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Updated: 08 अगस्त, 2022 03:48 PM
ज्योति गुप्ता
ज्योति गुप्ता
  @jyoti.gupta.01
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डार्लिंग्स (Darlings) फिल्म में दिखाया गया है कि एक मुस्लिम लड़की उस इंसान से शादी करती है जिससे वह बेहद प्यार करती है. शादी के तीन साल बाद के सीन में प्रेमी से पति बना लड़का एकदम बदल चुका है. वह जिस लड़की के लिए सरकारी नौकरी करता है उसे ही एक नौकरानी की तरह ट्रीट करता.

लड़की वैसे तो हाउस वाइफ है लेकिन पति की नजरों में उसकी कोई इज्जत नहीं है. उसे देखकर हाय बेचारी वाली फीलिंग आती है. पति के अनुसार, उसने बुर्का ना पहनने और कहीं आने-जाने की आजादी देकर पत्नी पर एहसान कर दिया है.

लड़की का नाम बदरुन्निसा है जिसे लोग प्यार से बदरू कहकर पुकारते हैं. वहीं बदरू की मां का नाम शम्सुन्निसा अंसारी हैं, जिन्हें लोग शम्सु कहते हैं. कल रात मैंने फिल्म देखी, कहानी थोड़ी स्लो है लेकिन फिल्म बुरी नहीं है. एक बार तो आप देख ही सकते हैं. मैं यहां रिव्यू नहीं कर रहीं हूं, फिल्म का रिव्यू आईचौक पहले ही कर चुका है.

डार्लिंग्स को लेकर कहा जा रहा है कि फिल्म पुरुष हिंस को बढ़ावा दे रही है. इसलिए इसका ट्विटर पर विरोध भी किया जा चुका है. लोग कह रहे हैं कि मान लीजिए पति अपनी पत्नी के साथ गलत कर रहा है तो क्या पत्नी को भी उसके साथ वही करना चाहिए? विरोध करने वाले बताएं क्या इससे पहले किसी फिल्म में पत्नी को पीड़ित नहीं दिखाया गया है? क्या किसी फिल्म में पति ने अपनी पत्नी पर हिंसा नहीं किया है?

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डार्लिंग्स देखकर पत्नियों को कोसने वाले जान लें कि फिल्म में कुछ मर्दों को ही दोषी बताया है...यानी दुनिया का हर पुरुष हमजा जैसा नहीं होता है. वैसे विरोध करने वालों का मतलब साफ है कि पत्नी पर पति जुर्म करे तो वह उसका प्यार और अधिकार है लेकिन पत्नी करे तो डायन है. शायद इसलिए क्योंकि लोगों को यह सुनने की आदत है कि फलाने अपनी पत्नी को मारता-कूटता है.

इस फिल्म में आलिया भट्ट ने बदरु बनकर जान फूंक दी है. उन्हें देखकर ऐसा लगता है कि हां उनका पति हमजा उन पर जुर्म करता है. वह चुपचाप उसके मारपीट को सहती है, बर्दाश्त करती है. रोती है, नाराज भी होती है लेकिन हर पत्नी की तरह आखिरकार मान जाती है. हालांकि फिल्म में बदरु ने हमजा के साथ जो किया है, वह हर महिला अपने पति के साथ नहीं कर सकती है. अरे कुछ महिलाएं तो पति की मार खा कर भी उन्हें छोड़ नहीं पातीं, उन्हें जान से मारना तो दूर की बात है.

आखिर वो क्या वजहे हैं जो महिलाओं को दर्द सहने के लिए मजबूर करते हैं-

पति बहुत प्यार करता है

फिल्म में बदरू की मां कहती है कि मैं कबसे कह रही हूं कि तू घर आ जा. उसने मार-मारकर तेरे चेहरे का नक्शा बिगाड़ दिया है, इस पर बदरू कहती है कि तुम नहीं समझोगी मां क्योंकि वह मुझसे प्यार करता है. तुम्हारे और अब्बा की तरह हमारा रिश्ता नहीं है. यही वह शब्द है जहां लड़कियां पिघल जाती हैं. उन्हें लगता है कि पति ने डांटा है तो पक्का मेरी ही गलती होगी. मैंने ही तो उनकी बात नहीं मानी थी वरना वो तो मुझपर जान छिड़कते हैं. और फिर पति के मूड को ठीक करने के लिए उसके लिए अच्छा खाना बनाती है. उसके लिए सरप्राइज प्लान करती हैं. खुद को सजाकर उसे रिझाती हैं.

पति के मनाने की तरकीब

पति लाख गलती करके भी छोटे बच्चा बन जाता है. मानना पड़ेगा कि उसके मनाने की तरकीब गजब की है. वह रात को गलती करता है और सुबह माफी मांग लेता है. वह ऐसा व्यवहार करता है जैसे कि सारे कलेश की जड़ शराब है. जिसे वह छोड़ना तो चाह रहा है लेकिन नहीं छोड़ पा रहा है. नहीं तो फिर सारी गलती उसकी पत्नी की है. वह पत्नी को बड़े प्यार से समझा देता है कि उसके बुरे व्यवहार के पीछे वह नहीं, कोई दूसरी वजह थी. जैसे-ऑफिस में काम का प्रेशर, बॉस से बहस या फिर मां से लड़ाई. वह कहता है कि उसका गुस्सा गलती से तुम पर निकल गया. वह कहता है कि मैं यह सब तुम्हारे लिए ही तो कर रहा हूं. तुम्हारे सिवा मेरा कौन है? बोलो तुम्हें क्या चाहिए? तुम तो मेरी जान हो...

