पीयूष बबेले
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लेखक इंडिया टुडे में विशेष संवाददाता हैं.
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राष्ट्रवाद को आतंकवाद में पनाह लेने की मजबूरी कैसे आई
प्रज्ञा ठाकुर पर आतंकवादी बम विस्फोट में शामिल होने का आरोप न लगा होता, तो उन्होंने राष्ट्रनिर्माण का ऐसा कौन सा काम किया है, जिसके लिए वह खुद को राष्ट्रवादी कह रही हैं. आतंकवाद के आरोप से बरी हो जाना तो राष्ट्रवादी होने के लिए काफी नहीं माना जा सकता.सियासत | 4-मिनट में पढ़ें
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