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Updated: 11 अप्रिल, 2017 02:45 PM
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इसी साल जनवरी में जब विवादित इतालवी न्यूरोसर्जन सर्जियो कैनावेरो ने इस बात का खुलासा किया कि उन्होंने और उनकी टीम ने एक बंदर पर हेड ट्रांसप्लांट का सफल प्रयोग किया है, तो बहस छिड़ गई. बहस नैतिकता की और इसे लेकर भी कि क्या सच में ऐसा संभव है. लेकिन सर्जियो एक कदम आगे बढ़ते हुए यह दावा भी कर गए कि 2017 में इंसानों पर भी इसे सफलतापूर्वक आजमाया जा सकेगा.

सर्जियो ने उस शख्स को भी खोज लिया है जिस पर वह यह बड़ा प्रयोग करेंगे. वह शख्स होंगे रूस के वालेरी स्प्रीरीनोव. सर्जियो इस बड़े ऑपरेशन के लिए फंड जुटाने की अपील कर रहे हैं और कहा है कि वह मार्क जकरबर्ग से भी मदद की मांग करेंगे.

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वालेरी स्प्रीरीनोव पर हो सकता है पहला प्रयोग

वैज्ञानिकों ने सर्जियो के दावे को झूठा बताया!

कई लोगों और वैज्ञानिकों ने सर्जियो के दावे को लोकप्रिय होने के लिए महज एक स्टंट करार दिया. नैतिकता की दुहाई देते हुए भी कई वैज्ञानिकों ने इसकी आलोचना की. वैसे, विज्ञान के क्षेत्र में हर पल हो रहे नए अनुसंधानों के साथ-साथ ये बहस समानांतर रूप से चलती रहती है कि फलां खोज नैतिक तौर पर भी ठीक है या नहीं. एके-47 से लेकर न्यूक्लियर बम और आज ह्यूमन क्लोनिंग तक पर ये बहस निरंतर जारी है.

लेकिन सवाल है कि अगर सर्जियो का दावा सही है तो इसके मायने क्या हैं. और फिर नैतिकता की जो दुहाई दी जा रही है, उसमें कितना दम है. एक विवाद इसलिए भी है क्योंकि सर्जियो ने अपने प्रयोग को दूसरे वैज्ञानिकों और आलोचकों से साझा नहीं किया है. इसलिए संदेह भी है. वैसे उस बंदर की फोटो उनकी टीम ने जरूर जारी किए जिस पर ये प्रयोग हुआ.

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 वो बंदर जिस पर हुआ हेड ट्रांसप्लांट का प्रयोग

सर्जियो के अनुसार बंदर पर सफल प्रयोग चीन के हर्बिन मेडिकल यूनिवर्सिटी में किया गया. बंदर ऑपरेशन के बाद भी जिंदा रहा. लेकिन सर्जियो के मुताबिक ऑपरेशन के 20 घंटे बाद नैतिक कारणों से उसे मार भी दिया गया. एक विज्ञान पत्रिका 'न्यू साइंटिस्ट' से सर्जियो ने कहा कि लोगों को यह सोचना बंद कर देना चाहिए कि हेड ट्रांसप्लांट संभव नहीं है.

पहले भी हुए हैं हेड ट्रांसप्लांट को लेकर प्रयोग

हिंदू पौराणिक कथाओं की बात करें तो उसमें भगवान गणेश की कहानी हेड ट्रांसप्लांट का जिक्र करती नजर आती है. लेकिन हम यहां पौराणिक कथाओं की नहीं आज की बात नहीं कर रहे. माना जाता है कि हेड ट्रांसप्लांट को लेकर सबसे पहला बड़ा प्रयोग रोबर्ट जे व्हाइट ने 1970 में एक बंदर पर किया. ऑपरेशन के बाद शुरू में बंदर के स्वास्थ्य में अच्छा सुधार दिखा लेकिन 9 दिन बाद ही उसकी मौत हो गई. कारण बताया गया कि उसका शरीर नए सिर से तालमेल नहीं बैठा सका.

बहरहाल, विज्ञान है तो रोज नए प्रयोग भी होंगे और उसकी सार्थकता पर बहस भी. लेकिन जिस दिशा में हम बढ़ रहे है तो उससे तो उम्मीद यही जगती है कि कलयुग में भी 'गणपति' और 'हनुमान' का अवतार संभव हो सकेगा!

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