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Updated: 15 दिसम्बर, 2016 05:07 PM
श्रुति दीक्षित
श्रुति दीक्षित
  @shruti.dixit.31
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डिमॉनिटाइजेशन के बाद से ही लोग या तो एटीएम में लगे हैं या फिर पेटीएम में. अब बात तो सही है. या तो कैश निकाल लो या फिर डिजिटल हो ही जाओ. अब अगर देश की जनता डिजिटल होगी तो चोरों को भी होना ही पड़ेगा. फिलहाल दो ऐसी रिपोर्ट्स सामने आई हैं जिनपर आपको ध्यान देना चाहिए.

पहली है एसोचैम (Assocham-The Associated Chambers of Commerce and Industry of India) और एक रिसर्च फर्म EY की रिपोर्ट जिसके हिसाब से अब भारत में 60 से 65 प्रतिशत तक मोबाइल फ्रॉड बढ़ जाएगा. 'स्ट्रैटेजिक नेशनल मेजर्स टू कॉम्बैट साइबरक्राइम' नाम की इस रिपोर्ट के अनुसार 40-45 प्रतिशत फाइनेंशियल कंपनियों का यही कहना है. इसी के साथ, क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड और नेटबैंकिंग फ्रॉड भी बढ़ेंगे.

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 नई रिपोर्ट के हिसाब से अब भारत में 60 से 65 प्रतिशत तक मोबाइल फ्रॉड बढ़ जाएगा.

दूसरी रिपोर्ट है अमेरिकी सेमिकंडक्टर और टेलिकम्युनिकेशन कंपनी क्वालकॉम की. इस रिपोर्ट के हिसाब से भारत में एक भी मोबाइल पेमेंट एप पूरी तरह सुरक्षित नहीं हैं. इस रिपोर्ट के अनुसार मोबाइल बैंकिंग एप्स और ईवॉलेट्स हार्डवेयर सिक्योरिटी का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं जो एप्स को ज्यादा सुरक्षित बनाता है.

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ये दोनों रिपोर्ट्स नोटबंदी के बाद आई हैं और दोनों को देखकर ये साफ होता है कि भारत में अभी तक मोबाइल पेमेंट एप्स ही इतने सुरक्षित नहीं हुए हैं जितने कैशलेस इंडिया के लिए चाहिए, लेकिन हां चोर हमेशा से दो कदम आगे थे और रिपोर्ट्स दो देखा जाए तो ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि आगे भी रहेंगे. तो आखिर क्या-क्या हो सकता है आपके फोन और पैसे के साथ चलिए देखते हैं.

कितने तरह के होते हैं मोबाइल फोन स्कैम-

सब्सक्राइबर फ्रॉड-

ये फ्रॉड तब होता है जब किसी हैकर के पास आपकी पर्सनल जानकारी आ जाती है और आपके ही नाम और बैंक अकाउंट डिटेल्स से अलग मोबाइल फोन अकाउंट चलाया जाता है. यूजर को इस तरह के फ्रॉड का पता तब तक नहीं चल पाता जब तक बिल ना आए.

क्लोनिंग-

ये क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड और मोबाइल फोन किसी के साथ भी हो सकता है. ऐसे में कोई भी डेटा, फोन कॉल या फोन बैंकिंग और डिजिटल पेमेंट का बिल आपके फोन बिल में आएगा. 2009 से 2012 तक भारत में 1300 क्लोनिंग के केस हो चुके थे. तो अब अंदाजा लगाइए कि ये कैशलेस इंडिया में कितने बढ़ेंगे.

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 किसी भी बैंक से जुड़े मैसेज या ईमेल में अपनी जानकारी ना दें.

टेक्स्ट स्कैम-

ये वो स्कैम होते हैं जिनमें आपके पास एक ऐसा टेक्स्ट मैसेज आता है जो किसी बैंक द्वारा आया हुआ लगता है और अगर आप कोई कॉल या मैसेज उस नंबर पर करते हैं तो आपके नाम 100 रुपए से लेकर 1000 रुपए तक का बिल फट सकता है.

वन रिंग स्कैम-

अक्सर ऐसे में हैकर्स एक रिंग करते हैं और मिस कॉल देने के बाद अगर आप ऐसे किसी नंबर पर कॉल बैक करते हैं तो पर्सनल जानकारी लीक होने से लेकर 19.56 डॉलर (1325.87 रुपए) प्रति सेकंड तक का चार्ज लग सकता है.

फॉल्स पेमेंट-

ये अक्सर ईवॉलेट के साथ देखा गया है. इस तरह के स्कैम में आपकी पर्सनल जानकारी लेकर हैकर्स आपके ही ईवॉलेट से पैसे साफ कर देते हैं. नोटबंदी के बाद इस तरह के स्कैम को कई कांड पकड़े गए हैं. दुर्गापुर का है जहां दो ईवॉलेट फ्रॉड गैंग पकड़ी गई हैं. ये गैंग लाखों का फ्रॉड कर चुकी थी.

इसके अलावा, भी कई तरह के स्कैम होते हैं, लेकिन ये सबसे आम हैं जो भारत में आपके साथ भी हो सकते हैं. ऐसे में क्या किया जाए जिससे नोटबंदी और कैशलेस के बीच भी आप सही तरीके से अपना काम कर पाएं. आपको कुछ सावधानियां रखनी होंगी जिनसे आपके पैसे सुरक्षित रहें.

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क्या करें-

- किसी भी बैंक से जुड़े मैसेज या ईमेल में अपनी जानकारी ना दें. अगर कोई जरूरी काम है तो नेटबैंकिंग के जरिए करें. ना की किसी मैसेज के जरिए.- सिस्टम अपडेट्स पर ध्यान रखें. अगर आपके फोन का अपडेट आ गया है तो उसे फौरन डाउनलोड करें. हर अपडेट में फोन की सिक्योरिटी से जुड़ी नई सेटिंग्स आती हैं. - पिन और पासवर्ड का इस्तेमाल हमेशा करें. - किसी भी कॉल या अननोन नंबर पर रिस्पॉन्ड करने से पहले ध्यान दें कि कहीं ये स्कैम तो नहीं. सही होगा अगर आप ट्रूकॉलर जैसे किसी एप से नंबर जांच लें.

लेखक

श्रुति दीक्षित श्रुति दीक्षित @shruti.dixit.31

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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