पति से अलग होकर कहां जाउंगी

लड़कियों को शादी के दिन ही समझा दिया जाता है कि अब पति का घर ही उसका अपना घर है. वह ससुराल तभी छोड़ सकती है जब उसकी अर्थी उठेगी. लड़कियों को बताया जाता है कि शादी टूटने पर महिला की बदनामी होती है. डार्लिंग्स में भले ही आलिया की ऑन स्क्रीन मां बनी शेफाली शाह अपनी बेटी का साथ देती हैं, लेकिन असल जिंदगी में माएं बेटियों को घर जोड़ने की समझाइश देती हैं ना कि घर छोड़ने की.

तलाक के बाद के चोंचले

थाने में पुलिस वाला जब बदरु की मां शम्सुन्निसा से पूछता है कि यह पति की मार क्यों सहती है? उसे छोड़ क्यों नहीं देती तो वह कहती है कि अरे इसमें बड़े लफड़े हैं. फिल्म में खुलकर बात नहीं कही गई है, लेकिन मुस्लिम महिलाओं के तलाक में कई परेशानियां आती हैं जिनमें हलाला का खौफ हर महिला के मन में रहता है. वैसे भी लोग विधवा बेटी को स्वीकार कर लेंगे लेकिन तलाकशुदा के लिए मायके में भी जगह नहीं रहती है.

किस मियां-बीवी में झगड़े नहीं होते

पत्नी को टॉर्चर करने को ऐसे पेश किया जाता है कि हर मियां-बीवी में झगड़े होते हैं. अरे छोटी-मोटी नोंक-झोक और पत्नी को मारने-पीटने में अंतर होता है. डार्लिंग्स में आलिया पति के खौफ में जीती हैं. हमजा नहीं चाहता है कि वह कोई भी काम अपने मन से करे. वह डीलर से मिलने चली जाती है तो उसकी खूब पिटाई करता है. फिर भी आलिया को लगता है कि पति-पत्नी में यह सब होना सामान्य है, असल में समाज में पत्नी को इसी रूप में पेश किया जाता है कि अगर पति को खाने में कंकड़ मिल जाए तो पत्नी हाथ आगे कर लेती है.

सुधरने का आखिरी मौका

पति हर बार गलती करता है औऱ हर बार कहता है कि मैं अब ऐसा नहीं करूंगा. पत्नी उसे अपनी पूरी दुनिया मान लेती है. वह उसे बिना जीने की कल्पना भी नहीं कर सकती है, क्योंकि उसके बिना उसका कोई अस्तित्व नहीं है. वह उससे प्यार करती है और खोना नहीं चाहती है. उसे लगता है कि पति अब सुधर जाएगा. फिर वह नए उम्मीद के साथ अपने जख्मों को बिटोरती है और नई शुरुआत करती है. कई बार तो कुछ पत्नियां थाने में शिकायत करने के बाद केस वापस ले लेती हैं, वे मानती हैं कि पति सुधर गया है. केस वापस नहीं लिया तो उनका घर टूट जाएगा. ऐसा ही बदरु ने भी फिल्म में किया है.

बच्चा सब ठीक कर देगा

मां-बाप को लगता है कि बेटे की शादी हो जाएगी तो सुधर जाएगा. पत्नी को लगता है कि एक बच्चा हो जाएगा तो पति सुधर जाएगा, लेकिन डंक मारना बिच्छू की आदत है जो छूटती नहीं है. बच्चा होने के बाद भी कोई पति अपनी फिदरत नहीं छोड़ पाता. अगर ऐसा होता तो किसी माता-पिता का तलाक नहीं होता.

घर टूटने पर दोषी महिला होती है

घर टूटने पर समाज के लोग महिला को ही दोष देते हैं कि, कैसी औरत है अपनी-घर गृहस्थी नहीं संभाल पाई. अपने पति को नहीं झेल पाई. भले ही पत्नी ने पति को छोड़ा हो लेकिन दुनिया के लिए वह पति द्वारा छोड़ी औरत कहलती है. उसे कोई जल्दी दोबारा अपने घर की बहू बनाने के लिए तैयार नहीं होता. उसे घर तोड़ने वाली औरत की संज्ञा दी जाती है. इस तरह पति मासूम और पत्नी पापिन कहलाती है.

दरअसल, एक स्त्री अपने पति को छोड़कर जाने का फैसला एकदम से नहीं करती, वह महीनों खुद को समझाती है. उसके सुधर जाने का इंतजार करती है. बहुत सी बातों को अनदेखा कर हर रोज अपने रिश्ते को सींचने की कोशिश करती है. वह हर तकलीफ के बाद खुद को हिम्मत देती है कि सब ठीक हो जाएगा...अंत में जिस दिन वह उसके बिना रहना सीख जाती है. और जिस दिन वह खुद को संभालना सीख जाती है उसी दिन वह पति से हमेशा के लिए दूर हो जाती है. तो अगर आपको और अधिक समझना है तो 'डार्लिंग्स' फिल्म नेटफ्लिक्स पर देख सकते हैं.

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लेखक

ज्योति गुप्ता ज्योति गुप्ता @jyoti.gupta.01

लेखक इंडिया टुडे डि़जिटल में पत्रकार हैं. जिन्हें महिला और सामाजिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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