New

होम -> सिनेमा

 |  6-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 28 अप्रिल, 2021 02:53 PM
आईचौक
आईचौक
  @iChowk
  • Total Shares

कोरोना महामारी की दूसरी लहर से लोगों में तनाव अपने चरम पर पहुंच चुका है. इस तनाव का शिकार धीरे-धीरे अब बच्चे भी होने लगे हैं. एक साल से घर में कैद बच्चों का रोजमर्रा का रुटीन बुरी तरह से गड़बड़ा गया है. इन दिनों बच्चों की सारी एक्टिविटीज पर भी ताला लगा हुआ है. स्कूल बंद हैं, बाहर खेलने पर रोक है, ऑनलाइन पढ़ाई से एक अलग ही दबाव बच्चों पर पड़ रहा है. ऐसी दर्जनों चीजों की वजह से बच्चे तनाव का शिकार हो रहे हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि तनाव का सीधा असर शरीर की इम्युनिटी पॉवर पर पड़ता है. इस स्थिति में बच्चों को तनाव से दूर रखने के लिए इन 10 बॉलीवुड फिल्मों का सहारा लिया जा सकता है. ये फिल्में बच्चों को तनाव से दूर रखेंगी और उन्हें काफी कुछ सीखने के लिए भी प्रेरित करेंगी.

आमिर खान और दर्शील सफारी अभिनीत इस फिल्म में बच्चों में होने वाली बीमारी डिस्लेक्सिया (Dyslexia) को बहुत ही खूबसूरती के साथ दिखाया गया है.इस फिल्म से बच्चों में होने वाली बीमारी डिस्लेक्सिया (Dyslexia) को समझने में बहुत मदद मिलेगी.

तारे जमीन पर

आमिर खान और दर्शील सफारी अभिनीत इस फिल्म में बच्चों में होने वाली बीमारी डिस्लेक्सिया (Dyslexia) को समझने में बहुत ही मदद मिलेगी. आमिर खान ने इस फिल्म में टीचर का रोल निभाया है, जो दर्शील में इस लर्निंग डिसऑर्डर की पहचान करते हैं. यह फिल्म बच्चों के लिहाज से बहुत शानदार है. इस फिल्म को लोगों ने काफी पसंद किया था. यह फिल्म सिखाती है कि पेरेंट्स को बच्चों को समझना चाहिए और उनको प्रतिभा के हिसाब से आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करना चाहिए. फिल्म अभिनेता अभिषेक बच्चन भी डिस्लेक्सिया से पीड़ित रहे हैं.

आई एम कलाम

यह फिल्म एक गरीब राजस्थानी लड़के छोटू की कहानी है, जो एपीजे अब्दुल कलाम से प्रभावित होता है. वह अपना नाम कलाम रख लेता है और उनसे मिलना चाहता है. बाल मजदूरी करने वाला छोटू पूरी लगन से अपनी पढ़ाई को पूरा करता है और एपीजे अब्दुल कलाम जैसा बड़ा आदमी बनना चाहता है. फिल्म में उसकी दोस्ती शाही परिवार के एक बच्चे से हो जाती है और इसके बाद कहानी एक रोचक मोड़ लेती है.

तहान

फिल्म की कहानी एक बच्चे और उसके पालतू गधे के इर्द-गिर्द बुनी गई है. कर्ज की वजह से तहान से उसका गधा बीरबल अलग हो जाता है. जमींदार उसके गधे को ले जाता है. बच्चा कुछ भी करके अपने गधे को वापस पाना चाहता है. फिल्म में तहान अपने गधे बीरबल को लाने के चक्कर में आतंकी गतिविधियों में फंस जाता है.

स्टेनली का डब्बा

फिल्म की स्कूल के एक बच्चे स्टेनली के इर्द-गिर्द घूमती है. वह पढ़ने में इंटेलिजेंट है और साथ पढ़ने वाले दोस्तों को कई रोमांचक कहानियां सुनाता रहता है. स्टेनली कुछ वजहों से अपना टिफिन बॉक्स नहीं लाता है, लेकिन उसकी क्लास के बच्चे स्टेनली के साथ अपने टिफिन का खाना शेयर करते हैं. बच्चों के टिफिन पर एक टीचर वर्मा की भी नजर रहती है. स्टेनली की वजह से उन्हें बच्चों का टिफिन खाने में दिक्कत होती है, तो वो उसे स्कूल से भगा देते हैं. बाद में स्कूल की ही एक अन्य महिला टीचर वर्मा को इसके लिए शर्मिंदा करती हैं और वर्मा फिर कभी स्कूल में नहीं आता है. फिल्म बच्चों को बहुत ही रोचक संदेश देती है.

