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Updated: 28 अगस्त, 2018 05:46 PM
श्रुति दीक्षित
श्रुति दीक्षित
  @shruti.dixit.31
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भोजपुरी सिनेमा और भोजपुरी स्टार्स का नाम आते ही सबसे पहले आपके दिमाग में क्या आता है? हॉट गाने, देसी फिल्में, फिल्मों के टाइटल या इस इंडस्ट्री के हीरो-हिरोइन. अक्सर भोजपुरी फिल्मों के बारे में खबरें भी ऐसी ही आती हैं जैसे भोजपुरी इंडस्ट्री सिर्फ और सिर्फ अश्लील गानों से भरी हुई है. लेकिन हाल ही में एक ऐसी खबर आई जिसमें भोजपुरी सुपरस्टार खेसारी लाल यादव की तारीफ हो रही थी. खबर ये थी कि भोजपुरी सुपरस्टार ने एक भिखारन को अपनी बहन बना लिया. खेसारी लाल यादव एक शो के सिसलिले में राखी के दिन जयपुर में थे और तभी उनकी गाड़ी के पास एक भिखारन आई. वो तुरंत उतरे अपनी जेब से राखी निकाली और उस महिला को राखी बांधने को कहा.

महिला ने राखी बांधी और खेसारी ने उसे कुछ पैसे दिए. और अपने रास्ते चल दिए. गौरतलब है कि खेसारी की कोई बहन नहीं है. इसके पहले कि कुछ और कहा जाए पहले आप ये वीडियो देख लीजिए.

इस वीडियो में खेसारी लाल यादव फौरन गाड़ी से उतर कर राखी बंधवा लेते हैं. पर क्या ये वाकई खेसारी जी की मन की श्रद्धा थी या फिर इसे सिर्फ एक पब्लिसिटी स्टंट कहा जाएगा? जिसने भी वीडियो बनाया हो ये देखा जा सकता है कि खेसारी जी की जेब से राखी आई और वो तुरंत ही महिला से राखी बंधवाने के लिए तत्पर हो गए. यकीनन ऐसा भी हो सकता है कि खेसारी जी को लगा हो कि उनकी कोई बहन नहीं है और उन्हें राखी का त्योहार मनाना हो, लेकिन इस पूरे घटनाक्रम में एक बात सोचने वाली है कि राह चलते राखी के बंधंन को क्या खेसारी जी निभाने की भी कोशिश करेंगे?

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खेसारी लाल अपनी गाड़ी में बैठे हुए हैं और गरीब महिला के पास आने पर तुरंत उतरकर एक मिनट की देरी न करते हुए जेब से राखी निकाल लेते हैं. ये तो वही बात हुई कि खेसारी लाल को राखी बंधवानी ही थी उन्हें बस कोई भी मिल जाता. तो राह चलते इस तरह से त्योहार मनाने की क्या जरूरत आ गई?

राखी कोई ऐसा त्योहार नहीं कि राह चलते किसी से भी राखी बंधवा ली जाए और अगले साल तक उसे भूल जाएं. राखी अगर बंधवाई गई है तो उसके कुछ मायने तो होंगे. गरीब महिला को बहन बनाना अगर सिर्फ पब्लिसिटी के लिए था तो यकीनन भोजपुरी सुपरस्टार को काफी पब्लिसिटी मिल गई. गौरतलब है कि खेसारी लाल की नई फिल्म संघर्ष इसी शुक्रवार रिलीज हुई है और इसे कोरा पब्लिसिटी स्टंट भी माना जा सकता है.

जेब से राखी निकाल कर राह चलती किसी भी महिला से बंधवा लेना न तो राखी का कोई मतलब निकालता है और न ही इसे दान कहा जाएगा. राह चलती महिला को पैसे देकर क्या दान दिया गया है या राखी बंधवाकर सिर्फ अपना मतलब पूरा किया गया है?

यहां न तो खेसारी लाल पर कोई आरोप लगाया जा रहा है न ही उनकी भक्ति पर, लेकिन यकीनन कोई त्योहार मनाने या बहन बनाने का ये तरीका नहीं हो सकता कि 5 मिनट की राखी के बाद महिला को चलता कर दिया जाए और सिर्फ राखी बंधवा कर पैसे देकर अपना काम पूरा कर लिया जाए. इसको लेकर अगर खेसारी लाल को सुपर हीरो कहा जा रहा है या बहुत दयावान कहा जा रहा है तो ये मेरे हिसाब से तो सही नहीं.

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श्रुति दीक्षित श्रुति दीक्षित @shruti.dixit.31

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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