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Updated: 23 जुलाई, 2021 06:05 PM
अनुज शुक्ला
अनुज शुक्ला
  @anuj4media
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हिंदू-मुस्लिम डिबेट का असर बॉलीवुड के तमाम प्रोजेक्ट पर साफ़ नजर आने लगा है. निर्माता राजनीतिक रूप से संवेदनशील टॉपिक पर फिल्म बनाने से बचते दिख रहे हैं. ऐतिहासिक पीरियड ड्रामा को लेकर ख़ास सावधानी बरती जा रही हैं. फिल्मों की कास्टिंग में भी कलाकारों के होने के नफ़ा नुकसान को देखा जा रहा है. सोशल मीडिया पर एक बड़ा समूह मुस्लिम सितारों और उनकी फिल्मों के बायकॉट का कैम्पेन चल रहा है. इस वक्त रामायण को लेकर कई प्रोजेक्ट की सुगबुगाहट है. इनमें से एक के विजयेंद्र प्रसाद की लिखी सीता भी है. पिछले दिनों फिल्म में सीता के किरदार के लिए दीपिका पादुकोण और करीना कपूर खान के नाम की चर्चा थी.

रिपोर्ट्स में सामने आया कि दोनों एक्टर्स को सीता के रोल के लिए अप्रोच किया गया है. खबरों के बाद सोशल मीडिया पर दोनों को सीता के रोल में मिसफिट बताकर आलोचना की गई. अब यह पुष्ट हो गया है कि दोनों एक्टर्स में से किसी को भी सीता की भूमिका में कास्ट नहीं किया जा रहा है. बॉलीवुड हंगामा की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ विजयेंद्र प्रसाद ने साफ़ कहा कि सीता की भूमिका के लिए किसी एक्टर का नाम अभी तक तय नहीं हुआ है. उन्होंने कहा- "हमने अभी यह तय नहीं किया है कि सीता मां की भूमिका कौन करेगा. हम जल्द ही एक नाम की घोषणा करेंगे." पहले दीपिका और करीना का नाम चला था और अब मेकर्स सीता की भूमिका में किसी नए चेहरे को कास्ट करना चाहते हैं. आखिर क्यों?

Kareena Kapoor and Deepika Padukoneकरीना कपूर और दीपिका पादुकोण का किसी खास प्रोजेक्ट से बाहर होना चर्चा का विषय तो है ही.

इसके पीछे की वजह पर सूत्रों के हवाले से बॉलीवुड हंगामा ने लिखा- "रामानंद सागर के सीरियल रामायण में जब दीपिका चिखलिया ने सीता की भूमिका निभाई ऑडियंस उनके चेहरे को नहीं पहचानते थे. दर्शकों ने स्वेच्छा से उन्हें (दीपिका) सीता के रूप में स्वीकार कर लिया. लेकिन आज अगर दीपिका पादुकोण सीता की भूमिका करती हैं तो लोग उन्हें दीपिका की तरह देखेंगे सीता की तरह नहीं. करीना के बारे में यह भी कहा गया था कि सीता की भूमिका के लिए उन्होंने निर्माताओं से 12 करोड़ रुपये की मोटी फीस डिमांड की थी. निर्माता इतनी फीस देने को तैयार नहीं थे. प्रसाद ने खबरों को सिरे से खारिज किया है.

सीता की भूमिका में बदलाव की वजह नया चेहरा, मोटी फीस या कुछ और है?

अगर सीता के लेखक की बात मानें तो मेकर्स दीपिका-करीना या किसी भी स्थापित हीरोइन को कास्ट नहीं करना चाहते. निर्माता फ्रेश चेहरा तलाश रहे हैं. लेकिन अगर पुरानी चर्चाओं और बॉलीवुड को लेकर बन रहे ट्रेंड को देखें तो इस बात को मानने की पर्याप्त वजहें हैं कि निर्माता अब अपने प्रोजेक्ट में उन चेहरों को लेने से बचते दिख रहे हैं, जिनके होने का नकारात्मक असर पूरे प्रोजेक्ट पर पड़ने की आशंका है. दीपिका पादुकोण जेएनयू पहुंची थीं. उन्होंने वहां कुछ बोला नहीं था मगर माना गया कि उनका ये कदम एक तरह से सीधे बीजेपी का राजनीतिक विरोध था. बाद में सुशांत सिंह राजपूत से जुड़े ड्रग केस में भी उनका नाम आया. दीपिका के खिलाफ सोशल मीडिया पर पिछले दिनों खूब निगेटिव कैम्पेन देखने को मिले हैं.