निल बटे सन्नाटा

फिल्म की कहानी लोगों के घरों में काम करने वाली एक मां और उसकी बेटी के जीवन पर आधारित है. मां लोगों के घरों में काम करती हैं, ताकि बेटी को अच्छे से पढ़ा-लिखा सके. लेकिन, बेटी को लगता है कि वह भी अपनी मां की ही तरह लोगों के घर में काम करेगी. अपनी बेटी के सपने को फिर से जिंदा करने के लिए मां क्या-क्या करती है, ये इस फिल्म में बहुत ही खूबसूरती से दर्शाया गया है. फिल्म में बताया गया है कि लोगों को सपने देखना बंद नहीं करना चाहिए.

चिल्लर पार्टी

यह फिल्म सोसाइटी में रहने वाले बच्चों के एक ग्रुप की कहानी है. जो एक अनाथ बच्चे और उसके स्ट्रे डॉग से दोस्ती करते हैं. एक राजनेता शहर से स्ट्रे डॉग्स को हटाने की मुहिम चलाता है. जिसके बाद ये बच्चे मिलकर अपने नए दोस्त (स्ट्रे डॉग) को बचाने के लिए राजनेता के इस फैसले के खिलाफ लड़ने का एलान कर देते हैं. फिल्म में साबित होता है कि बच्चे अगर चाह लें, तो पहाड़ भी हिला सकते हैं.

बम बम बोले

बम बम बोले की कहानी दर्शील सफारी और जिया वास्तानी अभिनीत भाई-बहन के किरदार पर आधारित है. एक जोड़ी जूतों के साथ ये दोनों भाई-बहन कैसे स्कूल मैनेज करते हैं और किस तरह इंटरस्कूल मैराथन में नये जूतों के लिए भाई इसमें हिस्सा लेता है, इस फिल्म में ये तमाम जद्दोजहद दिखाई गई है. अभावग्रस्त बच्चे किस तरह से अपने माता-पिता की मदद करने की कोशिश करते हैं, इस फिल्म में बखूबी दिखाया गया है.

फरारी की सवारी

स्पोर्ट्स ड्रामा पर बनी इस फिल्म में तीन पीढ़ियां एक साथ नजर आते हैं. बोमन ईरानी, शरमन जोशी और ऋत्विक साहोर अभिनीत इस फिल्म में भरपूर मनोरंजन है. क्रिकेट के एक पुराने खिलाड़ी का बेटा ईमानदारी के साथ क्लर्क की नौकरी करता है. वह इतना नहीं कमा पाता है कि अपने बेटे को क्रिकेट की ट्रेनिंग के लिए इंग्लैंड भेज सके. पैसों की तंगी की वजह से वह एक ऐसा कदम उठा लेता है, जिसकी वजह से उसकी जिंदगी में तमाम परेशानियां होने लगती हैं. फिल्म के अंत में शरमन फिर से ईमानदारी के रास्ते पर लौट आते हैं.

स्लमडॉग मिलेनियर

मुंबई के झोपड़पट्टी (स्लम) में रहने वाले दो अनाथ भाईयों की कहानी पर यह फिल्म बनी है. इनमें से एक बच्चा बड़ा होने पर एक गेम शो में एक करोड़ रूपये जीत जाता है. दूसरा बच्चा बड़ा होने पर अपराधी बन जाता है. इन बच्चों को बड़े होने तक कैसी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. अनाथ बच्चे के पास इतना सारा ज्ञान कैसे आता है, इसी की कहानी को स्लमडॉग मिलेनियर में कहा गया है.

इकबाल

फिल्म एक गूंगे और बहरे लड़के के हार न मानने वाले जज्बे पर आधारित है. यह लड़का शारीरिक अक्षमता के बावजूद भारतीय क्रिकेट टीम में खेलने का सपना देखता है और उसे पूरा करता है. इस सपने को पूरा करने में उसकी छोटी बहन मदद करती है और लड़के के लिए एक कोच और मेंटर की खोज करती है. जिंदगी की तमाम जद्दोजहद के बीच इकबाल अपने सपने को पूरा करता है. यह फिल्म कभी भी हार न मानने की प्रेरणा देती है.

ये सभी फिल्में बच्चों के साथ ही कोई भी देख सकता है. यह पारिवारिक मनोरंजन से भरपूर फिल्मे हैं और इससे बच्चों में तनाव को दूर करने में काफी मदद मिलेगी. इसके साथ ही बच्चों इन फिल्मों से अच्छी बातें भी सीख सकेंगे. कोरोना महामारी की दूसरी लहर में बच्चों को तनाव से बचाने के लिए टीवी और मोबाइल पर आने वाली न्यूज से भी दूर रखें. ये फिल्में ऐसा करने में आपकी भरपूर मदद करेंगी. ये सभी फिल्में ओटीटी प्लेटफॉर्म और यूट्यूब पर उपलब्ध हैं.

#बॉलीवुड फिल्म, #बच्चे, #कोरोना, Bollywood Film, Hindi Children Movies, Corona Crisis

लेखक

आईचौक आईचौक @ichowk

इंडिया टुडे ग्रुप का ऑनलाइन ओपिनियन प्लेटफॉर्म.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय