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Updated: 21 नवम्बर, 2016 04:37 PM
शुभम गुप्ता
शुभम गुप्ता
  @shubham.gupta.5667
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देश में हर वर्ष ही बड़े-बड़े रेल हादसे होते हैं जिसमें की लोगों की जान चली जाती है. कानपुर के पास हुए रेल हादसे में भी अब तक 142 लोगों की मौत हो चुकी है. सैकड़ों लोग अब भी घायल हैं. किसी के पापा नहीं रहे, किसी का भाई, तो किसी के पति मगर एक बार फिर कोई अगली खबर आएगी और हर कोई इस हादसे को भूल जाएगा.

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मगर ये कुछ ऐसी टेक्नोलॉजी है, जो अगर भारतीय रेल के पास हो तो इसे रोका जा सकता है- 

- यदि ट्रेनों को लिंक हाफ मैन बुश (एलएचबी) कोच से लैस कर दिया जाए तो इतना भयावह हादसा नहीं होगा. एलएचबी कोच एंटी टेलीस्कोपिक तकनीक पर आधारित होता है. इसका सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि ट्रेन की टक्कर या ट्रेन के पटरी से उतरने पर एक कोच दूसरे में नहीं घुसता. यानी कि दुर्घटना की स्थिति में पीछे वाला कोच आगे वाले कोच के ऊपर चला जाता है. इससे कम लोग दुर्घटना के शिकार होते हैं. लेकिन अभी भी इस तरह के कोच के इस्तेमाल में रेलवे काफी सुस्ती बरत रहा है.

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सांकेतिक फोटो

कानपुर में जो रेल हादसा हुआ उसमें अभी कारण सामने नहीं आया है कि हादसा क्यों हुआ. मगर क्या हम कभी  ऐसे रेल हादसों को रोक पाएगें? हालांकि, जर्मन तकनीक पर अब लिंक हॉफ मैन बुश (एलएचबी) कोच भारत में भी बनने लगा हैं, लेकिन इस तरह के कोच के निर्माण की गति काफी धीमी है. अभी तक इस तकनीक वाले 3800 कोच हैं. हमारे देश में बुलेट ट्रेन बनाने कि बातें की जा रही है मगर इस तरह के कोच बनाएं जाएं तो हादसों को रोका जा सकता है.

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इस तरह का एक एसी कोच बनाने के लिए 2-2.5 करोड़ रु. की लागत लगती है और स्लीपर बनाने के लिए 1.50 करोड़ रु. के आस पास का खर्च आता है. दुनिया में कई ऐसे देश हैं जो की सबसे तेज़ चलने वाली ट्रेन चलाते हैं. न सिर्फ वहां ट्रेनें चलती हैं बल्कि इतनी गति का बाद भी कभी हादसे नहीं होते. ये सब एक अच्छी प्लानिंग और अपने काम में लापरवाही ना करने का ही नतीजा है कि 490 किमा प्रति घंटे कि रफ्तार से चलने वाली ट्रेनों में भी कभी हादसा नहीं होता है. जापान, इटली, चीन, स्पेन जैसे देशों ने कई नई तकनीकी का इस्तेमाल करके न सिर्फ दुनियाभर में लोगों को चौंकाया है, बल्कि तेज गति में ट्रेन को सुरक्षित भी रखा है. शंघाई मैग्लेव और हार्मोनी सीआरएच 380ए ट्रेन ने अब तक सबसे अधिक तेज ट्रेन चलाने का रिकॉर्ड कायम किया है.

शंघाई मैग्लेव दुनिया की सबसे तेज़ चलने वाली ट्रेनों में से एक है. इस ट्रेन का कभी हादसा नहीं हुआ है. ऐसा इसलिए भी है क्योंकि ये ट्रेन एक चुंबकीय उत्तोलक पटरी पर चलती है. यानी कि आकर्षण ट्रेन और पटरी के बीच इतना मजबूत होता है कि ट्रेन का पटरी से खिसकना नामुमकिन सा हो जाता है. ये ट्रेन 400 किमी प्रति घंटे कि रफ्तार से चलती है. उम्मीद है कि भारत में भी ऐसी कोई तकनीक विकसित की जाएगी.

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शुभम गुप्ता शुभम गुप्ता @shubham.gupta.5667

लेखक आज तक में पत्रकार हैं.

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