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Updated: 29 जनवरी, 2015 06:01 PM
धीरेंद्र राय
धीरेंद्र राय
  @dhirendra.rai01
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दुनिया की सबसे बड़ी फास्टफूड चेन मैकडोनाल्ड्स के सीईओ डॉन थॉमसन को अपना पद छोड़ना पड़ रहा है. 1955 में शुरू हुई इस कंपनी के दुनिया में 36 हजार रेस्त्रां हैं. लेकिन यह चेन अब लड़खड़ाने लगी है. सिर्फ अमेरिका में ही मैकडोनाल्ड्स में आने वालों की तादाद 2013 में 1.6 फीसदी और 2014 में 4.1 फीसदी घटी है. कर्मचारियों को लेऑफ दिए जा रहे हैं. जानिए ऐसा क्यों हो रहा है-

1. जंक फूड का ठप्पा
लोगों की यह सोच कि फास्ट फूड सस्ते, तेल वाले और रहस्यमयी खाद्य पदार्थों से बने होते हैं.
कंपनी ने हाल ही में एक कैंपेन चलाया, जिसमें लोगों से मीनू को लेकर खुलकर प्रश्न पूछने को कहा गया. जैसे कि 'क्या मैकडोलाल्ड्स बीफ में कीड़े होते हैं?' और 'क्या मैकडोनाल्ड्स बन्स बनाने में उसी कैमिकल का इस्तेमाल होता है, जो योगा मैट है?'  

2. कॉम्पीटिशन में पिछड़ा
मैकडोलाल्ड्स की एक परेशानी दूसरी पारंपरिक फूड चेन से कॉम्पीटिशन को लेकर है. लोगों को लगता है कि मैकडोनाल्ड्स अपने खाने में न जाने क्या मिलाता है, जबकि बाकी रेस्त्रां का मीनू ज्यादा सामान्य और अच्छी क्वालिटी का होता है.
मैकडोनाल्ड्स यूएसए के प्रेसिडेंट माइक एंड्रिएस ने पिछले महीने ही कहा है कि वह अपने खाने में घटकों की संख्या कम करेगा और भोजन पकाने के तरीकों में नयापन लाएगा. और हमें प्रिजर्वेटिव्स का इस्तेमाल करने की भी क्या जरूरत है?

3. वैरायटी का ढेर और कमजोर सर्विस
पिछले एक दशक में मैकडोनाल्ड्स ने अपने मीनू में खाने की सौ वैरायटियां जोड़ी हैं. लेकिन इससे कस्टमर सर्विस पर उलटा असर पड़ा. लोगों को अपनी पसंद चुनने में ज्यादा समय लगने लगा. किचन ऑपरेशंस भी जटिल हो गए. ऑर्डर में गलतियां होने लगीं.
हो सकता है कि मैकडोनाल्ड्स अब अपने वैल्यू मील्स की संख्या घटाए और ऐसी सभी वैराटियां, जो अलग-अलग टॉपिंग्स के साथ रिपीट हो रही हैं.

4. कस्टमाइजेशन की कमी
अपने फूड ऑर्डर को कस्टमाइज करने का चलन दुनिया में तेजी से बढ़ रहा है. ऐसे में अब मैकडोनाल्ड्स को भी बदलाव करना पड़ रहा है. वह जल्दी ही मीनू में नई प्रीपरेशन टेबल लेकर आ रहा है, जिसमें कस्टमर अपने बर्गर को मनचाहे ढंग से बनवा सकेंगे. 2015 के आखिर तक यह सुविधा अमेरिका के 14 हजार में से दो हजार मैकडोनाल्ड्स रेस्त्रां में शुरू हो जाएगी. हालांकि, ऐसे ऑर्डर की डिलीवरी में थोड़ी देरी होगी लेकिन लोगों को ज्यादा संतोष रहेगा.  

5. ऊंची कीमतें
मैकडोनाल्ड्स के बारे में कहा जाता था कि यहां का मीनू अफोर्डेबल है. लेकिन हैप्पी मील के अलावा बाकी चीजें लोगों को महंगी लगने लगीं. भारत के हैप्पी मील की ही तरह अमेरिका में डॉलर मील काफी लोकप्रिय है. लेकिन कंपनी ने माना है कि उसका बाकी का मीनू आम लोगों के लिए महंगा हो गया है. जबकि अफोर्डेबल मील काफी रेस्त्रां में अच्छी क्वालिटी के साथ उपलब्ध कराया जा रहा है.

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लेखक

धीरेंद्र राय धीरेंद्र राय @dhirendra.rai01

लेखक ichowk.in के संपादक हैं.

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