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Updated: 19 जनवरी, 2022 08:42 PM
ज्योति गुप्ता
ज्योति गुप्ता
  @jyoti.gupta.01
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अल्लू अर्जुन (Allu arjun) की फिल्म ‘पुष्पा: द राइज’ (Pushpa the rising) को लोगों ने काफी पसंद किया. यह फिल्म सच में फ्लावर नहीं फायर है. फिल्म का एक भी दृश्य बोरिंग नहीं लगता. सबकुछ बेहद बैलेंस और नैचुरल है. इसके साथ ही इस फिल्म में महिलाओं की हालत को भी बखूबी फिल्माया गया है. एक औरत, एक बेटी, एक प्रेमिका और एक मां की हालत को इस फिल्म से समझा जा सकता है.

Allu arjun, Pushpa the rising, Allu arjun film Pushpa, Allu arjun Pushpa, Pushpa filmफिल्म पुष्पा में महिलाओं को लेकर कई ऐसे छोटे-छोटे मार्मिक दृश्य हैं जो महिलाओं की हालात बयां करते हैं

इस फिल्म में एक्शन है, अभिनय है, रोमांस है, बदला है, क़ॉमेडी है, अमीरी है, गरीबी है, जिंदगी है और महिलाओं की सच्चाई है. फिल्म इतनी अच्छी है कि शायद किसी ने इन दृश्यों पर ध्यान न दिया हो. चलिए एक नजर डाल लेते हैं.

 Allu arjun, Pushpa the rising, Allu arjun film Pushpa, Allu arjun Pushpa, Pushpa filmपुष्मा फिल्म में बार-बार बिन ब्याही मां का अपमान किया गया है

1- फिल्पु के हीरो पुष्मा के मां की हालात दयनीय है. क्योंकि वह बिना शादी के मां बन जाती है. बिन ब्याही मां की हालत आज भी समाज में यही है. सिंगल मदर को लोग नहीं अपनाते हैं. उसको ताने मारे जाते हैं. गंदी-गंदी बातें सुनाई जाती हैं. पूरी फिल्म में उसके चरित्र को तार-तार किया जाता है. पूरे समाज में बार-बार उसका अपमान किया जाता है. पुष्पा का सरनेम एक मुद्दा बन जाता है, उसके पिता के नाम को लेकर बार-बार उसका तिरस्कार किया जाता है. मतलब महिला ने जन्म दिया लेकिन उसका सरनेम मायने नहीं रखता. सभी लोग यही पूछते हैं कि बाप कौन है?

Allu arjun, Pushpa the rising, Allu arjun film Pushpa, Allu arjun Pushpa, Pushpa filmश्री वल्ली पिता की जान बचाने के लिए एक रात गुजारने के लिए जब तैयार होती है तो आंख भर आती है

2- चंदन की लड़की का स्मगलिंग करने वाले तीनों भाइयों में तीसरे नंबर का सबसे छोटा भाई जॉली रेड्डी है. जिसके बारे में कहा गया है कि शराब और शबाब के बिना इसका दम घुटने लगता है. किसी औरत के बिना इसकी रातें नहीं कटतीं. शादी चाहें किसी की भी हो दुल्हन के साथ सुहागरात सिर्फ जॉली रेड्डी ही मनाता है. मतलब उसके लिए महिलाएं सिर्फ उपभोग की एक वस्तु हैं. जिसे जब चाहें जहां चाहें अपनी प्यास बुझाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. भले ही उसकी मर्जी हो चाहें नहीं. आज भी कुछ लोग महिलाओं को उपभोग की वस्तु ही तो समझते हैं. इसलिए आए दिन रेप की खबरें सुनने को मिलती हैं.

3- जब पुष्पा और श्री वल्ली के ऱिश्ते की बात होती है और सगाई होने वाली रहती है तो सब होने वाले दूल्हे का बहुत सम्मान करते हैं. दूल्हे का सम्मान इसलिए होता है क्योंकि लड़की वालों को पता रहता है कि वह एक उंची जाति और उंचे खानदान से है. जैसे ही हकीकत सामने आती है लड़की की मां सबसे पहले मना कर देती है. लड़की पुष्पा से प्रेम करती है और उससे शादी करना चाहती है लेकिन मजबूरन उनका रिश्ता टूट जाता है. आज भी बेटियों की शादी दूसरे जाति में लोग नहीं कराना चाहते.

