ले जाती हैं और अपनी मेहमानवाजी भी करवा लेती हैं.

ऐसा नहीं है कि वो विलेन हैं, दरअसल उनका स्वभाव ही कुछ ऐसा है. वो आपके दुख में ढांढस बांधने भी आ जाती हैं और आपकी नीजि जिंदगी में जबरदस्ती घुसने भी...वो आपसे इतने सवाल पूछती हैं कि ना चाहते हुए भी आप अपनी सारी बातें उन्हें बता भी देते हैं...असल में वो इतना हंसती हैं कि उनकी असली हंसी आपको समझ में नहीं आती...इतना कुछ करने के बाद भी वो आपकी शुभचिंतक हैं. वे अपनी बातों में उलझा कर आपके साथ डिनर पर जा सकती हैं. इन्हें किसी बात पर शर्म नहीं आती और हर रोज बिना इनका दर्शन किए आपका दिन पूरा नहीं हो सकता है.

असल में यह बिट्टू की मम्मी का खौफ है जो लोग उन्हें देखते ही अपना रास्ता बदल देते हैं. नहीं भाई, ऐसा नहीं है कि बिट्टू की मम्मी कोई अपराधी हैं या इंसानों को दातों से काटती हैं, लेकिन जिस तरह वो रस लेकर मुंह चमका-चमका कर बात करती हैं, अगर कोई आंख बंद करके भी सुने तो लगेगा कि साक्षात वह दृश्य देख रहा है.

बिट्टू की मम्मी वो हैं जो पार्लर में पैनीक्योर, फेशियल सब करवराती हैं और आपको भी यह सब कराने की सलाह देती हैं. वह कहती हैं कि हमारा यहां खाता चलता है और बिल आपके नाम पर फटता है. वे अपनी गलत बात को भी बड़ी चालाकी से सही साबित करना चाहती हैं. बिट्टू की मम्मी का रूप तो आपने देख लिया, चलिए अब पंचायत 2 की 'क्रांतिदेवी' वाली आंटी से भी मिल लीजिए. जो इनसे एक दकम आगे हैं.

बनराकस की नखरीली पत्नी क्रांति देवी वाली आंटी का कोई काट नहीं...

हां तो अमेजन प्राइम पर दिखाए जाने वाले सीरीज 'पंचायत 2' के बनराकस ऊर्फ भूषण से गांव के कई लोग परेशान हैं. वह हर बात में कमी निकालने के लिए आगे रहते हैं. एक तरह से उन्हें गांव का विलन कहा जा सकता है. वे ग्रामप्रधान मंजू देवी के खिलाफ अपनी पत्नी को चुनाव में खड़े होने वाले हैं.

इसलिए हर कदम पर विफक्ष की भूमिका में नजर आते हैं. उनकी ही पत्नी हैं क्रांति देवी. जो गांव की सरपंच बनने का सपना देख रही हैं. अब सोचिए जिनके नाम में ही क्रांति होगी उनका स्वभाव कैसा होगा? अब वह बनराकस की पत्नी हैं तो कुछ तो पति का असर होगा ही.

क्रांति देवी वो हैं जिन्हें हर बात पर गुस्सा जल्दी आ जाता है. मोहल्ले में उनकी किसी से बनती हैं. कुछ घरों से उनकी बोलचाल भी नहीं होती. वो अपने आप में किसी को लगाती नहीं हैं. वो खुद को गांव की सबसे समझदार महिला समझती हैं. वो अपने पड़ोसी से जलन की भावना रखती हैं. वे हर छोटी बात में तिल का ताड़ बना देती हैं. वो मंदिर में भी खुद को आगे रखती हैं और सबसे पहले पूजा करना चाहती हैं. पति भले ही गांव का दादा हो लेकिन उनके सामने झुका ही रहता है. कहीं कोई बात हो जाए वह अपने पति की तरफ से झगड़ा करने भी पहुंच जाती हैं. क्रांति देवी वो मोहल्ले वाली आंटी हैं जो किसी के सामने झुकना पसंद नहीं करतीं.

जो पति के साथ मिलकर मोहल्ले की महिलाओं की बुराई करती हैं. वो खुद को बड़ा और दूसरों को छोटा समझती हैं. जो किसी भी शादी या फंक्शन में पूरे सोने के गहनों से लद जाती है क्योंकि उन्हें लोगों को दिखाना होता है. वे मोहल्ले की औरतों के सामने अपनी नाक उंची रखने के लिए कुछ भी कर सकती हैं. फिर चाहें सबसे ज्यादा चंदा देने हो या पूजा के लिए टेंट लगवाना हो. वह पूरे कॉलोनी में खुद को सबसे बुद्धिमान और खूबसूरत समझती है. वे लोगों की हनती बात को बिगाड़ना जानती हैं. लोग उनसे दूर ही रहना चाहते हैं.

जो हर छोटी बात पर लोगों से लड़ जाती है. जो हर मौके का फायदा उठाना चाहती हैं. जो दुश्मनी निभाने के लिए किसी भी हद तक जा सकती हैं, फिर चाहें वह चप्पल चोरी का केस क्यों ना हो? जो खुद को शरीफ और दूसरे पर इल्जाम लगाने में आगे रहती हैं.

वे वही आंटी हैं जो सेल्फओबसेस्ड होती हैं जो अपने सामने किसी दूसरी महिला को कुछ नहीं समझतीं. इनकी साड़ी से बेहतर किसी की साड़ी हो ही नहीं सकती. और होठों के साथ दातों पर लिपिस्टिक लग जाए तो उसे नया मेकअप ट्रेंड ही घोषित कर दें. कुल मिलाकर यह खुद को सर्वगुण संपन्न समझती हैं, जिनमें कोई कमी हो ही नहीं सकती.

जो किसी की खुशियों में खुश होना नहीं जानतीं. जो अपनी पति की जान से प्यारी होती हैं. जो अपना सारे नखरें पति से उठवाती हैं. जो पति से मोहल्ले की औरतों की शिकायत करके उनसे झगड़ा करवा देती हैं. जो झगड़े में अपनी जीत के लिए किसी भी हद तक जा सकती हैं. जो अपनी बेइज्जती का बदला लेने का प्लान बनाती हैं. जो किसी के खिलाफ लोगों को भड़काने का काम करती हैं. वे पति के नाम पर गांव में हर किसी को धमकी देती रहती हैं.

वैसे इन दोनों किरदारों को सुनीता राजवर ने निभाया है. जिनके बिना हर मोहल्ला सूना रहता है. ये ऐसे हैं जिनके साथ हम रह भी नहीं सकते और जिनके बिना रहना भी नहीं चाहते. ये ना रहें तो पूरा मोहल्ला सूना पड़ जाता है. किसी की कहीं की खबर नहीं रहती. बिट्टू की मम्मी हों या बनराकस की पत्नी, वे किस बात पर खुश होंगी और किस बात पर दुख यह कोई नहीं बता सकता. यह भी कटु सत्या है कि हम इनसे चिढ़ सकते हैं लेकिन इनके बिना नहीं रह सकते...

लेखक

ज्योति गुप्ता ज्योति गुप्ता @jyoti.gupta.01

लेखक इंडिया टुडे डि़जिटल में पत्रकार हैं. जिन्हें महिला और सामाजिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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