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Updated: 08 नवम्बर, 2015 06:41 PM
अभिषेक पाण्डेय
अभिषेक पाण्डेय
  @Abhishek.Journo
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रणजी ट्राफी खेलने वाली हर प्रमुख टीम के खिलाड़ी का सपना होता है कि वह भारतीय टीम का हिस्‍सा बन जाए. वसीम जाफर भी ऐसे ही एक खिलाड़ी हैं, जिन्‍होंने इस संघर्ष और इंतजार में रणजी ने दस हजार रन बना डाले.

रणजी ट्रॉफी में 10 हजार रन बनाने वाले पहले बल्‍लेबाज बन गए हैं वसीम जाफर. रणजी ट्रॉफी के 81 साल के इतिहास में जाफर ने वह कर दिखाया है जो सचिन तेंडुलकर, सुनील गावस्कर, राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण जैसे महान बल्लेबाज भी नहीं कर पाए. मगर अफसोस कि घरेलू क्रिकेट में इतने शानदार रिकॉर्ड के बावजूद भी जाफर को इंटरनेशनल क्रिकेट में खास सफलता और ज्यादा मौके दोनों ही नहीं मिले, आखिर क्यों जाफर सिर्फ घरेलू क्रिकेट के ही स्टार बनकर रह गए.

घरेलू क्रिकेट के सबसे बड़े स्टार हैं जाफर!

वसीम जाफर का घरेलू क्रिकेट का रिकॉर्ड इतना शानदार है कि न सिर्फ रणजी बल्कि दलीप (2545 रन) और ईरानी ट्रॉफी (1008) में भी सबसे ज्यादा रन बनाने का रिकॉर्ड जाफर के नाम ही दर्ज है. लेकिन उन्हें टीम इंडिया के लिए खेलने के काफी कम मौके मिले और वह महज 31 टेस्ट मैच ही खेल सके. उन्होंने अपने 31 टेस्ट मैचों में 5 शतकों और 11 अर्धशतकों की मदद से 1944 रन बनाए. लेकिन घरेलू क्रिकेट में उनकी तूती बोलती रही है. रणजी में उनके नाम 126 मैचों में 58.14 की औसत से 10 हजार रन दर्ज हैं, इनमें 35 शतक और 41 अर्धशतक शामिल हैं. आप सोच रहे होंगे कि सचिन ने रणजी में कितने रन बनाए हैं तो जान लीजिए कि सचिन ने रणजी में 4281 और वीवीएस लक्ष्मण ने 5764 रन बनाए हैं. जाफर ने 1996 में मुंबई के लिए रणजी में अपना डेब्यू किया था. भारत के लिए उन्हें वर्ष 2000 में टेस्ट क्रिकेट में डेब्यू करने का मौका मिला लेकिन वह खुद को साबित नहीं कर पाए और 2005 तक टीम से अंदर बाहर होते रहे. इसके बाद गौतम गंभीर के उदय ने जाफर के वापसी के दरवाजे बंद कर दिए.

घरेलू क्रिकेट स्टारों को अक्सर नहीं मिलता मौकाः

ऐसा नहीं है कि सिर्फ वसीम जाफर के साथ ही ऐसा हुआ है बल्कि घरेलू क्रिकेट के कई स्टार खिलाड़ियों को भारत के लिए खेलने का मौका ही नहीं मिल पाया. ऐसी ही कहानी कभी मुंबई के स्टार बल्लेबाज रहे अमोल मजूमदार की भी है जिन्हें कभी दूसरा सचिन कहा गया था. लेकिन रणजी के इतिहास में 9202 रनों के साथ सबसे ज्यादा रन बनाने वालों में दूसरे नंबर पर काबिज मजूमदार को इतने बेहतरीन घरेलू रिकॉर्ड के बावजूद टीम इंडिया के लिए एक भी मैच खेलने का मौका नहीं मिल सका. यही नहीं अगर आप रणजी के इतिहास में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले टॉप-10 बल्लेबाजों पर नजर डालें तो इनमें से ज्यादातर को ही भारत के लिए खेलने का मौका नहीं मिला. पहले नंबर पर काबिज जाफर ने 31 टेस्ट खेले, इसके बाद के बल्लेबाजों में अमोल मजूमदार (9202), मिथुन मन्हास (8197), ऋषिकेष कानितकर (8059), देवेंद्र बुंदेला (8010), अमरजीत केपी (7623), पंकज धरमाणी (7621), शितांशु कोटक (7607), रश्मि परिदा (7516) और अजय शर्मा (7438) में से सिर्फ कानिटकर (34 वनडे, 2 टेस्ट), अजय शर्मा (31 वनडे, 1 टेस्ट) और पंकज धरमाणी (1 वनडे) को ही भारत के लिए खेलने का मौका मिला, जबकि बाकी के बल्लेबाजों को उनके बेहतरीन रिकॉर्ड के बावजूद कभी टीम इंडिया के लिए खेलने का गौरव नहीं मिल सका.

बड़े नामों के आगे पिछड़ जाते हैं घरेलू सितारेः

कई बार महान खिलाड़ियों की मौजूदगी के कारण ही घरेलू क्रिकेट में अच्छा प्रदर्शन करने के बावजूद भी इन खिलाड़ियों को टीम इंडिया के लिए खेलने का मौका नहीं मिल पाता है. वसीम जाफर, अमोल मजूमदार, मिथुन मन्हास, ऋषिकेश कानिकतर जैसे शानदार बल्लेबाज उस युग में पैदा हुए जब सचिन, द्रविड़, लक्ष्मण, गांगुली और सहवाग जैसे बल्लेबाजों का युग था. इन महान खिलाड़ियों की मौजूदगी के आगे इन घरेलू स्टार्स की प्रतिभा चयनकर्ताओं की नजर में पहचान नहीं बना सकी. जब उन्हें कुछ मौके मिले भी तो वे खुद को साबित नहीं कर पाए. टॉप लेवल पर इतने महान खिलाड़ियों की मौजूदगी और जबर्दस्त प्रतिस्पर्धा के बीच एक बार टीम से बाहर होने के बाद वापसी करना लगभग असंभव हो जाता है. यही इन लोगों के साथ भी हुआ. इन्हें एक तो कम मौके मिले, जिसमें ये खुद को साबित नहीं कर पाए और एक बाहर टीम से बाहर होने के बाद ज्यादातर लोग कभी वापसी ही नहीं कर सके.

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लेखक

अभिषेक पाण्डेय अभिषेक पाण्डेय @abhishek.journo

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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