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Updated: 29 जुलाई, 2018 01:33 PM
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वीरेंद्र सहवाग और एमएस धोनी दोनों के करियर को आकार देने में भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली का बहुत बडा हाथ है. गांगुली ने युवाओं को मौका देने में विश्वास किया. यहां तक कि कभी कभी खिलाड़ियों को फिट करने के लिए अपने बैटिंग स्लॉट तक को छोड़ दिया.

गांगुली ने खुलासा किया कि कैसे ओपनिंग बैट्समैन के रूप में उन्होंने सहवाग की क्षमता को पहचाना. 2001 में भारतीय टीम में आने से पहले सहवाग दिल्ली की रणजी टीम के लिए मध्य क्रम में बल्लेबाजी करते थे. लेकिन यह गांगुली ही थे जिन्होंने सहवाग को टेस्ट और ओडीआई दोनों में ही ओपनिंग करने के लिए प्रोत्साहित किया और फिर बाकी तो इतिहास ही है. टेस्ट क्रिकेट में तिहरा शतक जड़ने वाले पहले भारतीय सहवाग ही थे. और टेस्ट में तीन सौ से ज्यादा रन उन्होंने एक बार नहीं बल्कि दो बार बनाया.

'ब्रेकफास्ट विद चैंपियन' प्रोग्राम में बोलते हुए गांगुली ने पूरी कहानी का खुलासा किया. उन्होंने बताया कि कैसे एक बार विदेशी दौरे के लिए टीम में सहवाग को शामिल कराने के लिए वो अड़ गए थे. "जब वीरू ने ओपनिंग की. चयन के दौरान, लोगों ने पूछा था कि आप विदेशी दौरे पर क्यों लेकर जा रहे हैं. वह बाउंसर को नहीं खेल पाएगा. वे अपने बाउंसर से उसके सिर में मार देंगे."

saurav ganguly, sehwag, Dhoniसहवाग ने दिल्ली की रणजी टीम के लिए हमेशा निचले क्रम में ही बल्लेबाजी की थी.

"और मैंने जवाब दिया: 'आप उसे खिलाया नहीं और उसका फैसला कर दिया.' और फिर उसके बाद उसने दक्षिण अफ्रीका में अपने डेब्यू मैच में शतक लगा दिया. उसके बाद, हमारे पास उसके लिए मिडिल ऑडर में कोई जगह ही खाली नहीं थी. इसलिए एक दिन मैंने उससे पूछा... वीरू, बेंच पर बैठकर किसी का करियर नहीं बना. तुम ओपनिंग क्यों नहीं करते? ऐसा कोई पैदाइश ओपनर तो हुआ नहीं है. अगर [मैथ्यू] हेडन और [जस्टिन ] लेंगर ओपनिंग कर सकते हैं, तो तुम भी कर सकते हो..

"वीरू ने मुझे बताया कि उसने कभी ओपनिंग नहीं की है. और दिल्ली के लिए उसने सिर्फ 5 या 6 नंबर पर बल्लेबाजी की है. 'अगर मैं आउट हो गया तो?' मैंने उससे कहा कि आउट तो तुम मिडिल ऑर्डर पर बैटिंग करके भी हो सकते हो. और फिर मैंने निचले क्रम में बल्लेबाजी की ताकि मैं उसे अपनी टीम में रख सकूं. और फिर उसने इंग्लैंड के खिलाफ ओपनिंग की और शतक बनाया...

"वह थोड़ा पागल है और मुझे कहता रहता है कि आपने मुझे मिडिल ऑर्डर में बैटिंग नहीं करने दिया. गांगुली ने उससे कहा कि "तू आधा खिलाड़ी भी नहीं होता. इतना प्रभाव और मैच जीतने की क्षमता जो तुम्हारे में है वो मिडिल ऑर्डर में खेल कर तुम में नहीं आ पाता."

