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Updated: 13 जून, 2016 12:12 PM
अभिजीत पाठक
अभिजीत पाठक
  @abhijit95
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207 देश, 28 खेल और दुनिया भर के दमदार एथलीथों का जमावड़ा. निश्चित तौर पर 5 अगस्त से ब्राजील के रियो डी जनेरियों में शुरू हो रहे ओलंपिक खेलों में इन सबका समन्वय देखने लायक होगा. तमाम खेलों के बीच सबसे दिलचस्प और रोमांचक होता है 100 मीटर की रेस. ओलंपिक की इस सबसे छोटी रेस की बड़ी जीत पर दुनिया भर के लोगों की निगाहें जमी रहती है. जाहिर है, इस बार भी सबकी नजरें इस ओर होंगी. लगातार दो बार से चौंपियन उसेन बोल्ट का जादू क्या इस बार भी चलेगा या बाजी जस्टिन गैटलिन के नाम होगी? रियो ओलंपिक में आखिर किसे मिलेगी ये सफलता आइये करते हैं आंकलन...

ओलंपिक में 100 मीटर की रेस के लिए पांच सबसे बड़े दावेदार कौन हो सकते हैं, इसका अभी से ठीक-ठीक आंकलन कर पाना बहुत मुश्किल है. लेकिन अगर हाल के रिकॉर्ड्स पर नजर फेरा जाय तो कई ऐसे नाम सामने आते हैं, जो गोल्ड मेडल के अहम दावेदार हैं. लेकिन सबसे पहले बात मौजूदा चैंपियन उसेन बोल्टी की.

उसेन बोल्ट- जमैका का यह धावक एक बार फिर गोल्ड मेडल का सबसे बड़ा दावेदार है. मौजूद दौर में बोल्ट दुनिया के सबसे तेज धावक हैं. 100 मीटर की रेस का विश्वरिकॉर्ड उनके ही नाम है. बोल्ट ने तब 2009 में बर्लिन वर्ल्ड चैम्पियनशिप में केवल 9.58 सेकेंड में दौड़ पूरी कर तहलका मचा दिया था.

अगर बात की जाय उसेन के पिछले कुछ रिकॉर्ड की तो, वे भी कम दिलचस्प नहीं है.

- बोल्ट 11 बार विश्व विजेता बन चुके है.

- ओलंपिक खेलों में बोल्ट के नाम 6 गोल्ड मेडल दर्ज हैं.

- बीजिंग ओलंपिक 2008 में 100 मीटर की रेस में बोल्ट ने 9.69 सेकेंड का रिकॉर्ड समय लेते हुए गोल्ड मेडल हासिल किया था. एक साल बाद बर्लिन में अपने इसी रिकॉर्ड को तोड़ते हुए बोल्ट ने नया कीर्तिमान कायम किया था.

- लंदन ओलंपिक (2012) में भी इन्होंने 100 मीटर की रेस को 9.58 सेकंड लेकर गोल्ड हासिल किया था.

जस्टिन गैटलिन- अमेरिकी धावक गैटलिन रियो ओलंपिक में गोल्ड मेडल के दूसरे सबसे बड़े दावेदार माने जा रहे हैं. दूसरे शब्दों में कहें तो बोल्ट के लिए सबसे बड़ी चुनौती. गैटलिन को लंदन ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल से संतोष करना पड़ा था. बहरहाल, 2004 के एथेंस ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने वाले गैटलिन का हालिया प्रदर्शन भी बेहतरीन रहा है और वे कई बार बोल्ट को सीधे-सीधे चुनौती देते नजर आए. उदाहरण के तौर पर पिछले साल बीजिंग में हुए एथलेटिक्स वर्ल्ड चैंपियनशिप को ही ले लीजिए. इस चैंपियनशिप के 100 मीटर वर्ग में गैटलिन केवल 0.01 सेकेंड से बोल्ट से पीछे रह गए थे और दूसरे स्थान पर रहे. गैटलिन इसी चैंपियनशिप के 200 मीटर वर्ग में भी बोल्ट से पीछे रह गए थे.

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 रियो ओलंपिक में किसका चलेगा जादू? (फाइल फोटो)

वैसे, 2013 में इटली में हुए गोल्डेन गाला मीट की कहानी अलग है. तब गैटलिन ओलंपिक चैंपियन बोल्ट पर भारी पड़े थे. कुल मिलाकर देखा जाए, तो ज्यादातर मौकों पर ये दोनों ही एक-दूसरे को टक्कर देते नजर आए हैं. लेकिन ज्यादातर बार बाजी बोल्ट के खाते में ही गई है. वैसे, गैटलिन का विवादों से भी पुराना नाता रहा है. अपने करियर में वे दो बार डोपिंग के कारण बैन हो चुके हैं.

