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जानिए एक रेप के बाद कैसी हो जाती है रेपिस्ट की जिंदगी

    • विनीत कुमार
    • Updated: 05 मई, 2017 02:50 PM
  • 05 मई, 2017 02:50 PM
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जेल अमेरिका का हो या भारत का, एक सच ये है कि रेप जैसे अपराध को अंजाम देने वालों को सबसे निचले दर्जे पर रखा जाता है. दुनिया की नजर से वह भले मुंह छिपा ले और ये सोचे कि जेल जाने के बाद उसे किसी जलालत का सामना नहीं करना पड़ेगा, तो ऐसा होता नहीं...

एक लड़की की देह पर 'जीत' के बाद जो रेपिस्ट खुद को किसी मुगालते में रखते होंगे उनके लिए राम सिंह का मामला एक नजीर है. करीब तीन साल पहले निर्भया गैंग रेप मामले के मुख्य दोषी राम सिंह ने जब तिहाड़ जेल में आत्महत्या की तो ये सवाल उठा कि उसने वाकई खुदकुशी की या फिर उसका मर्डर हुआ. अब खबर आई है कि निर्भया के एक और दोषी विनय शर्मा ने भी ऐसी ही कोशिश की, हालांकि उसे बचा लिया गया.

जुर्म करने वालों के भी अपने उसूल और कायदे-कानून होते हैं! ऐसे डायलॉग फिल्मी जरूर लगते हैं लेकिन इसे पूरी तरह नकारा भी नहीं जा सकता. क्योंकि राम सिंह ने खुदकुशी की थी या उसका मर्डर हुआ, इस बहस से आगे कुछ और भी है जिस पर गौर करना जरूरी है. जेल के अलिखित कानून के मुताबिक उसकी चारदिवारी में भले ही सब एक से बढ़कर एक बड़े अपराधी बंद हों लेकिन एक बलात्कारी का पाप सबसे बड़ा होता है !

जेल में क्या होता है बलात्कारियों के साथ...

पिछले ही साल ऐसी खबरें आई थीं और पश्चिमी मीडिया में खूब लंबे-चौड़े लेख भी लिखे गए कि कैलिफोर्निया की जेलों में लगातार सेक्स ऑफेंडर्स (यौन अपराधी) की हत्याएं हो रही हैं. दरअसल, जेल अमेरिका का हो या भारत का एक सच ये है कि रेप के अपराधी को सबसे निचले दर्जे पर रखा जाता है. दुनिया की नजर से वह भले मुंह छिपा ले और ये सोचे कि जेल में जाने के बाद उसे किसी जलालत का सामना नहीं करना पड़ेगा, वहां कोई उससे सवाल जवाब नहीं करेगा तो ऐसा होता नहीं.

यह भी पढ़ें- ये कौन लोग हैं जो बलात्कारियों के लिए रहम की मांग करते हैं..

उदाहरण गुजरात का लीजिए. आज गुजरात में जिस तरह दलितों का मुद्दा छाया हुआ है और चुनावी मौसम देखकर जिस तरह उसे सवर्ण बनाम दलित में बदलने की कोशिश हो रही है, उसी गुजरात की 2008 की कहानी है ये. कोई सवर्ण बनाम दलित...

एक लड़की की देह पर 'जीत' के बाद जो रेपिस्ट खुद को किसी मुगालते में रखते होंगे उनके लिए राम सिंह का मामला एक नजीर है. करीब तीन साल पहले निर्भया गैंग रेप मामले के मुख्य दोषी राम सिंह ने जब तिहाड़ जेल में आत्महत्या की तो ये सवाल उठा कि उसने वाकई खुदकुशी की या फिर उसका मर्डर हुआ. अब खबर आई है कि निर्भया के एक और दोषी विनय शर्मा ने भी ऐसी ही कोशिश की, हालांकि उसे बचा लिया गया.

जुर्म करने वालों के भी अपने उसूल और कायदे-कानून होते हैं! ऐसे डायलॉग फिल्मी जरूर लगते हैं लेकिन इसे पूरी तरह नकारा भी नहीं जा सकता. क्योंकि राम सिंह ने खुदकुशी की थी या उसका मर्डर हुआ, इस बहस से आगे कुछ और भी है जिस पर गौर करना जरूरी है. जेल के अलिखित कानून के मुताबिक उसकी चारदिवारी में भले ही सब एक से बढ़कर एक बड़े अपराधी बंद हों लेकिन एक बलात्कारी का पाप सबसे बड़ा होता है !

जेल में क्या होता है बलात्कारियों के साथ...