दूसरी ओर नेपोटिज्म, करण जौहर से करीबी और सैफ अली खान से शादी करने की वजह से करीना भी एक बड़े वर्ग में आलोचना की पात्र बनी हुई हैं. उनके खिलाफ भी आए दिन हेट कैम्पेन दिखता है. करीना दो साल पहले एक फिल्म के लिए औसत 7 से 10 करोड़ रुपये चार्ज करती थीं. महामारी के बाद कई सितारों ने अपनी फीस बढ़ा दी है. बढ़ी फीस की वजह से कार्तिक आर्यन जैसे विवाद भी देखने को मिले. करीना 10 करोड़ फीस लेती ही थीं. फीस की वजह से सीता के लिए बात ना बन पाना हजम नहीं होता. फ्रेश चेहरे की बात भी पचाने लायक नहीं है. रामायण से जुड़े कई प्रोजेक्ट में तो स्थापित सितारे ही राम सीता और लक्ष्मण की भूमिका निभा रहे हैं. सवाल है कि फिर करीना और दीपिका क्यों नहीं?

इस बात में काफी गुंजाइश है कि सीता की भूमिका के लिए किसी एक्टर को कास्ट कर निर्माता व्यर्थ के विवाद को खड़ा नहीं करना चाहते. पिछले तीन-चार सालों में कई फ़िल्में सोशल मीडिया पर हेट कैम्पेन का शिकार होती नजर आई हैं. इनमें शाहरुख, सलमान, आमिर से लेकर फरहान अख्तर तक की फ़िल्में शामिल हैं. धार्मिक आधार पर फिल्मों को लेकर जो बंटवारा हो रहा है उसमें कई साधारण फिल्मों ने कामयाबी पा ली. सिर्फ इस वजह से कि सोशल मीडिया पर उनके लिए अच्छा वर्ड ऑफ़ माउथ बनाया गया. या फ़िल्में पॉपुलर डिबेट में बहुसंख्यक दर्शकों की राजनीतिक विचारधारा के करीब थीं.

करण जौहर ने भी तख़्त बंद किया, करीना भी थीं इसमें

हाल ही में खबरें आईं कि मुग़ल इतिहास में दो भाइयों- औरंगजेब और दाराशिकोह के बीच सत्ता की सबसे दिलचस्प जंग पर करण जौहर ने पीरियड ड्रामा तख़्त को फिलहाल नहीं बनाने का फैसला लिया है. जौहर ने फिल्म को काफी पहले अनाउंस किया था. इसमें रणवीर सिंह, विक्की कौशल, आलिया भट्ट जैसे सितारों के साथ करीना कपूर खान भी थीं. जौहर अब तख़्त की जगह एक हल्की फुल्की रोमांटिक कॉमेडी बना तरहे हैं. पता चला कि करण जौहर ने मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य में संवेदनशील विषय पर फिल्म बनाना ठीक नहीं समझा. फिल्म के दूसरे निवेशकों ने भी भारत के मौजूदा हालत में फिल्म को बनाना कारोबारी लिहाज से ठीक नहीं माना. तख़्त का बजट ढाई से तीन सौ करोड़ के बीच है. निर्माता नहीं चाहते थे कि सेंसेटिव टॉपिक को लेकर फिल्म में कोई ब्लंडर हो और उसका असर पूरे प्रोजेक्ट पर पड़े. जौहर ने तख़्त को बंद करना ही बेहतर समझा.

हिंदू-मुस्लिम डिबेट में डिफेंसिव है बॉलीवुड

मौजूदा ट्रेंड में ये साफ़ झलक रहा है कि बॉलीवुड अब राजनीतिक रूप से संवेदनशील फिल्मों को बनाने में दिलचस्पी नहीं ले रहा है. वही फ़िल्में बन रही हैं जो मौजूदा डिबेट में फायदे का सौदा साबित हो रही है. पीरियड ड्रामा में ज्यादातर फ़िल्में देशभक्ति-राष्ट्रवाद की भावना वाली बन रही हैं. कई प्रोजेक्ट पाइप लाइन में हैं. प्रेरक कहानियों में बायोपिक भी खूब बन रही है. निश्चित ही बॉलीवुड डिफेंसिव नजर आ रहा है.

लेखक

अनुज शुक्ला अनुज शुक्ला @anuj4media

ना कनिष्ठ ना वरिष्ठ. अवस्थाएं ज्ञान का भ्रम हैं और पत्रकार ज्ञानी नहीं होता. केवल पत्रकार हूं और कहानियां लिखता हूं. ट्विटर हैंडल ये रहा- @AnujKIdunia

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