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Updated: 03 फरवरी, 2016 07:59 PM
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सबसे पहले समझ लें 'मांकडिंग' क्या है? 1947 में सिडनी टेस्ट के दौरान भारतीय क्रिकेटर वीनू मांकड ने नॉन स्ट्राइकर ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज बिल ब्राउन को क्रीज के बाहर खड़ा देख बॉलिंग करने से पहले ही गिल्ली गिरा दी. ब्राउन रन आउट करार दिए गए, और इस तरह 'मांकडिंग' की शुरुआत हुई. हालांकि, इसे बेहद विवादास्पद माना गया.

अब मांकडिंग से जुड़े दो मामले देखते हैं. पहले बात 1987 की, वर्ल्ड कप में पाकिस्तान को वेस्टइंडीज के खिलाफ जीत के लिए आखिरी ओवर में 4 रन की जरूरत थी. गेंद वेस्टइंडीज के महान तेंज गेंदबाज कोर्टनी वॉल्श के हाथों में थी. इससे पहले की वॉल्श ओवर की पहली गेंद डालते उनके पास पाकिस्तान के बल्लेबाज सलीम जाफर को 'मांकडिंग' करके पाक टीम का आखिरी विकेट आउट लेन का मौका था. वाल्श ने ऐसा नहीं किया और पाकिस्तान ने यह मैच एक विकेट से जीतते हुए सेमीफाइनल में जगह बना ली और वेस्टइंडीज वर्ल्ड कप से बाहर हो गया.

अब आइए मांकडिंग के सबसे ताजा केस पर नजर डालते हैं. बांग्‍लादेश में खेले जा रहे अंडर-19 क्रिकेट वर्ल्‍ड कप में वेस्टइंडीज की टीम ने जिम्बाब्वे का आखिरी विकेट मांकडिंग से लेते हुए क्वॉर्टर फाइनल में जगह बना ली है. दो अलग-अलग अवसरों पर माकंडिंग की घटना में वेस्टइंडीज की ही टीम थी लेकिन टीम के व्यवहार में जमीन-आसमान का अंतर था. शायद क्रिकेट अब स्पोर्ट्समैन स्प्रिट के साथ खेला जाने वाला खेल न रहकर बहुत प्रोफेशनल हो गया है. कम से कम वेस्टइंडीज की युवा टीम ने तो यही साबित किया.

भले ही वेस्टइंडीज की टीम यह मैच जीत गई हो लेकिन वह खेल भावना का मैच निश्चित तौर पर हार गई. इस जीत के बाद इस खेल के कई महान खिलाड़ियों ने वेस्टइंडीज की इस जीत को खेल भावना के खिलाफ बताते हुए उसकी कड़ी आलोचना की. फैंस भी वेस्ट इंडीज टीम के इस व्यवहार से हैरान रह गए और ज्यादातर का मत था कि वेस्टइंडीज द्वारा ऐसी जीत हासिल करने का तरीका बिल्कुल सही नहीं था.

क्यों हुआ वेस्टइंडीज की जीत पर विवादः ढाका में खेले जा रहे अंडर-19 वर्ल्ड कप में जिम्बाब्वे और वेस्टइंडीज के बीच एक बेहद अहम मुकाबला खेला गया. 226 रन के टारगेट जवाब में अपने 9 विकेट गंवा चुकी जिम्बाब्वे की टीम को आखिरी ओवर में जीत के लिए 3 रन चाहिए थे. वेस्टइंडीज के गेंदबाज कीमो पॉल ने ओवर शुरू किया लेकिन गेंद फेंकन के बजाय नॉन स्ट्राइकिंग विकेट की गिल्लियां बिखेर दीं क्योंकि सिंगल चुराने की फिराक में जिम्बाब्वे के बल्लेबाज नॉन स्ट्राइकिंग बल्लेबाज रिचर्ड एनगारवा अपनी क्रीज से बाहर निकल चुके थे.

वेस्टइंडीज की टीम ने मांकडिंग की अपील की तो अंपायर ने उनसे पूछा कि क्यों वे अपील के साथ आगे बढ़ना चाहते हैं. वेस्टइंडीज द्वार सहमति जताने पर मामला थर्ड अंपायर के पास पहुंचा और बल्लेबाज को आउट करार दिया गया. इस तरह विंडीज टीम मैच 2 रन से जीतकर क्वॉर्टर फाइनल में पहुंच गई और जिम्बाब्वे बाहर हो गया. वेस्टइंडीज द्वार इस तरह से जीत हासिल करने पर विवाद खड़ा हो गया.  

क्या वेस्टइंडीज ने सही किया? इस सवाल के जवाब में दिग्गजों की राय बंटी हुई है. वैसे तो 1947 के बाद भी क्रिकेट में कई बार मांकडिंग आउट करने की घटनाएं हुई हैं. लेकिन यह पहली बार है जब अंडर-19 के मैच में किसी टीम ने इसका सहारा लिया है. दुनिया के तमाम दिग्गज क्रिकेटरों ने विंडीज टीम द्वार ऐसी जीत हासिल करने को शर्मनाक बताया.

हालांकि विंडीज टीम के कप्तान शिमरोन हिटमेयर ने अपनी टीम के फैसले का बचाव करते हुए कहा, ‘क्रिकेट अनिश्चि‍तताओं का खेल है, हमने पहले भी क्रिकेट में इसे होते हुए देखा है, यह हमारे लिए बड़ा मुद्दा नहीं है.’ जबकि जिम्बाब्वे के कोच स्टीफन मैंगोंगो ने कहा, ‘जिस तरह से मैच खत्म हुआ उससे मैं निराश हूं, मैंने इसके बारे में ड्रेसिंग रूम में खिलाड़ियों को जानकारी दी, वे सभी रो रहे थे.’

क्रिकेट के नियमों के हिसाब से वेस्टइंडीज की जीत पर कोई सवाल नही उठा सकता. लेकिन सवाल तो ये है कि क्या ये खेल भावना के हिसाब से सही था. जवाब वेस्टइंडीज के कप्तान शिमरोन ने खुद दिया, ‘शायद नहीं.’

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