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Updated: 14 जून, 2016 03:04 PM
गगन सेठी
गगन सेठी
  @sethigag
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हरारे के 11 डिग्री के तापमान में टीम इंडिया के 11 खिलाड़ियों ने दुनिया की 11 नंबर की टीम से बिना पसीना बहाए ही सीरीज जीत ली. ऐसा नहीं था कि पसीना मौसम की वजह से नहीं बह रहा था. वजह थी जिम्बाब्वे की कमजोर टीम, बेहद कमजोर. इतनी कमजोर कि आप शायद उसके एक स्टार खिलाड़ी तक का नाम नहीं बता पाएंगे.

आप कुछ साल पहले के जिम्बाब्वे के स्टार खिलाड़ियों के नाम याद करें तो उनमें हीथ स्ट्रीक और ताइबू जैसे नाम जरूर शामिल होंगे. लेकिन आजकल स्ट्रीक ब्रॉडकॉस्टिंग चैनल के गेस्ट पैनल में हैं जबकि ताइबू चीफ सेलेक्टर. तो फिर जिम्बाब्वे की टीम में आज की तारीख में खेल कौन रहा है. यही जिम्बाब्वे की क्रिकेट की बदकिस्मती है कि वो हाल के सालों में सिर्फ और सिर्फ कमजोर ही होता रहा है. कहने को सीरीज़ में अभी 1 वनडे बाकी है लेकिन उसमें भी जिम्बाब्वे की टीम कोई जंग लड़ पाएगी, अनुमान लगाना मुश्किल है.

दूसरे वनडे में भी ना तो स्कोर बोर्ड पर खुद रन लगाने की जिम्बाब्वे ने हिम्मत दिखाई है, ना स्कोर बोर्ड पर टीम इंडिया के रन रोकने की. हरारे में दूसरे वनडे में हालात तो ये थे कि 40 रन पूरे होते-होते भारतीय गेंदबाज उनके तीन शिकार कर चुके थे. जैसी उम्मीद थी, जिम्बाब्वे की टीम वैसा ही खेली भी. टीम इंडिया का सामना करने की हिम्मत उसने दूसरे वनडे में भी नहीं दिखाई और सीरीज एक मैच बाकी रहते ही भारत की झोली में आ गई. हरारे में दूसरा मुकाबला उसने 8 विकेट से अपने नाम किया.

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जिम्बाब्वे दौरे पर केएल राहुल (दाएं) और करुण नायर जैसे युवा बल्लेबाजों ने अच्छा प्रदर्शन किया है

लेकिन, इसका मतलब ये कतई नहीं कि 11 नंबर की टीम के खिलाफ इस जीत के कोई मायने ही नहीं हैं. क्योंकि जीत तो आखिर जीत होती है. सीरीज़ जीत इतनी आसान होती तो टीम इंडिया को ये हासिल करने के लिए करीब 2 साल तक इंतजार ना करना पड़ता.

टीम इंडिया ने अक्टूबर 2014 के बाद पहली बार कोई वनडे सीरीज जीती है. जबकि विदेशी जमीन पर सितंबर 2014 के बाद उसकी झोली में पहली सीरीज आई है. तब भारत ने इंग्लैंड को 3-1 से हराया था. बतौर कप्तान धोनी के लिए भी ये सीरीज जीत राहत लेकर आई होगी क्योंकि टेस्ट से संन्यास लेने के बाद वो एक भी वनडे सीरीज जीत नहीं पाए थे.

वैसे भी सीरीज के नतीजे पर शक ना तो पहले किसी को था, ना आज रहा होगा. दिलचस्प था तो ये देखना कि नए खिलाड़ियों से कौन मौका भुनाता है और कौन नहीं. राहत की बात ये भी है कि ज्यादातर ने मौका भुनाने की ईमानदार कोशिश की है. पहले वनडे में जसप्रीत बुमराह ने चार शिकार किए तो दूसरे वनडे में युजवेंद्र चहल ने तीन विकेट झटक डाले.

ये भारत की सधी हुई गेंदबाजी ही थी कि जिम्बाब्वे भारत के खिलाफ दूसरे वनडे में दूसरे सबसे कम स्कोर पर पविलियन लौट गया. उसके आखिरी 6 विकेट तो मुश्किल से 20 रन ही जोड़ सके. जिम्बाब्वे की कमजोर टीम का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अपने घर में ही खेली गई 11 सीरीज में से 2 ही उसके नाम रही हैं.

लेखक

गगन सेठी गगन सेठी @sethigag

लेखक आज तक में पत्रकार हैं.

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