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Updated: 19 दिसम्बर, 2015 06:05 PM
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संसद का मौजूदा सत्र भले ही तमाम दूसरे कई कारणों के कारण हंगामे की भेंट चढ़ गया हो लेकिन मानसून सत्र में क्या हुआ, ये तो याद है! जब यहां लोग नींद की आगोश में होते थे तब लंदन, मोंटेनेगरो और पता नहीं कहां-कहां की खूबसूरत वादियों से ललित मोदी ट्वीट कर रहे होते थे और अगली सुबह हंगामा भारत में मच जाता. तब विरोध करने वालों के लिए अब ये मुद्दा कहां गया पता नहीं, लेकिन वही मोदी अब 'घरवापसी' की राह पर हैं. लेकिन इस बार कोई हंगामा नहीं बरपा.

ललित मोदी का नाम एक बार फिर इंडियन क्रिकेट के हलकों में तैरने लगा है. पिछले हफ्ते के नाटकीय घटनाक्रमों ने साफ कर दिया वह राजस्थान क्रिकेट बोर्ड (आरसीए) के अध्यक्ष बने रहेंगे. पिछले साल आरसीए चुनाव में मार्च में मोदी गुट को जीत मिली. बाद में बीजेपी नेता और प्रतिद्वंद्वी गुट के आमीन पठान ने मोदी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला दिया. अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग को लेकर पिछले कुछ महीनों में खूब ड्रामा हुआ. बात हाथापाई तक जा पहुंची. लेकिन फिर पठान को जाने क्या सूझी कि उन्होंने अविश्वास प्रस्ताव वापस ले कर मोदी की राह आसान कर दी. कहा जा रहा है कि इसके पीछे बड़ी भूमिका राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की है. भूमिका जिसकी भी हो लेकिन अब तय है कि मोदी कल अगर BCCI में भी नजर आए तो हैरानी नहीं होनी चाहिए.

BCCI में होगी मोदी की वापसी!

मोदी के अध्यक्ष चुने जाने के बाद पिछले साल मई से ही BCCI ने आरसीए को सस्पेंड कर रखा है. पिछले हफ्ते के घटनाक्रम के बाद भी यही बात सामने आई कि BCCI अपने पुराने रूख पर कायम रहेगा. लेकिन क्या वाकई ऐसा है. जवाब..शायद नहीं. देर-सबेर मोदी अब वापस आएंगे. हालात तो कम से कम यही इशारा कर रहे हैं. यह सही है कि 2010 में जब पहली बार आईपीएल में अनियमितता की बात सामने आई और ललित मोदी बर्खास्त हुए तब बीसीसीआई के प्रसिडेंट शशांक मनोहर ही थे. और संयोग देखिए, कि आज एक बार फिर BCCI की कमान शशांक मनोहर के ही हाथ में है.

लेकिन इससे अलग एक सच ये भी है कि मोदी की प्रतिद्वंद्वीता एन. श्रीनिवासन गुट से ज्यादा मुखर रही. क्योंकि IPL से बर्खास्त होने के बावजूद मोदी और शशांक मनोहर के बीच रिश्ते कायम रहने और ई-मेल की अदला-बदली की खबरें आती रही हैं. श्रीनिवासन गुट की पकड़ BCCI पर फिलहाल कमजोर हो चली है और इसलिए मोदी के लिए रास्ता साफ है. मोदी इस मौके को चूकना भी नहीं चाहेंगे. लेकिन BCCI और मोदी के सामने एक मुश्किल है. मोदी के लिए फिलहाल सबसे बड़ी अड़चन यही है वे भारत कैसे लौटेंगे और कब लौटेंगे. क्योंकि फिलहाल की परिस्थिति में ईडी की नोटिस उनके लिए गले की फांस है. इसलिए भारत आने में वह जल्दबाजी नहीं करेंगे यह भी तय है.

इस लिहाज से भी BCCI फिलहाल उन्हें मान्यता देने से बचने की कोशिश करेगा. लेकिन यकीन मानिए, इन सभी प्रक्रियाओं में बस समय का फेर है. मोदी के लिए अचानक आरसीए का रास्ता साफ होना एक संकेत है...कहानी इससे आगे भी जाएगी.

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