2004 में गांगुली की कप्तानी में ही धोनी ने ओडीआई में कदम रखा था. धोनी की बायोपिक- एमएस धोनी: दि अनटोल्ड स्टोरी में दिखाया गया है कि कैसे गांगुली ने धोनी का समर्थन किया और विकेटकीपर-बल्लेबाज को भारतीय टीम में शामिल किया गया. कुछ मैचों में खराब प्रदर्शन के बाद, धोनी को नंबर 3 पर बल्लेबाजी करने के लिए भेजा गया. और पाकिस्तान के खिलाफ धुआंधार 148 रनों के साथ उन्होंने अपनी कीमत बता दी. और कुछ महीने बाद श्रीलंका के खिलाफ 183 रन बनाकर अपनी सीट पक्की कर ली.

"जब 2004 में धोनी टीम में आए, तो पहले दो मैचों में वो नंबर 7 पर खेला. हम पाकिस्तान के खिलाफ मैच खेलने विजाग गए. मैं न्यूज देख रहा था और सोच रहा था कि धोनी को एक खिलाड़ी कैसे बना सकता हूं. उसमें बहुत दम है.

"अगले दिन सुबह, हमने वार्म अप किया. टॉस जीता. और बल्लेबाजी करने का फैसला किया. वापस आते समय मैंने फैसला किया कि मैं उसे ऊपर बैटिंग करने भेजूंगा.. हम देखेंगे कि रिजल्ट क्या होता है.. वह शॉर्ट्स में बैठा था क्योंकि उसे पता था कि वह नंबर 7 पर बल्लेबाजी करेगा. मैंने उसे नंबर 3 पर जाने के लिए कहा. तो उसने पूछा 'आप?' मैंने कहा 'मैं नंबर 4 पर बल्लेबाजी करूंगा.' और वह गया और 170 रन बना दिया.

 saurav ganguly, sehwag, Dhoniपहली बार में ही धोनी की क्षमता को गांगुली ने पहचान लिया था

गांगुली ने कहा, "इस तरह आप खिलाड़ियों को बनाते हैं."

गांगुली ने यह भी कहा कि धोनी को इतने लंबे समय तक खेलते हुए देखना अच्छा लगता है. क्योंकि वे दोनों भारत के उस हिस्से से आते हैं जहां उन दिनों ज्यादा क्रिकेट नहीं खेला जाता था.

गांगुली कहते हैं- "धोनी बहुत साहसी है. मुझे एमएस को देखकर बहुत खुशी होती है. क्योंकि जब हमने क्रिकेट खेलना शुरू किया तो पूर्व से कोई क्रिकेट खिलाड़ी नहीं था. कोई भी खिलाड़ी नहीं खेलता था. और सोचते थे कि इस तरफ कोई खिलाड़ी नहीं हो सकता. और हम दोनों ने इतने सारे मैचों में कप्तान की, हमने इतने सारे मैच खेले... टी20 हमारे समय में नहीं था.. मैंने लगभग 450 मैच खेले. उस दिन कार्डिफ़ में एमएस ने अपना 500वां मैच खेला. मुझे अच्छा लगता है क्योंकि भारत का एक हिस्सा जहां से कोई क्रिकेटर नहीं आया था 2 कप्तान उस तरफ से आए थे."

गांगुली ने कहा है कि उन्हें विराट कोहली से बहुत उम्मीद है. क्योंकि 2007 के बाद से भारत, इंग्लैंड में अपनी पहली टेस्ट सीरीज़ जीतने की राह देख रहा है. "जब विराट कोहली खेलता है, जहां भी आप हैं, आप आकर देखेंगे क्योंकि वह खेल रहा है. यही उसका प्रभाव है. जब आप उसे देखते हैं, तो आपको पता चलेगा कि इस आदमी का एक मिशन है कि उसे अपनी टीम को सर्वश्रेष्ठ बनाना है." गांगुली ने कहा.

"आज फिटनेस और यो-यो टेस्ट है. लोग इसकी आलोचना करते हैं लेकिन इन टेस्ट के पीछे कुछ कारण हैं. आपको मानसिक रूप से मजबूत होना होता है. अब क्रिकेट में फिटनेस की जरुरत बढ़ गई है. पिछले कुछ सालों में खेल बदल गया है. मुझे विराट कोहली से बहुत उम्मीद है और देश उस पर विश्वास करता है." उन्होंने कहा.

भारत 1 अगस्त से एजबैस्टन में इंग्लैंड के खिलाफ अपनी पांच मैचों की टेस्ट सीरीज़ शुरू करेगा.

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