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Updated: 10 जुलाई, 2021 01:02 PM
मुकेश कुमार गजेंद्र
मुकेश कुमार गजेंद्र
  @mukesh.k.gajendra
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हिंदुस्तान में क्रिकेट महज खेल नहीं मजहब की तरह है. क्रिकेट के दीवाने अपने पसंदीदा क्रिकेटरों को ईश्वर की तरह पूजते हैं. मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर को क्रिकेट का भगवान कहा जाता है, जिनके नाम अनेकों ऐसे रिकॉर्ड हैं, जिन्हें आज तक कोई तोड़ नहीं पाया है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि सचिन तेंदुलकर किस क्रिकेटर को अपना आदर्श मानते हैं? जी हां, महान क्रिकेटर सुनील गावस्कर उनके आदर्श हैं, जिनके पदचिन्हों पर चलकर सचिन तेंदुलकर ने अपना मुकाम हासिल किया. 10 जुलाई 1949 को मुंबई में पैदा हुए इस लीजेंड क्रिकेटर का आज 72वां जन्मदिन है.

'बड़ा हुआ तो क्‍या हुआ जैसे पेड़ खजूर, पंथी को छाया नहीं फल लागे अति दूर'...कबीर का एक प्रसिद्ध दोहा तो आपने जरूर सुना होगा. कुछ लोग छोटे कद के लोगों को हीन भावना से देखते हैं, लेकिन उन्हें नहीं पता कि कद काबिलियत, समझदारी और बौद्धिकता मापने का पैमाना नहीं है. सरल शब्दों में कहें तो छोटे होने का मतलब ये नहीं है कि काम में भी छोटे हैं. सुनील गावस्कर इसकी जीती जागती मिसाल हैं, जिन्होंने टेस्ट क्रिकेट में सबसे पहले 10 हजार रन और 34 शतक बनाए हैं. उनकी बल्लेबाजी औसत 51.12 की रही है. उनके शतकों का रिकॉर्ड सचिन तेंदुलकर ने तोड़ा था.

भारतीय क्रिकेट के सफलतम क्रिकेटरों में शुमार सुनील गावस्कर की सफलता के 5 सूत्र इस प्रकार हैं...

1_650_070921113345.jpgमहान क्रिकेटर सुनील गावस्कर की सफलता हमें जीवन में आगे बढ़ने की सीख देती है.

1. संयम

कहा जाता है कि धन हिम्मत, योग्यता, विद्वता और दृढ़ता से बढ़ता है, चतुराई से फलता-फूलता है, लेकिन 'संयम' से सुरक्षित रहता है. संयम के बिना व्यक्ति अपने मन का गुलाम हो जाता है. इसलिए जीवन में संयम बहुत जरूरी है. सुनील गावस्कर से संयम की सीख लेने लायक है. क्रिकेट की पिच पर टिक कर खेलने में माहिर रहे गावस्कर के संयम की कायल पूरी दुनिया रही है. यही वजह है कि खेल के मैदान में उन्होंने जैसा सोचा लगभग वैसा ही प्रदर्शन किया. एक बार तो पिच पर ऐसे डटे कि आउट ही नहीं हुए. विरोधी टीम के गेंदबाजों ने हर रणनीति अपना ली, लेकिन उनको पवेलियन नहीं भेज पाई.

साल 1975 में वर्ल्ड कप के दौरान इंग्लैंड के खिलाफ खेले गए इस मैच में उन्होंने 60 ओवर में 174 बॉल का सामना करते हुए महज 34 रन ही बनाए थे, लेकिन आउट नहीं हुए. गावस्कर ने संयमित होकर ऐसा खेल खेला कि कई सारे रिकॉर्ड अपने नाम कर लिए. उनके नाम अपनी डेब्यू सीरीज में सबसे ज्यादा रन बनाने का रिकॉर्ड है. साल 1970-71 के वेस्टइंडीज दौरे के दौरान उन्होंने 774 रन बनाए थे. उनके नाम सबसे ज्यादा 34 शतकों का रिकॉर्ड भी था, जिसे मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ने साल 2005 में तोड़ा था. टेस्ट क्रिकेट में 10 हजार रन बनाने वाले पहले खिलाड़ी गावस्कर ही थे, वो भी पाकिस्तान के खिलाफ यह रिकॉर्ड बना था.

2. साहस

महज 5 फिट 5 इंच लंबे सुनील गावस्कर के अंदर समंदर जितना साहस है. एक जमाना था जब वेस्टइंडीज के लंबे-लंबे तेजतर्रार सुपरफास्ट बॉलर्स के आगे लोग हेलमेट पहनकर भी खेलने से घबराते थे, उन्हें सुनील गावस्कर ने बिना हेलमेट के खेलकर लोगों को हैरान कर दिया था. इतना ही नहीं गावस्कर ने वेस्टइंडीज के खिलाफ कुल 27 टेस्ट खेलते हुए 13 शतक बनाए, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है और आज भी कायम है. उऩको मानसिक रूप से बहुत मजबूत खिलाड़ी माना जाता है.

