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Updated: 10 फरवरी, 2016 07:58 PM
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फ्री इंटरनेट. सुनने में ही घपला लग रहा था. फायदा कमाने के लिए बाजार में उतरी कोई भी कंपनी कोई सामान मुफ्त क्यों देगी. करोड़ों का इन्फ्रास्ट्रक्चर खड़ा करके मुफ्त सेवा देने में कुछ तो फायदा होगा. खैर फेसबुक के इस दावे की भारत में तो नहीं चली.

ट्राई ने नेट न्यूट्रलिटी की वकालत करते हुए फेसबुक का प्रस्ताव ठुकरा दिया. दरअसल, देश में मुफ्त इंटरनेट को लेकर कभी डिमांड या चर्चा थी ही नहीं. हां, इस बात पर जरूर जोर था कि दुनियाभर में असमान ढंग से इंटरनेट स्पीड मिले और किसी सर्विस प्रोवाइडर का कोई एकाधिकार न हो.

अभी हम 30 करोड़ से ज्यादा उपभोक्ताओं के साथ दुनिया के तीसरे सबसे बड़े इंटरनेट यूजर है. बहुत जल्द अमेरिका को पीछे छोड़ हम चीन के बाद नंबर दो देश बनने जा रहे हैं. अभी भी हमारा लक्ष्य देश की 80 फीसदी जनता तक इंटरनेट को पहुंचना है और इसे पूरा करने के लिए हमारी कोशिश नेट न्यूट्रलिटी के सिद्धांतो के तहत इंटरनेट को फ्री बनाए रखना है.

फेसबुक का फ्री इंटरनेट मॉडल फेसबुक ने मोबाइल और इटंरनेट ऑपरेटर के साथ साठगांठ कर देश के इंटरनेट यूजर को एक ऐसे मकड़जाल में फंसाने की कोशिश की जिसके चलते आने वाले दिनों में इंटरनेट के मुफ्त इस्तेमाल के नाम पर आपके सामने वही परोसा जाता, जिसके फेसबुक को पैसे मिले होते. यानी इंटरनेट सर्च के ऑप्शंस से लेकर विज्ञापन तक. फ्री बेसिक में यही फेसबुक और इंटरनेट ऑपरेटर कंपनियों का रेवेन्यू मॉडल था.

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इस देश में इंटरनेट मुफ्त है और फ्री वाईफाई चालू है यूरोप के एक छोटे से देश एस्टोनिया ने इंटरनेट को मुफ्त रखते हुए देश के लगभग सभी नागरिकों को इंटरनेट से जोड़ने का अजूबा कीर्तिमान बनाया है. खास बात यह है कि 1991 में रूस से आजाद होने के बाद इस देश ने अपनी चौपट अर्थव्यवस्था को तेजी से बढ़ाने और अपने नागरिकों को इस अर्थव्यवस्था से जोड़ने के लिए 1996 में अपना देशव्यापी कार्यक्रम शुरू किया और आज पूरे देश का प्रभावी डिजिटेलाइजेशन कर वह एक मिसाल बन चुका है.

यहां सभी कार पार्किंग का पेमेंट और टैक्स रिटर्न मोबाइल से करते हैं इस कार्यक्रम की शुरुआत के लिए एस्टोनिया सरकार ने साल 2000 तक देश के सभी स्कूलों को इंटरनेट कनेक्टिविटी देने का लक्ष्य रखा और उसे बखूबी पूरा किया. इस कोशिश के चलते आज एस्टोनिया में लगभग 80 फीसदी लोग इंटरनेट कनेक्टिविटी से जुड़े हुए हैं और इसमें से अधिकांश लोग मोबाइल के जरिए इंटरनेट सेवा ले रहे हैं. इसके अलावा देशभर में 3000 से अधिक फ्री-वाईफाई स्पॉट मौजूद हैं जिसमें कॉफी शॉप, हॉस्पिटल, रेस्टोरेंट, स्कूल, पेट्रोल पंप समेत सभी सरकारी दफ्तर शामिल हैं. ये डिजिटलाइजेशन की ही देन है कि 2007 में एस्टोनिया ने अपने आम चुनावों में ऑनलाइन वोट डालने की शुरुआत की. आज इस देश में 100 फीसदी लोग कार पार्किंग का भुगतान करने के लिए सभी मोबाइल पेमेंट का सहारा लेते है और लगभग 95 फीसदी लोग अपने मोबाइल से महज 5 मिनट में अपना इन्कम टैक्स रिटर्न फाइल कर देते हैं.

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एस्टोनिया के साथ-साथ चिली, नॉर्वे, नीदरलैंड, जापान समेत एक दर्जन देश इसी रणनीति के साथ देश में नेट न्यूट्रलिटी के सिद्धांत पर चलकर इंटरनेट को फ्री रखने और व्यापक बनाने में कामयाब हो रहे हैं. इन देशों में इंटरनेट पर न तो किसी तरह की कोई पाबंदी लगाई जाती है और सभी के लिए इंटरनेट सुविधा लेने के लिए एक राष्ट्रीय स्तर पर डिजिटल आईडी का प्रावधान भी किया जाता है.

लिहाजा, इन देशों की उपलब्धि देखते हुए एक बात साफ है कि भारत में भी डिजिटल इंडिया के सपने को साकार करने के लिए यह जरूरी है सबसे पहले देश के सभी स्कूलों को इंटरनेट से जोड़ा जाए. इसके बाद ही देश में टेक्नोलॉजी के प्रति जागरुकता को बढ़ाया जा सकता है और ज्यादा से ज्यादा लोगों को इस माध्यम से जोड़ा जा सकता है.

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