
पारुल चंद्रा
parulchandraa
लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं
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एनडीटीवी के नाम एक खुला पत्र
एनडीटीवी इंडिया के प्रसारण पर चौबीस घंटे के प्रतिबंध के बाद कई सवाल उठ खड़े हुए हैं. भारतीय टीवी उद्योग और दर्शकों के प्रति एक समाचार चैनल की जिम्मेदारी को देखते हुए इन सवालों के जवाब आप से और उन सभी लोगों से अपेक्षित है, जो इस प्रतिबंध के खिलाफ या पक्ष में हो हल्ला मचा रहे हैं.समाज | 3-मिनट में पढ़ें