पद्मश्री से सम्मानित मशहूर क्रिकेट कमेंटेटर सुशील दोशी ने एक किस्सा बताया था, 'साल 1983 में गयाना टेस्ट मैच में मार्शल की एक गेंद सीधे गावस्कर के माथे पर लगी और टकराकर काफी दूर मिड ऑफ पर चली गई. यह संकेत था कि चोट काफी घातक थी. उस वक्त वो 49 रनों पर खेल रहे थे. उनके साथी खिलाड़ी किरण मोरे सकपकाते हुए उनके पास आए. उनसे पूछा कि खैरियत तो है? पानी वगैरह चाहिए क्या? लेकिन गावस्कर ने उन्हें तुरंत भगाते हुए कहा कि उन्हें कुछ नहीं हुआ. इससे पता चलता है कि बगैर हेलमेट के इतनी भयंकर गेंद को झेलने वाला खिलाड़ी केवल शरीर से ही नहीं, जज्बे से भी कितना हिम्मती है. इसके बाद वो न केवल मैदान में डटे रहे, बल्कि बगैर आउट हुए 147 रन भी बनाए. इसीलिए उन्हें आज भी सर्वकालिक सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज कहा जाता है.'

3. स्वाध्याय

जीवन में सफलता प्राप्त करने और कुछ अलग करने के लिए किताब एक बहुत ही महत्वपूर्ण साधन है. किताबों से मिला ज्ञान जीवन में आत्मनिर्भर बनाता है. जीवन को बेहतर बनाता है. एक अच्छा जीवन जीने में मदद करता है. सुनील गावस्कर को क्रिकेट खेलने के बाद किताबें पढ़ना बहुत पसंद है. वो खेल खासकर क्रिकेट और इतिहास से जुड़ी पुस्तकें पढ़ना बहुत पसंद करते हैं. आपने क्रिकेट कमेंट्री करते हुए अक्सर उनसे क्रिकेट से जुड़े ऐतिहासिक तथ्यों का जिक्र सुना होगा, ये उनके स्वध्ययन की वजह से ही संभव है. उनकी पसंदीदा किताब दिलीप दोशी की 'स्पिन पंच' और क्रिस रयान का 'गोल्डन बॉय' है, जो पूर्व ऑस्ट्रेलियाई कप्तान किम ह्यूजेस के बारे में है.

4. टीम प्लेयर

'लिटिल मास्टर' सुनील गावस्कर के टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण के 50 साल पूरे हो चुके हैं. उन्होंने साल 1987 में अपना आखिरी टेस्ट खेला था. उसके बाद से आज भी अलग-अलग भूमिकाओं में क्रिकेट से जुड़े हुए हैं. गावस्कर आज भी उतने ही जोशीले और ऊर्जावान हैं जितने उस समय थे. वे क्रिकेट के अपने अनुभवों और ज्ञान से विश्व क्रिकेट का मार्गदर्शन कर रहे हैं. उनको नजदीक से समझने वालों का कहना रहा है कि वो हमेशा से ही एक बेहतरीन टीम मेंबर रहे हैं. अपने साथियों को हमेशा साथ लेकर चलते हैं. उनके बुरे दौर में भी उनके साथ रहते हैं. उनका उत्साहवर्धन करते हैं. आज भी समय-समय पर वो टीम और प्लेयर्स को अपने कीमती सुझाव देते रहते हैं.

5. डाउन टू अर्थ

अक्सर देखा गया है कि सफलता के साथ लोगों का दिमाग भी आसमान पर चढ़ जाता है. लेकिन उन्हें नहीं पता कि चढ़ते हुए सूरज को एक न एक दिन ढलना पड़ता है. सुनील गावस्कर इस बात को बखूबी समझते हैं. यही वजह है कि देश के महान बल्लेबाज होने के बावजूद उनके अंदर कभी घमंड नहीं आया. वो बेहद विनम्र स्वभाव के हैं. ऐसे दौर में जब हर खिलाड़ी की बायोपिक फिल्म बन रही हो, उस वक्त में उनका कहना है कि उनकी जिंदगी में ऐसा कुछ रोचक नहीं, जिसके आधार पर बायोपिक बनाई जा सके. उन्होंने कहा था, 'मैं सच में अपने ऊपर बायोपिक के पक्ष में नहीं हूं. मेरा जीवन काफी नियमित है. इसमें कुछ रोचक नहीं. एक दर्शक के तौर पर मैं इसे पर्दे पर देखना भी पसंद नहीं करूंगा. तो फिर लोग क्यों पसंद करेंगे? कई बार लोगों ने मुझसे बायोपिक के सम्बंध में बात की लेकिन मैं मानता हूं कि मेरा जीवन बायोपिक के लिए रोचक नहीं है.' गावस्कर का यही व्यावहारिक ज्ञान आज की पीढ़ी के कई क्रिकेटरों को सीखने की जरूरत है.

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लेखक

मुकेश कुमार गजेंद्र मुकेश कुमार गजेंद्र @mukesh.k.gajendra

लेखक इंडिया टुडे ग्रुप में सीनियर असिस्टेंट एडिटर हैं.

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