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Updated: 15 दिसम्बर, 2015 06:53 PM
अभिषेक पाण्डेय
अभिषेक पाण्डेय
  @Abhishek.Journo
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चेन्नई वाले निराश हैं. सुख, चैन, सुकून सब अपने साथ बहा ले जाने वाली बाढ़ के बाद अब आठ साल तक उनकी टीम को दुनिया की सबसे बड़ी टी20 लीग की बादशाहत दिलाते आए एमएस धोनी का साथ छूटने को लेकर. आठ साल बाद धोनी का चेन्नई की आईपीएल की टीम से नाता टूट गया है और उन्हें नई टीम पुणे ने खरीद लिया है. पुणे ने धोनी को 12.5 करोड़ रुपये में दो साल के लिए खरीदा है.

34 वर्षीय इस खिलाड़ी को इतनी बड़ी रकम मिलने से उन आलोचकों को करारा जवाब मिला है जो उन्हें बीते दौर का स्टार बताने लगे थे. एमएस धोनी को मिली इस भारीभरकम कीमत ने साबित कर दिया है कि आज भी वह टी20 लीग के सबसे बड़े सुपरस्टार हैं. हालांकि आईपीएल की दूसरी नई टीम राजकोट ने भी चेन्नई सुपरकिंग्स के एक और बेहतरीन खिलाड़ी सुरेश रैना को भी 12.5 करोड़ की ही कीमत में खरीदा है लेकिन ध्यान देने वाली बात ये है कि रैना महज 27 साल के हैं जबकि धोनी की उम्र 34 साल की हो चुकी है. ऐसे में लोगों के जेहन में ये सवाल बार-बार उठ रहा है कि क्या पुणे ने धोनी पर इतना बड़ा दांव लगाकर गलती की है? आखिर क्यों पुणे ने धोनी पर भरोसा जताया? आइए जानें.

धोनी नाम नहीं, ब्रैंड हैं:

महेंद्र सिंह धोनी की सफलता की कहानी किसी परीकथा सरीखी लगती है. रांची जैसे छोटे से शहर के लड़के का भारतीय क्रिकेट टीम का सबसे चमकदार सितारा बनने की कहानी हर भारतीय क्रिकेट फैंस को पता होगी. क्रिकेट के भगवान सचिन तेंडुलकर के बाद भारतीय क्रिकेट में धोनी से बड़ा दूसरा सितारा नहीं हुआ. अपनी प्रतिभा के बल पर वह रांची की सड़कों की बाइक से फोर्ब्स की सबसे ज्यादा कमाई करने वाले खिलाड़ियों की लिस्ट में पहुंच गए. उन्होंने दिखाया कि अगर आपमें हुनर है और अपने सपने को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करने की हिम्मत,तो आपको कामयाबी की बुलंदियां छूने से कोई नहीं रोक सकता है.

धोनी ने न सिर्फ क्रिकेट के मैदान में सफलता हासिल की बल्कि मैदान के बाहर एक ब्रैंड बनते चले गए. एक समय ऐसा भी आया कि हर बड़ी कंपनी उनके साथ जुड़ने को बेचैन हो उठी. वजह, हर किसी को पता था कि भारत में धोनी के नाम का दूसरा मतलब ही है सफलता. एक ऐसा नाम जिसने जबसे टीम इंडिया की कमान संभाली तब से कामयाबी की ऐसी दांस्तां लिखी जो पहले कभी नहीं लिखी गई थी. देखते ही देखते देश-विदेश के बड़े-बड़े ब्रैंड धोनी के नाम के साथ जुड़ते चले गए. एक समय तो उन्होंने ब्रैड्स एंडोर्समेंट में सचिन तेंडुलकर तक को पीछे छोड़ दिया. एक आम भारतीय लड़का इस देश का सबसे बड़ा ब्रैंड धोनी बन गया.

पुणे ने क्यों लगाया इतना बड़ा दांव?

पुणे ने धोनी को अगर दो साल पहले इतनी कीमत में खरीदा होता तो शायद सवाल नहीं उठते लेकिन खासकर पिछले एक साल में न सिर्फ धोनी ने टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कहा है बल्कि वनडे और टी-20 में भी उनकी कामयाबी का ग्राफ तेजी से गिरा है और विराट कोहली नाम का सितारा किसी भी समय उनसे छोटे फॉर्मेट्स की कप्तानी के लिए भी खतरा बन सकता है. ऐसे में क्या पुणे ने गलती की? तो जवाब है नहीं, महेंद्र सिंह धोनी के सितारे आज भले ही गर्दिश में हो लेकिन एक नई टी20 टीम के लिए वह बहुत ही महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं. वह अब भी टी20 क्रिकेट के कमाल के फिनिशर हैं.

चेन्नई की आईपीएल में सफलता का श्रेय एमएस धोनी को ही जाता है. पुणे को पता है कि एक नई टीम होने के नाते उन्हें एक ऐसे चेहरे और खिलाड़ी की जरूरत है जो उसे मैदान और मैदान के बाहर बाकी ताकतवर टीमों के मुकाबले एक ही झटके में खड़ा कर सके और इसके लिए धोनी से बेहतरीन शायद ही कोई और हो सकता है. इसलिए पुणे ने आईपीएल में अपनी सफलता की कमान एमएस धोनी के हाथों में देने का फैसला किया है. पुणे के मालिक संजीव गोयनका है जो सौरव गांगुली के साथ इंडियन सुपर लीग की फुटबॉल टीम एटलेटिको डि कोलकाता के सहमालिक भी हैं. गांगुली से बेहतर धोनी के बारे में भला और कौन जानता होगा. ऐसे में संजीव गोयनका के इस फैसले के पीछे गांगुली की सलाह भी हो सकती है.

हालांकि ऐसा नहीं है कि पुणे का यह दांव असफल नहीं हो सकता है लेकिन अगर एमएस धोनी पुणे के लिए असफल भी हुए तब भी धोनी नाम के ब्रैंड से पुणे आईपीएल की सबसे चहेती टीम साबित होगी!

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लेखक

अभिषेक पाण्डेय अभिषेक पाण्डेय @abhishek.journo

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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