योहॉन ब्लेैक- साल- 2011 में दक्षिण कोरिया में हुए वर्ल्ड चैंपियनशिप में सबसे कम उम्र में 100 मीटर का गोल्ड मेडल जीतकर सनसनी मचा चुके जमैका के योहान पर भी पूरी दुनिया की निगाहें हैं. योहान ने जब दक्षिण कोरिया में इतिहास रचा था, तब उनकी उम्र केवल 21 साल 245 दिन थी. उनसे पहले ये रिकॉर्ड अमेरिका के दिग्गज धावक रहे कार्ल लुइस (22 साल 38 दिन) के नाम था. यही नहीं, लंदन ओलंपिक में योहान हमवतन बोल्ट के बाद दूसरे स्थान पर रहे थे. बोल्ट के बाद योहान दुनिया के दूसरे सबसे तेज धावक भी हैं. 2012 में उन्होंने लुसान में हुए डायमंड लीग में 100 मीटर की दौड़ केवल 9.69 सेकेंड का समय लेकर पूरी की थी.

हालांकि, पिछले दो-तीन वर्षों में ब्लैक चोट से भी काफी प्रभावित रहे हैं और यही उनके ओलंपिक मिशन में सबसे बड़ी बाधा बन सकता है. ब्लैक, चोट के कारण 2013 के मॉस्को वर्ल्ड चैंपियनशिप में हिस्सा नहीं ले सके थे. इसके बाद 2014 में भी ग्लास्गो ग्रैंड प्रिक्स में 100 मीटर रेस के दौरान उन्हें बीच में ही ट्रैक छोड़ना पड़ा था.

टाइसन गे- अमेरिका के गे भी योहान ब्लैक के साथ दुनिया के दूसके सबसे तेज धावक हैं. वह 2009 में ही शंघाई गोल्डन ग्रैंड प्रिक्स में 9.69 सेकेंड का समय लेकर दुनिया के दूसरे सबसे तेज धावक बन गए थे. 2012 के ओलंपिक में वह चौथे स्थान रहते हुए मेडल से चूक गए थे. इसके कुछ महीनों बाद उन पर डोपिंग का दोष साबित हुआ और वह प्रतिबंधित कर दिए गए. पिछले साल ही उन्होंने ट्रैक पर वापसी की. हाल के वर्षों में उनका प्रदर्शन बहुत उत्साहजनक तो नहीं है लेकिन फिर भी उन्हें हल्के में लेना भूल होगी. साल-2015 के वर्ल्ड एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में 100 मीटर के फाइनल में वह छठे स्थान पर रहे थे.

फेमी ऑग्यूनोड- मूल रूप से नाइजीरिया के लेकिन अंतराष्ट्रीय स्तर पर कतर का प्रतिनिधित्व करने वाले ऑग्यूनोड एशियन एथलेटिक्स का एक बड़ा चेहरा हैं. उनके नाम ओलंपिक का कोई मेडल तो नहीं है लेकिन 9.91 सेकंड मे 100 मीटर की दूरी तय कर सबसे तेज एशियाई धावक बनने का कीर्तिमान उन्ही के नाम है. 2010 और 2014 के एशियन गेम्स का 200 और 400 मीटर डबल का गोल्ड मेडल इन्हीं के नाम है. पिछले साल उन्हें एशिया का एथलीट ऑफ द ईयर चुना गया.

जिम्मी विकौट- ओलंपिक में फ्रांस की तरफदारी करने वाला एक ऐसा धावक जिसपर फ्रांस को काफी भरोसा है. जिमी ने अपना लोहा पिछले ही साल मनवाया जब पेरिस में हुए इवेंट में 9.86 सेकेंड में 100 मीटर की दौड़ पूरी कर उन्होंने यूरोपियन रिकॉर्ड की बराबरी की थी. यूरोप के सबसे तेज धावक के तौर पर पुर्तगाल के फ्रांसिस ओबिक्वेलू का नाम दर्ज है. उन्होंने 2004 एथेंस ओलंपिक में 9.86 सेकेंड का ही समय लेते हुए दौड़ पूरी की थी. जिम्मी की खास बात ये है कि उन्होंने इस साल भी फ्रांस में प्रो एथलीट टूर में उस रिकॉर्ड की एक बार फिर बराबरी की. विकौट के नाम इस साल सबसे तेज (9.86 सेकेंड) 100 मीटर की रेस पूरी करने का रिकॉर्ड है.

लेखक

अभिजीत पाठक अभिजीत पाठक @abhijit95

लेखक पत्रकार और ब्लॉगर हैं

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