Allu arjun, Pushpa the rising, Allu arjun film Pushpa, Allu arjun Pushpa, Pushpa filmकौन कहता है कि औरतें अपराध नहीं कर सकतीं, एक बार इनको देखिए

4- पुष्पा फिल्म में एक बात सही दिखाई गई है कि औरतें भी अपराधी हो सकती हैं. जिस तरह सीनू की पत्नी अपने पति के अपराध में साथ देती है. वह पति और हत्यारे भाई के साथ रहकर उनके जैसे ही बन गई है. एक तरफ वह यह कहती है कि एक मरता है तब तक दूसरा आ जाता है. दूसरी तरफ वह अपने कोंडा रेड्डी मामा से कहती है कि जमीन को उपजाऊ बनाने के लिए उनमें खाद भी तो डालना पड़ता है. खाद के नाम पर वह और उसका पति जिंदा इंसान को ही जमीन में गाड़ देते हैं. उसके सामने उसका भाई और पति कितने लोगों की जान लेते हैं लेकिन वह इसके लिए मना नहीं करती. अंत में वह मुंह में ब्लेड लेकर खुद पति की हत्या करने के लिए उसके सीने पर बैठ जाती है. यानी महिलाएं अपराधी हो सकती हैं.

 
 
 
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फिल्म पुष्पा में महिलाओं को लेकर कई ऐसे छोटे-छोटे मार्मिक दृश्य हैं जो महिलाओं की हालात बयां करते हैं. महिलाएं मजबूरी होती हैं तभी तो एक मां अपने पति को छुड़ाने के लिए बेटी को पराए पुरुष के पास भेजने को तैयार हो जाती है. एक लड़की जब किसी के साथ मजबूरी में एक रात गुजारने के लिए मजबूर होती है, क्योंकि उसे अपने पिता की जान बचानी है. एक महिला जिंदगी भर रखैल के ताने सुनती है लेकिन अपने अधिकार के लिए लड़ाई नहीं लड़ती है. पुरुषों को जब गुस्सा आता है वे बदला लेने के लिए अपने दुश्मन के घर की महिलाओं को टारगेट करते हैं. सारी गालियां महिलाओं के लिए तो बनी है.

पुष्पा में दिखाया गया है कि कैसे कुछ पुरुष बदला लेने के लिए महिलाओं की इज्जत के साथ खेलते हैं. उसके चरित्र पर उंगली उठाते हैं. इस फिल्म में फिल्माया गया है कि बेटी की शादी के लिए पिता की चिंता क्या होती है. वह बेटी की शादी के लिए पैसों की जुगाड़ के लिए अपने मालिक को धोखा देता है, जिसके बदले उसकी पिटाई की जाती है.

एक विलेन पुलिस वाला भी पुष्पा को उसकी मां के नाम पर ही नीचा दिखाता है. ब्रांड से सरनेम की तुलना करता है. प्रेमी है तो फोन पर बात करते-करते हाथ ब्रेस्ट पर रख देता है... माने प्यार में मर्जी पूछना शायद जरूरी नहीं.

आज के जमाने में बहुत से ऐसे लोग भरे पड़े हैं जो महिलाओं का सम्मान नहीं करते. फिल्म पुष्पा इस बात का सबूत है. इस फिल्म में बिन पेंदी लोटा गाना खुद ही अपने आप में उन पुरुषों पर कटाक्ष है जो महिलों को कुछ समझते नहीं हैं...ऐसे लोग कब समझेंगे कि महिलाएं ब्रेस्ट और वजाइना से बढ़कर एक इंसान हैं. 

लेखक

ज्योति गुप्ता ज्योति गुप्ता @jyoti.gupta.01

लेखक इंडिया टुडे डि़जिटल में पत्रकार हैं. जिन्हें महिला और सामाजिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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