पिछले ही साल ऐसी खबरें आई थीं और पश्चिमी मीडिया में खूब लंबे-चौड़े लेख भी लिखे गए कि कैलिफोर्निया की जेलों में लगातार सेक्स ऑफेंडर्स (यौन अपराधी) की हत्याएं हो रही हैं. दरअसल, जेल अमेरिका का हो या भारत का एक सच ये है कि रेप के अपराधी को सबसे निचले दर्जे पर रखा जाता है. दुनिया की नजर से वह भले मुंह छिपा ले और ये सोचे कि जेल में जाने के बाद उसे किसी जलालत का सामना नहीं करना पड़ेगा, वहां कोई उससे सवाल जवाब नहीं करेगा तो ऐसा होता नहीं.

यह भी पढ़ें- ये कौन लोग हैं जो बलात्कारियों के लिए रहम की मांग करते हैं..

उदाहरण गुजरात का लीजिए. आज गुजरात में जिस तरह दलितों का मुद्दा छाया हुआ है और चुनावी मौसम देखकर जिस तरह उसे सवर्ण बनाम दलित में बदलने की कोशिश हो रही है, उसी गुजरात की 2008 की कहानी है ये. कोई सवर्ण बनाम दलित की दास्तां नहीं. एक दलित छात्रा के साथ उसके ही छह शिक्षक गैंगरेप करते हैं. गिरफ्तारी का दबाव बढ़ता है और इस बात का डर भी कि वे आम लोगों के गुस्से का शिकार हो सकते हैं, सभी छह दोषी खुद ही पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर देते हैं. उस समय भी ये खबरें आईं थी कि जेल में उन बलात्कारियों को और बुरे दौर से गुजरना होगा.

निर्भया का दोषी विनय शर्मा (फाइल फोटो)

रेपिस्टों या बच्चों के साथ यौन अपराध करने वालों से अलग व्यवहार करने या उन्हें यातना देने जैसा कोई कानूना या नियमावली जेल कि किताब में तो है नहीं, लेकिन आप इसे अलिखित कोड की तरह समझ लीजिए. सूत्र के हवाले से आने वाली बातों की तरह. ऐसे दोषियों से ज्यादातर टॉयलेट साफ कराया जाता है. उन्हें खुले टॉयलेट के बाहर सोने की जगह दी जाती है.

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कोई मर्डर करने वाला जेल जाए तो भी उसकी इज्जत वहां है. और कई बार तो वे वहां खुद को दबंग की तरह स्थापित भी कर लेते हैं. चोरी या दूसरे अपराधियों को भी रिआयत मिल जाती है. लेकिन जिन पर रेप का आरोप है, उसके जेल में कदम रखते ही समझिए कि बुरे दिन शुरू हो गए. बात केवल टॉयलट साफ कराने तक नहीं है, शारीरिक, मानसिक और कई बार तो सेक्सुअल हैरासमेंट भी उनकी 'सजा' का हिस्सा होता है.

रेप के बाद एक रेपिस्ट की जिंदगी...

एक कमजोर लड़की का रेप करने के तुरंत बाद अपराधी भले ही अपनी जीत महसूस करता हो, लेकिन उसके अगले क्षण से ही उसका नर्क शुरू हो जाता है. जिनके पास पैसे हैं या जो किसी बड़े घराने के राजदुलारे या कोई सिनेमाई स्टार... उनकी कहानी कुछ अलग जरूर हो सकती है. लेकिन आम तौर पर एक बलात्कारी की जिंदगी कभी आसान नहीं होती. आखिर क्या कारण है कि राम सिंह की मौत के बाद उसके वकील ने हत्या की आशंका जताई थी. अब विनय के मामले में भी उसके वकील का कहना है कि ये हत्या की कोशिश थी.

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मीडिया रिपोर्ट्स में ये बात सामने आई है कि विनय डिप्रेशन में था और उसके लिए दवाईयां खा रहा था. आत्महत्या की कोशिश से पहले उसने दवाओं का हेवीडोज भी लिया था. सवाल यही है विनय डिप्रेशन में क्‍यों था? विनय तो जिम में ट्रेनर हुआ करता था. शरीर से हट्टा-कट्टा. वह कैसे टूट सकता है? लेकिन संभावना है कि उसके आसपास के माहौल ने उसे नर्क दिखा दिया होगा. अब उस नर्क में विनय आत्‍महत्‍या करे या उसकी हत्‍या हो... निर्भया की मां की प्रतिक्रिया अंतिम सत्‍य है. 'ये उसके कर्मों की सजा है'.

विनय को लेकर क्या कहा निर्भया की मां ने..

सच ही तो है. विनय को किसने कहा था कि वह किसी मासूम लड़की की जिंदगी बर्बाद कर दे. उसकी दुनिया उजाड़ दे. उसके लिए जरूरी है कि वह निर्भया के दर्द को महसूस करे और उसके जैसे मंसूबे रखने वालों को आगाह करे. कि यदि वे भी किसी निर्भया की तलाश में हैं तो एक बार रेप के बाद की जिंदगी के बारे में भी सोच लें.

यह भी पढ़ें- निर्भया के नाबालिग दुष्‍कर्मी को तो रिहा होना ही था


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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